तर्ज ---कलियों ने घूँघट खोले
जो जय मैया की बोले वो भगत कभी न डोले
मेरी जगदम्बिके मैया दास की पार कर नैया
दर्शन को चाहू आना
चरणो में मन लगाना
आये जो द्वार दे दो दीदार जयकार भगत बोले
औगुन न माँ चितारो
सेवक समझ निहारो
हूँ गुनहगार ,औगुन हज़ार ,दिल के है हाल खोले
मैया जी पल में आई
छिन देर न लगाई
भक्तो का प्यार,हो सिह सवार ,दुर्गा किवाड़ खोले
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