गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो
तारणहार कहाते हो तुम अब तो पार करो
मै अपराधी जन्म जन्म का
दोष न हृदय धरो गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो
विषयो ने मुझको भरमाया
अब तेरी शरण पड्यो गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो
मै हूँ एक जहाज का पंछी
ठोर न कोई मेरो गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो
भक्ति दान में अर्पण करदो
जीवन सफल करो गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो
तेरी शरण में आया बाबा
नैया पार करो गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो
धन दोलत की चाह नही है
मन की दुविधा हरो गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो
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