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रविवार, 31 मई 2015

माता की भेंट - 32


तर्ज ---कलियों ने घूँघट खोले 



जो जय मैया की बोले वो भगत कभी न डोले 
मेरी जगदम्बिके मैया दास की पार कर नैया 

दर्शन को चाहू आना 
चरणो में मन लगाना 
आये जो द्वार दे दो दीदार जयकार भगत बोले 


औगुन न माँ चितारो 
सेवक समझ निहारो 
हूँ गुनहगार ,औगुन हज़ार ,दिल के है हाल खोले 


मैया जी पल में आई 
छिन  देर न लगाई 
भक्तो का प्यार,हो सिह सवार ,दुर्गा किवाड़ खोले 

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