यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

वो जिनसे हम मिल न सके

कितनी बहारें लिए आये तुम सनम
कैसी बदनसीबी हुई मिल सके न हम
वक्त भी न जाने कितना हुआ बेरहम
मलाल है हमको कितनी दूर हुए हम
@मीना गुलियानी





सोमवार, 30 दिसंबर 2019

बदल देना है मुझको

अब आया है नया  साल
अब न मचने दूँगी बवाल
तोड़ डालूंगी जंजीरें जंजाल
दिल में न रखूँगी मलाल
रखूँगी फिर से खुद का ख्याल
@मीना गुलियानी




बीते साल

बीते  साल जो कुछ भी हुआ
अच्छा होगा हम उसे भूल जायें
नया साल जो लाया उसे अपनाएँ
मन का मेल मैल मिटाकर जुड़ जाएँ
पूरी करें हम दिल की तमन्नाएँ
सारे गिले शिकवे हम भूल जाएँ
आओ फिर दो  से एक हो जाएँ
@मीना गुलियानी 

गुमशुदा है कौन मुझमेँ

कौन हो जो मुझमें समा रहे हो
सामने आते  नहीं सता रहे हो
आँखों से ओझल हुए जा रहे हो
मदहोश मुझको किये जा रहे हो
@मीना गुलियानी


रविवार, 29 दिसंबर 2019

दूर की दोस्ती

दोस्ती में कभी कभी दूरी भाती है
उबाऊ जिन्दगी फिर नई हो जाती है
प्यार में  शिकवे गिले मिट जाते हैं
फिर से मिलने की तड़प बढ़ जाती है
@मीना गुलियानी




बेड़ियाँ तोड़ दो

पुरानी परम्पराओं में जकड़ी बेड़ियाँ तोड़ दो
वर्तमान में जिओ कल की चिन्ता छोड़ दो
@मीना गुलियानी 

फूल खिले मन आँगन में

तुम आये तो मन के आँगन में फूल खिल गए
धूप खिली कोहरा छँटा और तुम मिल गए
यादों के महकते फूलों को दम भर खिलने दो
ऐसा क़हर तुम मत ढाना शाख सूनी हो जाए
@मीना गुलियानी



रात हमारी सोचने में गुज़रेगी

रात हमारी सोचने में गुज़रेगी
 कल से नया वर्ष कैसा होगा 
चिंतन करेंगे तभी सवेरा होगा
बदहाली मिटे दूर अँधेरा होगा
@मीना गुलियानी

फैसला कर लीजिये

समय युग परिवर्तन का है
जड़ता को चेतना में बदलो
जन जागरण की वेला है
कर्मठ बनो इतिहास लिख डालो
निद्रा आलस्य को त्यागकर
जन जीवन में प्राण फूँक डालो
@मीना गुलियानी

शनिवार, 28 दिसंबर 2019

भूली हुई इक याद का मंजर

भूली हुई इक याद का मंजर
आँखों में जब लहराता है
तू मुझे बहुत याद आता है
वक्त हर पल न जाने क्यों
बीते लम्हों में ले जाता है
चन्द्रकिरण अग्नि बन जाती
रातों का चैन उड़ जाता है
@मीना गुलियानी 

जो कहा है सुना जायेगा

प्रेम से जो कहोगे सुना जायेगा
गुफ़्त्गू में गुस्सा न सहा जायेगा
नफरत का लहज़ा  चुभ जायेगा
खंजर सा दिल में उतर जायेगा
मीठे बोल से पत्थर पिघल जायेगा
@मीना गुलियानी





गुब्बारे सा दिल

गुब्बारे सा दिल नाज़ुक बड़ा है
सिर्फ एहसासों से ये भरा है
कहीं चोट लगे न कोई इसको
मुझको इसका ख्याल बड़ा है
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

रोके न कोई

मुझे रोके न कोई ये सफर मेरा है
ग़म नहीं मुझे कोई चाहे अँधेरा है
मेरी रात वो  है जिसका सवेरा है
मंजिल पायेंगे तूफां  ने घेरा है
जीतेंगे बाजी दुश्मन जो मेरा है
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

ऐसे कैसे हो सकता है

ऐसे कैसे हो सकता है
यह प्रश्न हम करते हैं
गलती पर हम होते हैं
ऊँची  ईमारतें बनाते हैं
साथ साथ सटाते हैं
आग से बचाव  पानी के
भराव की सुविधा की
अनदेखी कर देते हैं
फिर हादसे हो जाते हैं
प्रशासन को कोसते हैं
सुरक्षा पर सर्वप्रथम हमें
ध्यान देने की जरूरत है
सतर्कता ही बचाव है
@मीना गुलियानी 

कभी नहीं होग़ा

जो चाहा था वो हम पा न सके
तुमको भी अपना बना न सके
देखते ही देखते गैरों के हो गए
तुमको पास अपने बुला न सके
ऐसे खो गए मतलबी जहाँ में तुम
तेरे कदमो के निशान पा न सके
@मीना गुलियानी 

किसी का नाम

किसी का नाम पूरी किताब बन जाता है
 नाम दिल पर अमित छाप छोड़ जाता है
नाम लेते ही भूला बिसरा याद आता है
वक्त गुज़रा पल फिर से लौटा लाता है
चाहे वो दूर हो पास में ही नज़र आता है
कितनी कहानियाँ किस्से याद आते हैं
जिंदगी भर उसे हम न भूल पाते हैं
हवा में अपनी खुशबु वो छोड़ जाता है
@मीना गुलियानी

साधारण बनना बहुत बड़ी बात है

प्रभावशाली बनने को प्रयत्न करने पड़ते हैं
लेकिन साधारण बनना बहुत बड़ी बात है
साधारण व्यक्ति को बनावट नहीं चाहिए
समाज में उनका अलग ही वर्चस्व होता है
वो दूर से ही सबकी पहचान में आ जाते हैं
सभी लोगों से वो सम्मान भी पाते हैं
सब बड़े बड़े जो दिग्गज नेता हुए हैं उन्हें
हम उनके साधारण होने से पहचानते हैं
देश में सबके दिलों पर उनकी छवि है
जो अमित है सबको उन पर बहुत नाज़ है
@मीना गुलियानी

बुधवार, 25 दिसंबर 2019

तुलसी एक औरत

तुलसी के कई रूप हैं
पौराणिक कथा में देवी है
शालिग्राम से विवाह होता है
पूजा में भी काम में लेते हैं
गणेश पूजन में नहीं लेते हैं
इसकी दवाइयाँ बनती हैं
सर्दी जुखाम बुखार त्वचा में
यह बहुत गुणकारी है
संजीवनी बूटी के समान है
@मीना गुलियानी


कदम मिलाकर चलना होगा

यह है वक्त की पुकार
कदम मिलाकर चलना होगा
देश की धरती की हुंकार
अब न किसी से डरना होगा
राह पे अपनी डटना होगा
@मीना गुलियानी 

स्वर्ग का रास्ता

आज है क्रिसमस
बच्चों की पिकनिक
जायेंगे स्वर्ग के रास्ते
सांता मिलेंगे वहाँ पे
आएगी उनकी गाडी
है बच्चों की तैयारी
वो चॉकलेट लायेंगे
बच्चों को खिलायेंगे
@मीना गुलियानी



वो गीत जिसे गाता है दिल

वो गीत जिसे गाता है दिल
आज भी है उसमें रस भरा
तुम उसको गुनगुनाओ ज़रा
दिल छू ले मन झूमे बावरा
@मीना गुलियानी


मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

तुम उस किताब की तरह हो

तुम उस किताब की तरह हो जिसे
बार बार पढ़ने को जी चाहता है
 छूते ही सारी कहानी याद आती है
बदन में सिहरन सी दौड़ जाती है
एक नशा आँखों में तैर जाता है
तुझसे कभी मन नहीं भरता है
तुम एक हमसफ़र बन जाते हो
अकेले में मेरा मन बहलाते हो
पढ़के नींद भी अच्छी आ जाती है
फिर तुम्हारे सपने भी लाती है
@मीना गुलियानी 

हम सब एक सिनेमा है

हम सब एक सिनेमा है जिसमें कलाकार
उसके हाथों की कठपुतलियाँ मात्र हैं
वो जैसा भी वो चाहे सबको नचाता है 
सबको अपना अपना काम करना है
अवधि समाप्त होते ही लौट जाना है
सबके लिए यही नियम बनाये गए हैं
जीवन की बागडोर उसके हाथों में है
क्या जाने कब वो डोर वापिस खींचे
कल क्या हो कोई नहीं जानता है
@मीना गुलियानी 

कैसी भी रात हो

कैसी भी रात हो यही दुआ है
वो सुकूँ से गुज़रने वाली हो
उसमें अमन और खुशहाली हो
आंतक और जहालतों से दूर हो
उसमे सिर्फ चैन और सुरूर हो
प्यार उसमें हमेशा समाया रहे
सर पर हमेशा खुदा का हाथ रहे
@मीना गुलियानी 

रविवार, 22 दिसंबर 2019

मन कसमसाकर रह जाता है

मन हमेशा से ही मुखरित होना चाहता है
ना चाहते हुए भी कसमसाकर रह जाता है
मन की भी कई दुविधाएँ हैं ,प्रपंच,वर्जनाएँ हैं
कितने रीति रिवाजों के शिकंजों में जकड़ा है
कुछ चाहते हुए भी कुछ नहीं कर सकता है
मन मसोसकर ही इसे चुप रहना पड़ता है
समाज की परम्पराओं की कितनी बेड़ियाँ हैं
समाज के कई बन्धन हैं उल्लघन वर्जित है
@मीना गुलियानी


सबसे पहले

सबसे पहले जीवन को स्वीकारना होगा
यह खुदा की दी हुई सबसे बड़ी नेमत है
कितनी मुश्किल से ये न्र तन मिला है
इसे यथोचित ईश्वर ध्यान में लगाना है
मानव कल्याण के लिए काम करना है
अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करना है
उसे प्राप्त करने हेतु प्रयासरत होना है
निरोगी रहने के लिए योग भी करना है
सांसारिक बन्धनों से निर्लिप्त रहना है
कीचड़ में कमल समान व्यवहार करना है
@मीना गुलियानी 

पत्थर बना दिया

दिल तो हमारा एक खिला हुआ फूल था
तुम्हारी बेरुखी ने इसे पत्थर बना दिया
वो दिन भी क्या दिन थे जब एहसास था
 दिल के एहसास को किसने दबा दिया
पहले तो इस लरज़ते दिल में दुआएँ थीं
जलते दिल की मोम को किसने बुझा दिया
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 21 दिसंबर 2019

तुमने कहा था

तुमने  कहा था किन्तु
मैंने ही गौर नहीं किया
इक सुगबुगाहट सी हुई थी
मन में भी हलचल हुई थी
वीणा के सुर बज उठे थे
पग में घुंघरू छनक उठे थे
पपीहे ने भी तान सुनाई
कोयल ने रागिनी गाई
मन मयूरा नाच उठा था
सोया दिल जाग उठा था
कंपित होंठ भी गाने लगे
हम तुम भी मुस्कुराने लगे
@मीना गुलियानी

मन को शान्त रखें

मन को शान्त रखें चाहे परिस्थिति कैसी भी हो
संयमित रहें सावधान रहें कदम न डगमगायें
स्वयं पर भरोसा रखें निर्णय पर भी दृढ़ रहें
हर फैंसला सावधानी शांति से लें जल्दी में नहीं
जल्दबाज़ी में लिया फैंसला गलत हो सकता है
बाहर का कोलाहल तो थम जाएगा पर तुम
अन्तर्मन को शान्त करके उसकी आवाज़ सुनो
@मीना गुलियानी 

मुट्ठी में भी कब आया

समय को कौन कैद कर  पाया
ये हमारी मुट्ठी में भी कब आया
ये पलक झपकते गुज़र जाता है
कोई भी इसे रोक ही नहीं पाया
इसके आगे किसी की नहीं चलती
हर कोई शख्स हारता नज़र आया
गर तुम चाहो कि जीत लो उसको
कदम मिलाके चलो बनके हमसाया
@मीना गुलियानी 

होठो पे मुस्कान सजाए

चले आओ अपने होठो पे मुस्कान सजाए
तुम आओ शायद ये बहार भी लौट आए
ज़िन्दगी की शमा भी तुमसे रोशन है
तेरे आने से ही दिल में चैन करार आए
बड़े ज़ालिम हो हमसे ही पता पूछते हो
जाने कबसे इस गली में तुम नहीं आए
@मीना गुलियानी 

नज़र नहीं आता

हर तरफ निगाहेँ तुमको ढूँढती हैं
पर तू कहीं भी नज़र नहीं आता
हर तरफ अन्धकार सा छाया हुआ
उजियारा किसी ओर से नहीं आता
तू चला आये तो शमा रोशन हो
सूनी महफ़िल में मज़ा नहीं आता
तू ही तो जान शानो शौकत है
बिन तुम्हारे कुछ भी नहीं भाता
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

सोचकर तो देखिए

सोचकर तो देखिए जरूर एक बार
फिर करना इन्कार या इकरार
ऐसे कहाँ बार बार होता है प्यार
कब किसी पे आता है दिल बार बार
दिल पर भी क्या है इख़्तियार
कब किसी से हो पाता इज़हार
 न हो कभी हो जाओ बेकरार
और मिलना हो जाए दुश्वार
फिर मिन्नतें करनी पड़ें बेशुमार
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

हम तुम

हम तुम दोनों प्रेम के कैदी हैं
जो कैद में ही खुश रहते हैं
पिंजरे के पंछी की तरह उन्हें
उस पिंजरे से मोह हो गया है
जो दाना चुग कर  फिर उसी
पिंजरे में फिर कैद हो जाता है
हम भी बाहों के पिंजरे में ही
एक दूसरे में समा  के खो जाते हैं
एक दूसरे के साथ हर लम्हा
हँस के सुख दुःख की बात करते हैं
@मीना गुलियानी 

धैर्य रखी

दिल में धैर्य रखी
पहाड़ जैसे बहादुर बनो
जो हर परिस्थिति में
चट्टान सा दृढ रहता है
चाहे कितने तूफ़ान आएँ
वो अडिग डटा रहता है
दिल को कभी विचलित
न होने दो धैर्य रखो
@मीना गुलियानी 

सब कुछ फना करता है


वक्त कभी एक सा नहीं रहता
वो जब करवट लेता है तब कभी
एक पल में सब कुछ फना  करता है
उसके आगे किसी की नहीं चलती
बड़े बड़े साम्राज्य नतमस्तक हो जाते हैं
भव्य इमारतें खलिहान हिमखंड भी
पल में धाराशायी हो लुप्त हो जाते हैं
बाढ़ जब प्रलयंकारी हो जाती है तब
वो सब कुछ अपनी चपेट में लेती है
सबका अहंकार वक्त चूर चूर करता है
@मीना गुलियानी

जब भी मिलना

जब भी मिलना
हँसकर मिलना
चुप नहीं रहना
हँसी भाती है
दिल लुभाती है
चुप रहना खलता
दिल नहीं लगता
फूल खिलते हैं
दिल मिलते हैं
मस्ती छाती है
सपने जगाती है
@मीना गुलियानी 

एक समय बाद

एक समय बाद शाखों  से सूखे पत्ते झड़ते हैं
ऐसे ही समय पर दुःख के बादल भी छंटते हैं
फिर सुख आता है और ग़म तब हाथ मलते हैं
यह अटल नियम है सुख दुःख साथ नहीं होते
वो समय आने पर अपना स्थान बदलते हैं
ईश्वर की इच्छा से ख़ुशी के फूल खिलते हैं
@मीना गुलियानी 

ख़ुशी की बात है

ख़ुशी की बात है कि बरसों बाद तुम मिले
चलो आज दूर करलें हम हर शिकवे गिले
तुम खतायें माफ़ करदो हम भी सब भूलें
फिर से मिलें हम कभी न बिछुड़ने के लिए
@मीना गुलियानी 

सच तो यही है

सच तो यही है कि अब
तन्हा जिया नहीं जाता
दर्दे दिल भुलाया नहीं जाता
सबको ये बताया नहीं जाता
कितने भी यत्न हम करें
चाके जिगर सिया नहीं जाता
सूनापन दिल पे छाया रहता है
मर्ज विषबेल सा बढ़ता रहता है
दवा से ये मिटाया नहीं जाता है
@मीना गुलियानी

बुधवार, 18 दिसंबर 2019

कम भी हो तो

कम भी हो तो संतोष करना चाहिए
थोड़े में गुज़ारा करना आना चाहिए
चादर जितनी लंबी हो उतने ही लंबे
पाँव पसारकर गुजारा करना चाहिए
फिजूलखर्ची और दिखावा ठीक नहीं
संतोषी और मितव्ययी बनना चाहिए
इसी वृति से मन प्रसन्न रखना चाहिए
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

दूसरों के लिए

दूसरों के लिए कौन सोचे यहाँ
फुरसत है किसें इतनी भी यहाँ
सभी मसरूफ ही रहते सब यहाँ
किसको क्या पड़ी जो सोचे यहाँ
सभी अपना राग अलापते यहाँ
मतलब की दुनिया कोई न यहाँ
@मीना गुलियानी 

शाम उतर आई है दिल में

शाम उतर आई है दिल में
सजी हुई महफ़िल है दिल में
कहकहों का दौर है दिल में
रंगी समां है आज दिल में
जुगनुओं का झमघट लगा है
तारों से ये मण्डप सजा है
चाँदनी भी गुनगुना रही है
महफ़िल सजती जा रही है
बाजे वीणा धीमे सुर में
छनके पायल रून झुन में
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 16 दिसंबर 2019

सुविधाओं का त्याग जरूरी है

अगर लक्ष्य प्राप्त करना हो तो
सुविधाओं का त्याग जरूरी है
बिना परिश्रम के कोई भी व्यक्ति
 मुकाम हासिल नहीं कर  सकता
ऊँचे ओहदा पाने को ठाठ बाट
त्यागकर कड़ी मेहनत जरूरी है
@मीना गुलियानी 

इसलिए मौन हूँ

हर तरफ अराजकता का साम्राज्य है फैला हुआ
नक्कारखाने में तूती की आवाज़ कौन सुनेगा
इसलिए मौन हूँ जिधर देखो रिश्वत का बोलबाला
झूठ ही है पसरा चहुँ ओर सच को परे धकेल डाला
पापी दुराचारियों के संसार में यहाँ कौन रखवाला
किसको सुनाये विपदा अपनी हर जगह घोटाला
@मीना गुलियानी 

रविवार, 15 दिसंबर 2019

उत्साह बना रहे

अब भरा है मेरा तन मन उत्साह और उमंग से
है प्रेम से अब आलोकित मेरे मन का हर कोना
मेरे जीवन में निराशा कैसे घेरेगी अब मुझको
अब धैर्य है मेरा साथी जिसे नहीं चाहती खोना
@मीना गुलियानी





अगर इक चाय मिल जाए

अगर इक चाय मिल जाए
तो अपनी सर्दी कम हो जाए
वल्लाह क्या बात है इसकी
चुस्की लेके सुकूँ मिल जाए
तन मन में स्फूर्ति आये और
कली मन की भी खिल जाए
@मीना गुलियानी 

क्यों चैन नहीं मिलता दिल को

क्यों चैन नहीं मिलता दिल को
जाने क्या रोग लगा है दिल को
तेरी याद में ही खोया रहता है
बेजुबान सा चुपचाप रहता है
न उसे भूख लगती है न प्यास
रहता हरदम जाने क्यों उदास
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 14 दिसंबर 2019

बुझने न देना

जो आग तुम्हारे भीतर सुलगी है
उसे धधकने देना बुझने न देना
तुम्हारी जिंदगी की गाडी भी
उसी आग से ही तो चलती है
अगर वह आग बुझ गई तो तुम
अपने गंतव्य तक न पहुँच पाओगे
बीच रास्ते में ही कहीं रुक जाओगे
@मीना गुलियानी 

दिन निकल गया है

उठो दिन निकल गया है
सूरज उग गया है
ऊषा पानी भरने गई है
तारा पनघट में वो
अपनी मटकी डुबो रही है
विभावरी बीत चुकी है
तुम भी जाग जाओ
पुरुषार्थ में लग जाओ
@मीना गुलियानी 

तन्हाई ने करवट ली है

तन्हाई ने करवट ली है
अकेलेपन की वो साथी है
यह परछाई की तरह ही
हमारे साथ रहती है
कभी बोर नहीं होने देती
पल्लू थामे रहती है
अपना आभास कराती है
मुझे भीड़ अच्छी नहीं लगती
अब यही समय बिताती है
@मीना गुलियानी 

बिछुड़ जाते हैं

बहुत दूर चलते चलते कहाँ आ गए
चलो आज हम फिर बिछुड़ जाते हैं
कुछ पल की दूरी फिर से मिला देगी
दुबारा मिलने पर नया एहसास होगा
ऐसा महसूस होगा पहली बार मिले
एक बदलाव जिंदगी में आ जाएगा
नीरसता खत्म होगी जो कि जरूरी है
रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए
कभी कभी बिछुड़ना भी जरूरी है
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

गर्म हाथों की गर्मी

तुम्हारे इन गर्म हाथों की गर्मी
मेरे मुर्दा जिस्म में जान डालती है
सदियों से रूह पर जमी हुई बर्फ
इनकी गर्मी को पाके पिघल जाती है
फिर से  जिंदगी मुझे मिल जाती है
तुम्हें पा लेने की तमन्ना बढ़ जाती है
इन हाथों की कैद जिंदगी को भाती है
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

भूलता ही नहीं है

तुम्हारे साथ बिताया वो समय
कभी मुझे भूलता ही नहीं है
हर समय तन्हाई में बैठते ही
तुम्हारी याद खिंची आती है
वो मेरे दिल को तड़पाती है
मेरी धड़कनों को बढ़ाती है
तुम्हारी तस्वीर आँखों में
उभरकर दिल बहलाती है
@मीना गुलियानी 

बादल छंट जायेंगे

जीवन में सुख दुःख
सिक्के के दो पहलू हैं
ये आते जाते रहते हैं
संकट के ये बादल कल
स्वत: ही छंट जाएंगे
आज तो ख़ुशी से जिओ
कल की चिंता मत करो
कल फिर सुनहरी धूप से
अपना आँचल भर लेना
जीवन का दुःख हर लेना
@मीना गुलियानी


बुधवार, 11 दिसंबर 2019

देखकर चलो

देखकर चलो हादसों से तुम बचो
खुद को सम्भालो दुनिया से बचो
हर तरफ आततायी घूमते हैं बचो
कहीं कोई वारदात न हो ज़रा बचो
सभी मुखौटा चढ़ाये हुए हैं बचो
उनके मन की खोट से तुम बचो
मत भरोसा करना सावधान बचो
@मीना गुलियानी 

डर लगता है

एक अन्जाना सा डर लगता है
कि तुमको कहीं खो न दूँ
तुम मेरे दिल के करीब हो
तुमसे अलग होना गंवारा नहीं
दिल चाहता है तुम पास रहो
मेरी नज़रों से ओझल न हो
तुमसे कुछ देर के लिए भी दूरी
अब मुझसे सही जाती नहीं
तेरे बिना कोई चीज़ भाती नहीं
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

छोड़ दिया

छोड़ दिया मैंने घुट कर जीना
छोड़ दिया मैंने आँसु को पीना
अब किसी की परवाह नहीं है
मेरी जिंदगी लापरवाह नहीं है
अपने लक्ष्य को साधा है मैंने
कदम उठाये उस ओर भी मैंने
हार नहीं कभी हम अब मानेँगे
उपलब्धि को हासिल हम करेंगे
@मीना गुलियानी 

बहुत हुआ अब

बहुत हुआ अब निद्रा त्यागो
खोलो आँखें अब तुम जागो
अब तो सूरज देव हैं पधारे
उठ जाओ अब तुम भी प्यारे
उठकर थोड़ा ध्यान लगाओ
अपना जीवन सफल बनाओ
माता पिता को करो प्रणाम
पाओगे उनसे तुम वरदान
@मीना गुलियानी 

हमारी नज़र तो है

इतना तो है हमारी नज़र तो है
तेरे हर रवैये की खबर तो है
तेरा प्यार का महज दिखावा है
इसका मेरे दिल पर असर तो है
देख फिर भी मुझे सब्र तो है
@मीना गुलियानी 

यादों के गुल खिले

इस तरह तेरी यादों के गुल खिले
कैसे मौसम में ऐसे हम तुम मिले
दिल करता है खत्म न हो सिलसिले
हमें पसन्द है तू जिस तरह भी मिले
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 9 दिसंबर 2019

कहते हुए डर लगता है

अपने लिए कुछ कहते हुए डर लगता है
कहीं कोई मुझे गलत न समझ बैठे
दुनिया हमेशा गलत निगाह से देखती है
सच्चाई जाने बगैर लांछन लगा देती है
सच का पता हलने में देर हो जाती है
तब तक ये  दुनिया ही पलट जाती है
कोई अन्तर्मन तक घायल हो जाता है
झूठा दोषारोपण कोई सह न पाता है
इसलिए मैं चुप रहना पसन्द करती हूँ
अपनी बातें खुद से ही करती रहती हूँ
@मीना गुलियानी 

रविवार, 8 दिसंबर 2019

भूली कहानी याद आई

आज फिर भूली कहानी याद आई
जब हम पहली बार मिले थे
सावन का मौसम था बारिश में
दिल में प्रेम के दो फूल खिले थे
तुमने मेरे हाथों को थामा था
दो अजनबी मिलके चले थे
आज वही मौसम आया है
वही सुहानी यादें ताज़ा हो गईं
वादी में पपीहे ने शोर मचाया
कोयल ने भी कूक मचाई और
 भूली बिसरी कहानी याद आई
@मीना गुलियानी 

सोचने से क्या होगा

सिर्फ सोचने से क्या होगा
काम तो करने से ही होगा
यूँ हाथ पे हाथ धरने से भी
तुम्हें कुछ न हासिल होगा
जीवन एक कड़ी चुनौती है
स्वीकार करने से कुछ मिलेगा
यह कर्मक्षेत्र है निरन्तर ही
कार्य करके परिणाम मिलेगा
 तदबीर से ही  तकदीर बनेगी
शेर के मुँह में भी मृग स्वयं
चलकर नहीं आता इसलिए
उठो कर्म करो सोचो मत
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 7 दिसंबर 2019

तुम मेरे करीब हो

तुम मेरे करीब हो फिर भी
ऐसे लगता है जैसे दूर हो
यह सिर्फ एहसास ही है
वरना तू तो मेरे ही पास है
तू मेरी रूह के आसपास है
हमारा रूहानी रिश्ता ख़ास है
सोचने पर दूरी मिट जाती है
तेरी याद खिंची चली आती है
@मीना गुलियानी 

सब रंग तुम्हारे अंदर हैं

सब रंग तुम्हारे अंदर हैं
हर रंग में वो मौजूद है
 देखने वाली नज़र चाहिए
वो हर रंग में समाया है
जिस रंग में देखना चाहो
उसी रंग में वो दिखाई देगा
ये हमारी परिकल्पना है
तभी अलग रंग में दिखता है
दुःख सुख भी उसके रंग हैं
फूलों पर पेड़ों में उसी की
रंगत ही हमें दिखाई देती है
इनसे इंद्रधनुष बनता है
@मीना गुलियानी 

कहाँ रहते हो तुम

आजकल कहाँ रहते हो तुम
जाने किन ख्यालों में हो ग़ुम
सबसे नज़रें चुराके खो गए तुम
बदली है फ़िज़ा और ग़ुम हो तुम
तुमसे मिलने को हैं बेताब हम
आवाज़  दो आख़िर कहाँ हो तुम
दिल को चैन आये आओ तुम
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

अपनी ओर भी डालो नज़र

क्यों देखता है तू इधर उधर
अपनी ओर भी डालो नज़र
कहीं कुछ अनदेखी न हो जाए
कोई तुझमें कमी न रह जाए
अपने कर्मों में कर ले सुधार
फिर दिल में करले विचार
क्यों मानुष तन हमने पाया
क्यों हीरा जन्म हमने गंवाया
अब तो इसको ले तू सुधार
शुभ कर्मों से इसको तू सुधार
सब कुछ यहीं धरा रह जाएगा
वक्त गुज़रा तो पछतायेगा
@मीना गुलियानी

किधर जायें

जहाँ भी देखो धुंध का साम्राज्य है
कोई तो हमें बताए किधर जायें
कोई भी रहगुज़र नज़र नहीं आता
दिल की बेताबियों को कैसे समझाएं
@मीना गुलियानी 

मासूमियत को

कैसे बचाऊँ खुद को मैं
दुनिया में ईर्ष्या द्वेष से
कैसे बचाऊं मैं इंसानियत को
जब हावी हो रही हैवानियत
कैसे भरूँ दिल के जख्मों को
जो हर समय  टीस देते हैं
कैसे दूर करूँ ग़म के अंधेरों को
ऐ वक्त काश तुम्हीं लौटा पाते
मेरी हसरतों भरी सुबह शामों को
मेरा अल्हड़पन मासूमियत को
@मीना गुलियानी 

आँखों की प्यास वो

मत जाओ दूर इतना कि हम तुझे ढूँढते ही रहें
मत पास आओ इतना मिटे दिल की प्यास वो
सजा दो चाँदनी को भी तुम अपने ऐसे लिबास में
लगता रहे मुझे कि तेरा खिलता नूर मेरे पास हो
क्यों बेकरार करती है मुझे ये दिलकशी तेरी
घटती ही नहीं कभी मेरी आँखों की प्यास वो
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

घर घर ही नहीं रहे

अब घर घर ही नहीं रहे
घर के सब लोग बंट गए
बुजुर्ग लोग वृद्धाश्रम गए
परिवार हिस्सों में बंट गए
न बड़ों का मान सम्मान है
न  कोई आन बान शान है
घर को देख कसक होती है
इक घुटन दिल में होती है
पहले घर में रसोई एक थी
सबकी कमाई भी नेक थी
अच्छा गुज़ारा चलता था
सबका पेट भर जाता था
अब सारे लोग कमाते हैं
पर गुज़ारा न कर पाते हैं
@मीना गुलियानी


मन नहीं भरता

उसे देखकर कभी मन नहीं भरता
बार बार उसे देखने को जी करता
जाने क्या बात है नज़र हटती नहीं
 कोई और दिल में मेरे बसती नहीं
मुझे तो वो कोई हूर नज़र आती है
दूर से ही दिल मेरा चुरा ले जाती है
@मीना गुलियानी

बुधवार, 4 दिसंबर 2019

पानी पर बहते वो जाते हैं

पानी पर बहते वो जाते हैं
लहरों पे नाम लिख जाते हैं
हर बहाव में तैरते जाते हैं
चाहे कितने तूफ़ान ही आएँ
चाहे दुश्मन घात लगाए
निडर होके बढ़ते जाते हैं
मुश्किल आसां करते जाते हैं
@मीना गुलियानी 

उस तरफ

उस तरफ देखा जो मैंने
अक्स वो तेरा ही था
फिर टटोला मन को जब
तू भी तो मेरा ही था
दिल में छिपा हुआ था
गुमां ये मुझको भी था
ली तलाशी दिल की जब
सच में वहाँ तू ही था
@मीना गुलियानी 

तलाश तो बहुत किया

तलाश तो बहुत किया
पर मिला नहीं हमें
कोई ऐसा हमसफ़र जो
हमें दिल से अपनाता
हमारी सुनता अपनी सुनाता
सर आँखों पे हमको बिठाता
जो भी कहते वो मान जाता
हरदम हँसता हमको  हँसाता
दुःख में हमेशा साथ निभाता
छोड़ के दूर कभी न जाता
@मीना गुलियानी 

तुम साथ थे जब

तुम साथ थे जब धूप भी मुस्कुराती थी
तुम साथ थे जब हर कली झूम जाती थी
तुम साथ थे जब दिल में उमंग छाती थी
तुम साथ थे जब हर रात जगमगाती थी
तुम साथ थे जब हवा संदेश लेके आती थी
तुम साथ थे जब हर तमन्ना पूरी होती थी
तुम्हारे साथ झोंपड़ी महल बन जाती थी
तुम्हारी हर ख़ुशी मेरी ख़ुशी बन जाती थी
@मीना गुलियानी

गौर करें तो

गौर करें तो प्रकृति में जीवन है
हर रूप में ये सजीव हो जाती है
चित्रकला ,मूर्तिकला ,संगीत ,नृत्य
सभी में हम साकार देखते हैं
ये देखने वाले पर निर्भर है कि
वो किस रूप में उसे देखता है
प्रकृति का हर रूप मनोहर है
पेड़ों की डालियों में फूलों में
पशुओं की बोली पक्षियों के
कलरव चहचहाहट में इन
सभी में प्रकृति समाहित है
बादलों की गड़गड़ाहट  में
बिजली की चमक गर्जन में
सभी में प्रकृति का स्वरूप है
सृष्टि का उद्भव और अंत है
@मीना गुलियानी



जल बुझे सब ख़्वाब मेरे



जल बुझे सब ख़्वाब मेरे 
रह गए दिल में अँधेरे 
जाने कब हों अब सवेरे 
आँसुओं के पड़ गए घेरे
ढूँढूँ तुझे मैं साँझ सवेरे
बाट जोहते हैं नैन मेरे
कब आओगे साजन मेरे
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 3 दिसंबर 2019

भुलाने चला हूँ

तेरी याद दिल से भुलाने चला हूँ
मैं अपनी हस्ती मिटाने चला हूँ
जला है इस तरफ आशियाना हमारा
भला इस कदर भी क्या हमने बिगाड़ा
मैं खुद अपनी किश्ती डुबाने चला हूँ
न तुमसे है शिकवा न कोई शिकायत
पता क्या मुझे था तुम हो बेमुरव्वत
भंवर में खुद को मिटाने चला हूँ
@मीना गुलियानी 

संसार से जाना है

बन्दे न भूल प्रभु संसार से जाना है
माटी से तू आया माटी में समाना है
संसार की दौलत कुछ काम न आयेगी
तेरी सारी ये माया यहीं पे रह जायेगी
खाली जग में आया खाली ही जाना है
@मीना गुलियानी 

दिल नहीं भरता

तुझे देखके कभी दिल नहीं भरता
बार बार देखने को ही मन करता
तस्वीर तेरी दिल में बसा रखी है
तुझसे गुफ़्तगू को ही मन करता
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 2 दिसंबर 2019

तेरी याद भी कम आती है

तूने प्यार में बेवफाई का सिला दिया
क्यों तूने दिल को मेरे यूँ तोड़ दिया
अब मुझे तेरी याद भी कम आती है
मेरी आँखों में नींद भी आ जाती है
मैंने भी तुझको दिल से भुला दिया
अब तेरी यादों को भी मिटा दिया
@मीना गुलियानी 

दुनिया वाले

दुनिया वाले तो जीने ही नहीं देते हैं
हर बात का वो मज़ाक बना देते हैं
सच्चाई बिना परखे ही सज़ा देते हैं
चुपके चुपके से खिल्ली वो उड़ाते हैं
मुँह पर तो वो वफादार बने रहते हैं
पीठ पीछे छुरी भी वो घोंप देते हैं
हर किसी के दुःख पे वो हँस देते हैं 
हर बात का वो उल्टा सिला देते हैं
@मीना गुलियानी 

रविवार, 1 दिसंबर 2019

मुझे बताना है

मुझे बताना है तुम्हें कि तुम कितने अच्छे हो
मगर दुनियादारी के मामले में अभी कच्चे हो
दुनिया हर बात का झूठा अफसाना बना लेती है
ज़रा सी बात पे वो आसमान सर पे उठा लेती है
दुनिया से नज़रें बचा के मिलो अरमां छुपाके मिलो
सबसे अच्छा तो यही होगा कि सपनों में आके मिलो
@मीना गुलियानी 

सपनों की दुनिया

सपनों की दुनिया खूबसूरत होती है
हम बंद करके आँखों को बुला लेते हैं
जब भी तेरी जरूरत महसूस होती है
यहाँ कोई पहरे पर्दादारी नहीं होती है
मिलके तुझसे राहत महसूस होती है
@मीना गुलियानी 

तुम साथ नहीं हो क्यों मेरे

तुम साथ नहीं हो क्यों मेरे
मेरे दिन रैन हुए बिन तेरे
छिप गए चंदा सूरज मेरे
ढूँढे मेरी नज़रें साँझ सवेरे
व्याकुल जियरा है बिन तेरे
दर्श दिखाओ साजन मेरे
@मीना गुलियानी 

ज़िन्दगी मिले तो उससे पूछूँ

ज़िन्दगी मिले तो उससे पूछूँ
क्यों इतनी तेज़ चलती है
ज़रा सी देर भी रूकती नहीं
मेरी तो जान भी निकलती है
सांसों की डोर भी कोई थामे
ये मुझसे नहीं सम्भलती है
@मीना गुलियानी  

ज़रा सी रोशनी ने

ज़रा सी रोशनी ने जग में किया उजाला
तेरे रूप ने किया है मुझे मतवाला
बिन पिए ही  गले में उतरी है हाला
घर मेरा बन गया जैसे मधुशाला
जाने तूने ये कैसा जादू कर डाला
@मीना गुलियानी

शनिवार, 30 नवंबर 2019

ये वो दौर है

ये वो दौर है जहाँ जीने के लिए
खुद को भी मिटाना पड़ता है
हर ज़ख़्म अपना भुलाकर हमें
सबके लिए मुस्कुराना पड़ता है
@मीना गुलियानी 

एक छलावा मात्र है

कल केवल एक छलावा मात्र है
इसका तुम विश्वास मत करना
हमेशा आज पर यकीन करना
कल की चिंता तुम मत करना
कल कभी भी नहीं आता है
बीता हुआ दिन लौट न पाता है
जो कर्म नहीं करता पछताता है
@मीना गुलियानी 

लड़की पूछ रही है

लड़की पूछ रही है हम सबसे
क्या सपने पूरे होंगे हम सबके
क्या हम भी शिक्षा ले पायेंगे 
भैया जैसे क्या हम स्कूल जायेंगे
लिख पढ़कर कुछ हम बन पायेंगे
@मीना गुलियानी

ऐसे कहाँ तक निभाएं

तुम ही बताओ ऐसे कहाँ तक निभाएं
इतना बड़ा दिल हम कहाँ से लायें
ऐसे हालात में कैसे जिंदगी बिताएं
तुमसे बिछुड़कर जिन्दा रह न पाएं
कोई तो जाके रूठे पिया को मनाये
मेरे सुनहले दिनों को लौटा के लाये
@मीना गुलियानी 

तुम्हारे बाद

तुम्हारे बाद आखिर मेरा क्या बचा है
मेरी ज़िन्दगी की शुरुआत तुमसे है
इसका आरम्भ और अंत तुमसे ही है
इसके अलावा सोचा नहीं चाहा नहीं 
@मीना गुलियानी 

वो सुबह कब आएगी

जाने वो सुबह कब आएगी
जब एक औरत अबला न कहलायेगी
सामना वो करेगी भूखे भेड़ियों का
हवस के पुजारियों का कब वो
अपनी अस्मत इनसे बचा पायेगी
अब वक्त वो आ चुका जब वो
खुद ही दुर्गा बन तलवार उठायेगी
 @मीना गुलियानी 

सफ़र पर चल तो पड़े

अब अपने सफ़र पर चल तो पड़े हैं हम

किस्मत है अपनी ख़ुशी मिले या ग़म
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 27 नवंबर 2019

सोचा न था

सोचा न था कभी दिन ऐसे भी आयेंगे
रोती रहेँगी आँखें हँसना भूल जायेंगे
सोचा था तुम्हें पाकर ग़म भूल जायेंगे
पता न था खोके आँसुओं में डूब जायेंगे
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 26 नवंबर 2019

कसूर किसका था

इतनी जदोजहद के बाद हम
सोचते हैं कि कसूर किसका था
न तुम्हारा था न मेरा कसूर था
वो तो निगाहों का ही था
जो चुपके से आपस में मिली
धीरे धीरे उनमें बात बढ़ी
फिर कुछ सोच न समझा
न कुछ देखा न भाला
देखते देखते प्यार कर डाला
यही उनका मासूम कसूर था
@मीना गुलियानी 

लिखते रहेंगे दिल की कहानी

लिखते रहेंगे दिल की कहानी
है जो सदियों से भी पुरानी
एक ने कही दूजे ने मानी
तेरी मेरी यही प्रेम कहानी
बरसों पहले की थी नादानी
कीमत अब तक पड़ी चुकानी
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 25 नवंबर 2019

किरदार में ढलना पड़ेगा

यह ज़िन्दगी एक रंगमंच है
सभी उसकी कठपुतलियाँ हैं
सबको अपना किरदार निभाना है
अच्छे अभिनय के लिए हमको
उस किरदार में ढलना पड़ेगा
तभी उसको निभा पाएंगे
फिर दुनिया भी याद करेगी
कितना अच्छा किरदार निभाया
अच्छी ज़िन्दगी जी और फिर
वो इस संसार से विदा हुआ
अपने दुःख दर्द को भूलकर
खुशियों को आत्मसात करना है
ऐसे किरदार में ढलना पड़ेगा
@मीना गुलियानी 

ढूँढने निकले हैं


 ढूँढने निकले हैं खुशियों को
 जो कहीं खो गई हैं
 इन वीरान सी राहों में
 नीले आसमान के नीचे
 पथरीली चट्टानों में कहीं
 वो जाके सो गई हैं
 हमें उन्हें जगाना ही होगा
खोया ज़माना लाना ही होगा
ताकि हम फिर से वो पल
 पा सकें और मुस्कुरा सकें
 उन लम्हों को सहेजकर
 रखेंगे कहीं खोने न देंगे
 अपने से जुदा होने न देंगे
@मीना गुलियानी



रविवार, 24 नवंबर 2019

ये रात है कि

ये रात है कि काटे कटती नहीं
बदली ये ग़मों की छंटती नहीं
ज़िन्दगी की रफ़्तार घटती नहीं
आरजू की फ़ेहरिस्त घटती नहीं
साँसों की परवाज़ घटती नहीं
आँसुओं की बौछार थमती नहीं
तेरे बिन ज़िन्दगी कटती नहीं
@मीना गुलियानी 

ये भी होना था

ये भी होना था
ऐ मेरी ज़िन्दगी
तुझे यूँ खोना था
नहीं था बस में मेरे
यूँ ही रोना था
मैं था पागल परवाना
बेखुद यूँ होना था
@मीना गुलियानी 

कोमल धूप का स्पर्श मिला

कोमल धूप का स्पर्श मिला जब
धरती स्वर्ण सी जगमगा उठी
धानी चुनरिया सरसों की बाली
पहनकर धरा भी इठला उठी
माथे पे सिन्दूरी आभा मुकुट
सोहे धरा के पायल छनका उठी
चमके धान की फसल कण कण
शबनम से मोती दमका उठी
शोभा वर्णन करा न जाए वो
हीरे मोती भी अब दमका उठी
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 23 नवंबर 2019

आँखों का ही भ्रम था

आँखों का ही भ्रम था
तू मुझमें बहुत कम था
 यकीं दिल को नहीं होता
शायद ये मेरा वहम था 
मेरी वफ़ा में कुछ कमी न थी
तेरे इरादों में कोई ख़म था
ज़ज्बात हमारे जग ज़ाहिर हैं
तेरी साजिशों का मुझे ग़म था
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

शाम से दिल जल रहा है

शाम  से दिल जल रहा है
सुबह न जाने क्या होगा
धू धू करके आग बढ़ी है
हश्र इसका जाने क्या होगा
कोई तो आके इसको बुझाये
भड़क उठेगी तो क्या होगा
दिल के अरमां राख हुए हैं
कुरेदने से कुछ न मिलेगा
@मीना गुलियानी

हौंसला तू बनाये रख

सोच सदा तू आगे की रख
अन्तर्मन में गगन को छू ले
परचम तू लहराए रख
चाहे तूफ़ाँ रास्ता तेरा रोकें
कदम तू बढ़ाये रख
तेरा नाम  हो जग में ऊँचा
अलख दिल में जगाये रख
कामयाबी तेरे पग चूमे
हौंसला तू बनाये रख
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 21 नवंबर 2019

देखा ही तो था तुमको

चाहो तो सज़ा दे दो
मासूम गुनाहों की
देखा ही तो था तुमको
क्या और किया हमने

उस हुस्न मुजस्सम पर
कैसे न नज़र उठती
जब चाहते मंज़र में
उम्र बिता दी हमने

इजहारे बेबसी का
करते ही भला कैसे
दिल में तो बहुत चाहा
कहने न दिया गम ने
@मीना गुलियानी 

सपनों में मुस्कुराओगे

दिल में एहसास है बीते हुए लम्हों का
 इक दर्द सा उठता है दिल से जख्मों का
गुज़रा पल कैसे भुलाऊँ तुम बताओ मुझको
भूले से ही सही एक आवाज़ तो दे दो मुझको
लौटकर पास मेरे तुम यूँ ही चले आओगे
क्यों ऐसा लगे सपनों में मुस्कुराओगे
@मीना गुलियानी 

इतने तो मजबूर नहीं हो तुम

इतने तो मजबूर नहीं हो तुम
कि मुझसे मिलने आ न सको
इतने न बनो मगरूर भी तुम
 ग़लती मेरी तुम भुला न सको
गफ़लत में कभी मत रहना तुम
बुलाती रह जाऊँ तुम आ न सको
इतने भी तो मशहूर नहीं हो तुम
कि पास हमें तुम बुला न सको
इतनी दूर भी मत जाना तुम
तारे गिनती रहूँ तुम आ न सको
@मीना गुलियानी 

कर्म किये जा और जिए जा

कर्म किये जा और जिए जा
जिंदगी में कर्म ही प्रधान है
फल की चिंता तुम मत करो
तुम केवल अपना कर्म करो
ऊपर वाले के हिसाब से डरो
कभी कोई बुरा काम न करो
 उसूल बनालो अच्छे कर्म करो
जिंदगी में किसी से न डरो
तुम हमेशा परोपकार करो
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 20 नवंबर 2019

समझौता करते हैं

जीवन के कुछ पल शेष हैं
कहीं वो यूँ ही न गुज़र जाएँ
 हम फिर से जुदा हो जाएँ
उससे पहले समझौता करते हैं
जीवन ख़ुशी के रंग से भरते हैं
दोनों जुदा हम रह नहीं सकते
ये ज़हर हम पी नहीं सकते हैं
कब तक यूँ जिंदगी बिताएं
चलो झगड़ा ये खत्म करते हैं
आओ हम समझौता करते हैं
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 19 नवंबर 2019

ताले खुल जाते हैं

पुरुषार्थ की कोई भी सीमा नहीं है
बिना पुरुषार्थ कुछ मिलता नहीं है
चींटी रोज़ कितना पुरुषार्थ करती है
पक्षी पुरुषार्थ से घोंसला बनाते हैं
किसान पुरुषार्थ से अन्न उपजाते हैं
जो मानव पुरुषार्थ से जी चुराते हैं
वो जीवन में आगे बढ़ न पाते हैं
वो अपना जीवन व्यर्थ गंवाते हैं
जीवन के बीते पल लौट न पाते हैं
लक्ष्य प्राप्त न होने पर पछताते हैं
बिना पुरुषार्थ सफल हो न पाते हैं
पुरुषार्थ कुंजी से ताले खुल जाते हैं
@मीना गुलियानी 

मुझे बहुत प्रिय था

मुझे बहुत प्रिय था पहाड़ों पे जाना
नीचे से ऊपर के चक्कर  लगाना
पेड़ों की छाँव तुम्हारा वो गाँव
वो तारों भरी रात तुम्हारा साथ
पेड़ों के वो झूले जो कभी न भूले
पहाड़ों का झरना पेड़ों पे चढ़ना
वो बाग़ बग़ीचे वो गुलशन दरीचे
सब कुछ आँखों में तैर आता है
जब तू मुझे बहुत याद आता है
@मीना गुलियानी 

पुरुष तुम

पुरुष तुम प्रकृति बिना अपूर्ण हो
प्रकृति भी तुमसे ही पूर्ण होती है
न्रर और नारी ही सृष्टि कारक हैं
इन दोनों का मिलन रचनात्मक है
दोनों का परस्पर सहयोग जरूरी है
बिना पुरुष के नारी भी अधूरी है
शिव शक्ति के मिलन से संसार है
शक्ति बिना शिव शव समान है
नारी पुरुष की अर्द्धांगिनी कहलाती है
यही यथार्थ सत्य तथ्यात्मक है
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 18 नवंबर 2019

किरदार को गढ़ना पड़ता है

अपने किरदार को गढ़ना पड़ता है
हर क्षेत्र में आगे बढ़ना पड़ता है
व्यक्तित्व को निखारना पड़ता है
अस्तित्व को भी संवारना पड़ता है
जीवन में कुछ तो करना पड़ता है
बलिवेदी पर भी चढ़ना पड़ता है
समाज से भी टकराना पड़ता है
समस्याओं से  जूझना पड़ता है
मन में हौंसला रखना पड़ता है
@मीना गुलियानी 

मचले मेरा जिया

बुरा लगा था जब मुझसे तू रूठ गया
बिना बताये ही मुझसे दूर चला गया
 रिश्ते कोई मज़ाक नहीं जो तूने किया
तूने बता क्यों तड़पाया यूँ मेरा जिया
क्या हासिल हुआ सताके मुझको पिया
कुछ बात कहो मुझसे मचले मेरा जिया
@मीना गुलियानी 

अदावत नहीं है

मेरी तरफ से कुछ शिकायत नहीं है
तुम्हारी तरफ से भी मुरव्वत नहीं है
दुनिया गम भरी कुछ इनायत नहीं है
मुहब्ब्त की दिलों में रवायत नहीं है
लगी चोट सब्र की गुंजाईश नहीं है
हमारी तरफ से कोई अदावत नहीं है
@मीना गुलियानी 

रविवार, 17 नवंबर 2019

कहने दो मुझको

दुनिया के सितम बहुत सह चुके
 कब तक सहेंगे कहने दो मुझको
दिल में दबाके रखेंगे जो शोले
ये आग सुलगेगी जो हम न बोले
इसलिए अच्छा है कहने दो मुझको
@मीना गुलियानी 

मुझे भी सिखा दो

कहाँ से सीखा यूँ बातें बनाकर
सबको लुभाना मुझे सिखा दो
कहाँ से लाए इतनी तुम अदा
जिस पर सारी दुनिया है फ़िदा
ऐसा हुनर कोई मुझे सिखा दो
चेहरे पे नूर बरसता है ऐसे
घटा से चंदा निकला हो जैसे
कैसे निखरके संवरता रूप ऐसे
कोई तरीका मुझे भी सिखा दो
@मीना गुलियानी 

मुझको मुझसे छीन लिया

अपना कहकर तूने मुझको मुझसे छीन लिया
बताओ मुझे मेरे सनम ये सितम क्यों किया
अब तो बिल्कुल मेरे बस में नहीं है मेरा जिया
पता नहीं तूने ये कैसा गज़ब का जादू है किया
जब भी कभी दरवाज़ा खड़के चौंक उठे ये जिया
तेरी ही बाट जोहती रहती आँखें तरसें मोरे पिया
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 16 नवंबर 2019

सुनाई दे रही है

किसने मुझे पीछे से आवाज़ दी है
इस सन्नाटे में सिर्फ धुंध ही है
लेकिन तुम्हारी आवाज़ की खनक
मुझे दूर से ही सुनाई दे रही है
लगता है उन पर्वतों के पीछे से
दूर अमराईयों में पेड़ों के नीचे से
किसी आवाज़ की प्रतिध्वनि है
जो मुझे अपनी ओर खींच रही है
मैं एक कच्ची डोर सा लिपटा हुआ
खिंचता हुआ सा चला जा रहा हूँ
 फ़िज़ा में सिर्फ उसकी गूँज ही
सबको हरसू सुनाई दे रही है
@मीना गुलियानी

सतरंगी यादें

सतरंगी यादें आँखों में झिलमिलाती हैं
कितनी हसीन यादों को लेके आती हैं
दिल में वो इक तूफ़ान सा उठाती हैं
कबसे सोई हुई उमंगों को वो जगाती हैं
हम उन हसीन यादों में खो से जाते हैं
वो लम्हे जो हम कभी न भूल पाते हैं
तेरा तसव्वुर आँखों में तैरता रहता है
दिल में सतरंगी कैनवास उभरता है
हम मन की आँखों से तस्वीर बनाते हैं
दिल के कोने में तुझको हम बसाते हैं
@मीना गुलियानी

मेरा हमसफ़र है

अब तू जो बना मेरा हमसफ़र है
किसी बात की चिंता न फ़िक्र है
तेरी बाहों में ही गुज़रो बसर है
ज़िन्दगी इक सुहाना सफ़र है
मुझे किसी बात का न डर है 
तेरे संग आसान हर डगर है
न चुभते राह में शूल कंकर है
अब फूल सम लागे पत्थर है
 संग न दिन रात की ख़बर है
तू ही राहते जां तू ही रहबर है
अब मौत न ख़ौफ़ न कहर है
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

प्रेम बरसाओ

ज़िन्दगी को जीकर देखो यूँ ही न बिताओ
जो लम्हे मिले हैं वो  उन्हें हँसके बिताओ
कल किसने देखा है आज त्यौहार मनाओ
बीता समय न लौटेगा आज ख़ुशी मनाओ
जो सपने हैं करलो पूरे पल यूँ न गंवाओ
प्यार करो तुम सबसे चिंता को दूर भगाओ
सबको अपने गले लगाकर प्रेम बरसाओ
@मीना गुलियानी

आँखों को सपने दिखाए

घर की वीरानी मुझसे सवाल करती है
सूनी दीवारें और ये छत भी पूछती है
कहाँ गए वो दिन सुहाने गाते थे गाने
कहाँ गईं वो शामें चलते थे हाथ थामें
अब दम  घुटता है पँख पखेरू उड़ता है
कोई रूठे पल लौटाए गुज़रे ज़माने बुलाए
कोई नींद सुलाए आँखों को सपने दिखाए
@मीना गुलियानी 

एक पहचान हूँ मैं

मैं तो नासमझ और नादान हूँ
दुनिया की रस्मों से अन्जान हूँ
हूँ मैं तो सीधा साधा भोला भाला
मुझको पड़ा है समझदारों से पाला
जबसे मैंने होश संभाला बेजुबान हूँ
निन्दा छल कपट से दूर ही रहूँ मैं
केवल सच की एक पहचान हूँ मैं
@मीना गुलियानी 

कभी न मानेंगे हार

खुद ही कश्ती खुद ही पतवार
अब खुद ही उतरना है भवपार
तूफां का मुझे कोई खौफ नहीं
मँझधार में भी हम उतरेंगे पार
नीला अंबर मेरा प्रहरी बना है
रुकावटों को करेंगे हम दरकिनार
बाहों में भरकर हिम्मत हौंसला
लहरों से टकराएंगे हम बारम्बार
अब हर चुनौती मुझे है स्वीकार
जीतेंगे हम कभी न मानेंगे हार
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 14 नवंबर 2019

छाछ राबड़ी खाऊँगा

बच्चा सोचता है कब मैं बड़ा होऊँगा
फिर मैं भी सबपे हुकुम चलाऊँगा
सब लोग मेरा कहना मानेंगे सुनेंगे
नहीं मानेंगे फिर  तो मैं रूठ जाऊँगा
जब मनायेंगे तो मान भी जाऊँगा
अच्छे अच्छे कपड़े पहन बाहर घूमूँगा
बड़ा अफसर बनूँगा डटकर खाऊँगा
 अच्छे काम करके सपूत कहलाऊँगा
कोई रोकेगा नहीं स्कूटर कार चलाऊँगा
 नानी के गाँव में छाछ राबड़ी खाऊँगा
@मीना गुलियानी 

साँसों के साथ चलते हैं

बचपन के ख़्वाब आँखों में तैरते हैं
वो दिन हमेशा हमें याद रहते हैं
वो लम्हें हमें कभी गुदगुदा जाते हैं
 वो लम्हे हमें हँसाते कभी रुलाते हैं
बचपन में पानी में किश्ती तैराते थे
झूला झूलते थे तितलियाँ पकड़ते थे
कभी रूठते कभी दूसरे को मनाते थे
दिल में कोई द्वेष भेदभाव नहीं था
दिलों में नफरत नहीं थी प्यार था
बालू मिट्टी के घरोंदे बनाकर सजाते थे
बचपन के वो ख़्वाब दिलों में पलते हैं
धड़कनों में साँसों के साथ चलते हैं
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 13 नवंबर 2019

जल्दी नहीं है

मुझे लौटने की जल्दी नहीं है
अभी अभी तो घर से निकले हैं
कुछ फ़ुरसत के लम्हेँ मिले हैं
कुछ देर ताजी हवा में सांस लें
कुछ देर हँसके गाके ख़ुशी मना लें
गुज़रे लम्हो से उदासी मिटा लें
ये पल फिर मिलने वाला नहीं है
इसलिए आज अभी जल्दी नहीं है
@मीना गुलियानी 

देर हो जाती अक्सर

सोचते तो हैं तुमसे मिलें पर
मिलने में देर हो जाती अक्सर
तब तक राहों में कई उलझनें
पैदा होके रुकावट बनती अक्सर
तल्ख़ी हिम्मत नेस्ताबूद कर देती
तब हौसला हिम्मत बढ़ाता अक्सर
@मीना गुलियानी 

वक्त लगेगा

अभी मुझे समझने में वक्त लगेगा
अभी अभी तो मुलाकात हुई है
मिलने जुलने में वक्त तो लगेगा
रिश्ते कई बनकर टूट जाते हैं उन्हें
 नये सिरे से जोड़ने में वक्त लगेगा
बिछुड़े हुओं को भूलने में वक्त लगेगा
माला के मोती समेटने में वक्त लगेगा
@मीना गुलियानी 

सुलझाना चाहिए

तुम्हें ऐसे समय में मेरे साथ होना चाहिए
यही समय है रिश्तों को परखने के लिए
अगर कोई दुःख सुख में साथ नहीं देता
तो उन रिश्तों को निभाना भी किसलिए
ज़िन्दगी में कई समस्याएँ आती रहती हैं
जिन्हें आपस में बैठकर सुलझाना चाहिए
@मीना गुलियानी 

दिल आवारा दीवाना है

ये सच है कि प्रभु प्रेम में
दिल आवारा दीवाना है
इसके सिवा कोई नहीं है
कुछ भी भाता ही नहीं है
कुछ नज़र आता नहीं है
कोई रास्ता सूझता नहीं है
कोई इसकी मंजिल नहीं है
ढूँढे कहाँ वो मिलता नहीं है
@मीना गुलियानी 

बेदाग़ रखो

दिल को हमेशा बेदाग़ रखो
किसी के प्रति द्वेष न रखो
ईर्ष्या अभिमान दूर ही रखो
छल कपट खुद से दूर रखो
सबसे प्रेम सदभावना रखो
@मीना गुलियानी 

बाट निहारूँ

तुम मुझसे इतनी दूर हो
तुम्हीं बताओ कि ये शाम
मैं अब किसके साथ गुजारूँ
मैं तो हर पल पंथ निहारूँ
तुझे इक पल भी न बिसारूँ
तेरी ही मैं तो बाट निहारूँ
@मीना गुलियानी 

मर जायेंगे

रब न करे कि किसी दिन
तुम मुझसे दूर हो जाओ
और हम दीवानों की तरह
तुम्हेँ ढूँढते फिरते रह जाएँ
वो दिन बहुत दुखदाई होगा
हम दोनों एक दूसरे से बँधे हैं
 दोनों जुदा नहीं रह पायेंगे
बिछुड़े तो जीते जी मर जायेंगे
@मीना गुलियानी 

कैसे बदल गए हम

लम्हा लम्हा ज़िन्दगी में बदलते हुए हम
जाने कहाँ ग़ुम हो गए हैं हम और तुम
लगता ही नहीं जैसे कुछ हुआ है पूछने पे
 यही जवाब मिलता है कुछ पता ही नहीं
पहले तो हमें ऐसा कुछ भी हुआ न था
दिल यूँ हमारा भी कभी गुम नहीं हुआ था
अब दिल दिमाग होशो हवास दोनों हैं ग़ुम
पता ही नहीं हमें ऐसे कैसे बदल गए हम
@मीना गुलियानी 

ज्ञान का आधार हो

तुम ही ज्ञान का आधार हो
तुम ही विश्व के सृष्टा हो
तुम ही इसके पालनकर्ता हो
तुम विवेक के जाग्रतकर्ता हो
तुम सब सद्कर्मों के मूल हो
तुम्हीं संस्कृति का आधार हो
@मीना गुलियानी 

रविवार, 10 नवंबर 2019

गाएँ और मुस्काएँ

कल जो होगा वो देखा जाएगा
कल की चिंता तुम मत करो
आज तो अच्छी तरह गुज़ारो
आज फिर लौटकर न आयेगा
फिर कहीं तुम्हें पछताना न पड़े
इसलिए ये लम्हेँ हँसके गुज़ारो
तुम्हारे साथ हर पल सुहाना है
वरना मेरी ठोकर पे ज़माना है
वक्त हर पल में बदल जाता है
ये वक्त हर किसी को छलता है
कहीं फिर देर अन्धेर न हो जाए
इन्हीं लम्हों को खुशनुमा बनायें
आओ मिलके गाएँ और मुस्काएँ
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 9 नवंबर 2019

शान्त मन प्रबुद्ध मन

शान्त मन प्रबुद्ध मन
ज्ञान का होता है सिंचन
नए विचार होते उत्पन्न
कलुषित विचार होते अंत
हृदय में भावों का सावन
प्रेम पल्ल्वित होता मन
छलके अमृत यहाँ हरदम 
@मीना गुलियानी 

संभलकर रखना कदम

ख़्वाबों के शहर में बसते हैं हम तुम
इनमें खो न जाना कहीं मेरे हमदम
सपने तो सपने होते हैं बिछुड़े न हम
देखो सपना न टूटे बिखरें न कहीं हम
भूली बिसरी यादों का सा है ये उपवन
बसाया आशियाना जहाँ रहें हम तुम
खुला आसमां चाँद सितारे और हम तुम
ठंडी चले पुरवाई गीत सुनाये ये मौसम
 फूलों भरा गुलशन संभलकर रखना कदम
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

गुम होते गए

जितने मंजिल की ओर बढ़ते गए
उतने प्यार में हम पिछड़ते गए
दिलों में जज़्बात  कम होते गए 
दिनों दिन फ़ासले बढ़ते ही गए
अपनी दुनिया में गुम होते गए 
@मीना गुलियानी 

आशा मन में जगाती

लम्हों की तितलियाँ न जाने क्यों
फुर्र से उड़ जाती पकड़ में न आती
मैं उनके पीछे पीछे दौड़ भी लगाती
पर अपने हाथ ही मलते रह जाती
वो मेरे हाथ से यूँ ही फ़िसल जाती
मैं चुपचाप सोच में बैठी रह जाती
उनको न पकड़ पाने के कारण मैं
अपने मन ही मन में हूँ पछताती
फिर नित्य ही मन को धैर्य बँधाती
 प्रतिदिन नई आशा मन में जगाती
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 7 नवंबर 2019

हँसके सहो

स्थिर रहिए जैसे भी रहो
हर हाल में बस खुश रहो
सुख दुःख आते जाते हैं
इन सबसे मत उलझो
ख़ुशी आये इतराओ ना
दुःख से तुम घबराओ ना
हर स्थिति में शांत रहो
दुःख सुख हँसके सहो
@मीना गुलियानी 

भूल जाते हैं

तुम्हारी बाहों में आकर हम
सारी  दुनिया  भूल जाते हैं
हँसी लगता है ये सारा जहाँ
दर्दो अलम हम भूल जाते हैं
जन्नत की ख़ुशी पा जाते हम
ये चाँद सितारे भूल जाते हैं
@मीना गुलियानी 

दुनिया दिल पर हावी है

दुनिया दिल पर हावी है
ये बोझ दिल पर भारी है
ये भी तो एक बीमारी है
विपदा न टलने वाली है
मुसीबत की जड़ सारी है
ये कितने ताने देती है
मन का चैन हर लेती है
आफत ये हमने पाली है
घर मेरा सुकूँ से खाली है
@मीना गुलियानी

बुधवार, 6 नवंबर 2019

बात तो करो मुझसे

यूँ न रूठे रहो  तुम मुझसे
कुछ बात तो करो मुझसे
कैसे काटूँ जिंदगी का सफर
है कठिन बड़ी ये रहगुज़र
चुपचाप रहना न मुझे गवारा
ये गुस्सा नहीं मुझको प्यारा
माफ़ करदो गर ख़ता है मेरी
बात करो मुझसे करो न देरी
बिन बात किये रहा जाए ना
ये दूरी मुझसे सही जाए ना
@मीना गुलियानी 

फ़लसफ़ा तेरा ज़िन्दगी

बड़ा अजीब है फ़लसफ़ा तेरा ज़िन्दगी
कभी चढ़ती धूप कभी छाँव ज़िन्दगी
कभी रंग से भरपूर कभी बेनूर ज़िन्दगी
 खिलखिलाती कभी रुलाती ज़िन्दगी
 खुशनसीबी कभी बदनसीबी जिंदगी
हमसफ़र बन कभी साथी है ज़िन्दगी
सफर में तन्हा कभी छोड़ती ज़िन्दगी
@मीना गुलियानी 

आओ तो हो आराम

ओ प्यारी शाम तुम आओ तो हो आराम

सोचूँ जो बातें मैं तमाम लगे उनमें विराम

करें अठखेलियाँ आये फिर दिल को आराम

गुज़ारिश मेरी यही है कदमों में जाए ये जान
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 5 नवंबर 2019

सदा आ रही है

ज़िन्दगी तेरी रफ्तार बहुत तेज़ है
तुझसे आगे निकलने के लिए
मैंने भी अपनी रफ्तार बढ़ाई है
कहीं तुझसे पिछड़ न जाऊँ मैं
कुछ देर मेरे पास आकर बैठो
 बात करना अच्छा लगता है
तुम्हारा हाथ थामकर वो पल
मुझे फिर से याद आ जाते हैं
ज़िन्दगी अब दूर जा रही है
गुनगुनाने की सदा आ रही है
@मीना गुलियानी 

उन्हें नहीं लिखा

तुम्हें  कुछ बताना चाहती थी
फिर भी वो बातें नहीं लिखी
तुमसे कई  बातें छुपाकर रखीं
ताकि तुम्हें पढ़कर दुःख न हो
तुम्हारे दिल को ठेस न लगे
तुम्हारे एहसास मैं जानती हूँ
इसलिए चुपचाप सहन किया
चाहकर भी उन्हें नहीं लिखा
@मीना गुलियानी 

महल हमारे टूट न जाएँ

बहुत कुछ सोचा हम दोनों के बारे में
जिंदगी के फैसले जाने क्या हो जाएँ
हर कदम सोचकर हम बढ़ा रहे हैं
मंजिल पे कदम न कहीं डगमगायें
हकीकत में हर लम्हा हँसके बिताया
ख़्वाबों के महल हमारे टूट न जाएँ
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 4 नवंबर 2019

खुद को लिखते रहे हम

खुद को लिखते रहे हम
मेरा जीवन खुली किताब है
दुःख सुख इसमें भरा है
ये कैनवास की तरह है
जीवन वृत्त उकेरा है
बचपन से अब तक का
सारा इतिहास लिखा है
इसमें हास्य विषाद है
शान्त रस प्रधान है
जीवन चुनौती भरा है
मैंने स्वीकार किया है
हर हाल में इसे जिया है
@मीना गुलियानी

ये सिलसिला

जो भी हुआ अच्छा ही हुआ
पहरों जो दिल से था अनछुआ
अब दिल को वो हासिल हुआ
वक्त ने काम ऐसा किया
हमको फिर से मिला दिया
उसकी रहमत से तू हमें मिला
चलता ही रहे ये सिलसिला
@मीना गुलियानी 

रविवार, 3 नवंबर 2019

कोई उसको बताये

कोई उसको बताये
उसे ये समझाये
किसे कहते हैं प्यार
क्यों होता इंतज़ार
क्यों दिल बेकरार
क्यों तरसे बारम्बार
क्यों करे मनुहार
क्यों करे इकरार
क्यों है ऐतबार
@मीना गुलियानी 

जीत सकते हो तुम

जीत सकते हो तुम
हारी हुई बाज़ी भी
अगर तुममें हिम्मत है
बाज़ुओं में ताकत है
जीतने की ख़्वाहिश है
वक्त की नज़ाकत है
हौंसला और जुनून है
यही हक़ीक़त है
ज़ोर आज़माईश है
फ़ैसले की घड़ी है
मौत सिर पे खड़ी है
@मीना गुलियानी 

हम यहाँ बच गए

हर तरफ फरेब का जाल बिछा है
खुदा का शुक्र है कि हम बच गए
हर तरफ झूठ, लूट, गोलमाल है
हम खुद को बचाके आगे बढ़ गए
इक तरफ कुआँ इक तरफ खाई है
जो न सम्भल पाया चोट खाई है
हाल है पेड़ से गिरे खजूर में अटके
गनीमत यही है हम यहाँ बच गए
@मीना गुलियानी 

सुन्दर जीवन

हर साँस एक वरदान है
यह जीवन बहुत महान है
लेते साँस तो चलता जीवन
साँस रुके तो मिटता जीवन
तभी सफल होता ये जीवन
परोपकार करें जब प्रतिक्षण
करलो प्रभु का तुम सुमिरन
जिसने दिया सुन्दर जीवन
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 2 नवंबर 2019

टूटे दिल जुड़ सकते हैं

तुम चाहो तो टूटे दिल जुड़ सकते हैं
तुम चाहो तो बिछुड़े हुए मिल सकते हैं
तुम चाहो तो उजड़े चमन खिल सकते हैं
तुम चाहो तो पत्थर मोम से पिघल सकते हैं
@मीना गुलियानी 

मेरा ये परिवार

मेरा परिवार प्यारा परिवार
खुशियों का नहीं पारावार
सौगातों की है भरमार
अनमोल रिश्तों का भंडार
प्रेम की होती रहे बौछार
बसा रहे मेरा ये परिवार
@मीना  गुलियानी 

शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

हमें गवारा नहीं

तुमसे दूर रहना हमें गवारा नहीं
तेरे बिन मेरा तो अब गुज़ारा नहीं
कहाँ चल देते हो बिना बताये हुए
इक पल जीना तुम बिन गवारा नहीं
बिना तेरे मेरा कोई और सहारा नहीं
वो पल बताओ जब तुम्हें पुकारा नहीं
@मीना गुलियानी 

गुस्सा कहीं का उतारा कहीं

गुस्सा कहीं का उतारा कहीं
तुमने कुछ भी सोचा ही नहीं
बीती क्या मुझपे देखा नहीं
ठेस पहुँची कितनी देखा नहीं
रोती रही आँसू पोंछे ही नहीं
दिल तोड़ा मेरा सोचा ही नहीं
क्या ख़ता थी मेरी जाना नहीं
तुमने मुझे पहचाना ही नहीं
@मीना गुलियानी 

महकता ही रहे

दिन प्रतिदिन आप हमेशा यूँ ही
उन्नति की ओर अग्रसर रहें
यही है दुआ मेरी बढ़ते ही रहें
प्रेम का ये पुष्प सदा खिला रहे
दिल से ये दिल यूँ ही मिला रहे
ये सिलसिला सदियों तलक चले
जब तक फ़लक पे चाँद सितारे रहें
गुलशन फूलों से महकता ही रहे
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019

कमरे में सजाते थे

प्यार  कब जीवन में आया पता न चला
सुबह की धूप की तरह बिस्तर,दीवारों
सीढ़ियों से चढ़कर गलियारे में उतरकर
पेड़ पौधों की पत्तियों फूलों से गुज़रकर
दिल में समाया , मन को पुलकित किया
तुम्हारा साथ मेरे मन को बहुत भाता है
तुमसे हमेशा बात करने में मज़ा आता है
पेड़ों के झुरमुट में हम खो जाया करते थे
रंग बिरंगे चित्रों से हम अपनी जिंदगी का
खूबसूरत सा कैनवास कमरे में सजाते थे
@मीना गुलियानी 

दुआ हमेशा करते रहे

मेरा अब लौटना ही बेहतर है
तेरे कूचे से मन भर गया है
तुझे बिल्कुल भी परवाह नहीं है
यहाँ रुकने का फायदा क्या है
क्यों अपना दिल जलाते रहें
क्यों ख्वाबों को सजाते रहें
तेरी बेवफाई पर हम चुप रहे
तेरे लिए दुआ हमेशा करते रहे
@मीना गुलियानी 

करीब न आ सके

कुछ कमी हममें  ही थी जो
तुम्हें हम पा न सके
चाहा था तेरे साथ रहें हम
पर तेरे करीब न आ सके
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

याद रखते हैं

शब्दों से मेरा रिश्ता काफ़ी पुराना है
कभी ये शब्द गीतों की माला हैं
कभी ये किसी को जख़्म देते हैं
कभी किसी दिल के घाव भरते हैं
शरीर से ज़्यादा इनको संवारें
लोग चेहरे भूल जाते हैं लेकिन
शब्दों को लोग याद रखते हैं
@मीना गुलियानी 

रूठ गया मुझसे

वो जाने क्यों रूठ गए मुझसे
जाने क्या ख़ता हो गई मुझसे
 साथ धूप छाँव का एहसास था
अब तो  मौसम रूठ गया मुझसे
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019

होंठ सी लें चुप रहें

कहते नहीं बनता इसलिए चुप रहे
क्या करें हम तुम्हें किस तरह कहें
दुनिया के सितम हम सहते ही रहे
तुमसे न कहें तो और किससे कहें
कुछ कहने से बात बढ़ जाती है
बेहतर यही होगा होंठ सी लें चुप रहें
@मीना गुलियानी 

परवाह न करेंगे हम

एक धुन में निकल आये घर से
दिल में जो ठान लिया हमने
पूरा करके ही दम लेंगे हम
 अब किसी से न डरेंगे हम
चाहे ढाए दुनिया कितने सितम
 किसी की परवाह न करेंगे हम
@मीना गुलियानी 

हम भी तो हैं नहीं

भूल जाऊँ तुम्हें पर ये मुमकिन नहीं
ऐसे नादान तुम भी तो हो  ही नहीं 
मेरे रूठने पर तुम हो जाते हो परेशां
इतने अनजान हम भी तो हैं नहीं
@मीना गुलियानी 

जिस पर हो रहम

ज़िन्दगी से आज मिले हम
ऐ ज़िन्दगी तेरा है मुझपे कर्म
तू भी सुना इम्तेहान लेती है
 पास करता जिस पर हो रहम
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 28 अक्टूबर 2019

तड़फड़ाता है

त्यौहार बीतने पर जब
ये जमघट छंट जाता है
सब तरफ इक सन्नाटा
छाकर क्यों हमें डराता है
मन व्याकुल हो जाता है
दिल घायल हो जाता है
घर काटने को आता है
कटे पँख सा हो जाता है
पंछी फिर कैद हो जाता है
उड़ने को तड़फड़ाता है
@मीना गुलियानी 

रविवार, 27 अक्टूबर 2019

सबने पर्व मनाया

पर्वत जीवन देने वाले
होते हैं कितने निराले
देते हैं खनिज सम्पदा
और वर्षा को लाने वाले
एक बार कुपित होने पर
जब इंद्र ने जल बरसाया
रक्षाहित श्री कृष्ण जी ने
गोवर्धन अंगुली पे उठाया
की क्षमायाचना प्रभु से
था इंद्र बहुत पछताया
तबसे गोवर्धन पूजा का
हर्ष से सबने पर्व मनाया
@मीना गुलियानी 

छूटती फुहार

प्यार से कह देते एक बार
हमारे लिए हो तुम बेकरार
करते हो तुम हमारा इंतज़ार
मन में ख़ुशी की छूटती फुहार
@मीना गुलियानी 

जीना सिखाया

ये दिल कभी न भूलेगा
वो शाम चिराग़ों वाली
जब हमने मनाई दीवाली
तुमने दुनिया करी रौशन
दिल में इक उम्मीद जगाई
दिल की कली भी मुस्कुराई
मेरी दुनिया को तुमने सजाया
फिर से मुझको जीना सिखाया
@मीना गुलियानी 

हौंसला बढ़ाओ

आज हवा का रुख तेज़ है
मुझे डर है मेरे प्यार का दीया
कहीं वो बुझा न दे इसलिए
तुम इसकी ओट बन जाओ
ताकि ये हमेशा रोशन रहे
दुनिया की हर मुसीबत में
मेरे साथ ओट बनके रहो
जिंदगी के हर मोड़ पर तुम
चट्टान बनकर  हौंसला बढ़ाओ
@मीना गुलियानी 

दीवाली मनाएँ

किस्मत ने मुझे तुमसे दूर कर दिया
हर तरफ तन्हाई का सन्नाटा है
दिल ये चाहता है तुम मेरे साथ रहो
फिर से हम प्यार के नगमे गुनगुनाएँ
खुशियों उल्लास भरी दीवाली मनाएँ
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 26 अक्टूबर 2019

वो लोग कहाँ चले गए

जाने वो लोग कहाँ चले गए
जिनसे दुनिया की रौनक थी
जो हर दिल को  अज़ीज़ थे
जिनसे ये घर घर लगता था
जिनसे फ़िज़ा महकती थी
जिनसे महफिलें सजती थी
जो अपनी बातों से रिझाते थे
जो कलाम पढ़कर सुनाते थे
जो वफ़ा के नगमे गाते थे
उनके न होने से बेनूरी है
 अब हरसू सन्नाटा पसरा है
काश वो दिन फिर लौट आएँ
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019

क्या खरीदने निकले हो

आज तो धनतेरस है
खुशियों की बरसात है
आसमान से चंदा पूछे
क्या खरीदने निकले हो
@मीना गुलियानी 

दामन ख़ुशी से भरें

दीवाली की रात है उल्लास से हम भरें
खुशियों के दीपक से मन में उजाला करें
अन्धकार को दूर भगाएँ रोशन जहाँ करें
वैमनस्य की दीवार गिरायें सौहार्द को भरें
सबके आँसू  पौंछकर  दामन ख़ुशी से भरें
@मीना गुलियानी 

तुम हो ग़ुम

चाय पिओ क्यों बैठे गुमसुम
कितना ख़ुशग़वार है मौसम
आओ साथ में बैठें हम तुम
किन ख्यालों में तुम हो ग़ुम
@मीना गुलियानी

अनमोल धन

जीना तो है उसी का
जिसने ये  राज़ जाना
है काम आदमी का
औरों के काम आना
हो गरीब गर है कोई
बन उसका तू सहारा
हो भंवर में नाव जिसकी
उसको दिखा तू किनारा
अनमोल धन यही है
यही माल है खज़ाना
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 24 अक्टूबर 2019

शाम उदासी की मूरत है

शाम उदासी की मूरत है
दिल को तेरी ज़रूरत है
सर्द हवा बड़ी पुरज़ोर है
सुझाई न दे कोई ठोर है
मौसम के कैसे हालात हैं
बिगड़े हुए जज़्बात हैं
कैसे ढूँढूँ तुझे इस जहाँ में
दिल में दर्द भरता रहा है
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 23 अक्टूबर 2019

तेरे हाथ में है

नाव मेरी पड़ी मँझधार पतवार तेरे हाथ में है

सबके दिलों के अरमां तुम ही तो पूरे करते 
सबकी झोलियाँ भी रहमत से अपनी भरते
मेरे तो तुम खिवैया मँझधार साथ में है

आये जो दुखिया दर पे आँखों में लेके आँसू
हर लेते उसके दुःख को और पोंछ देते आँसू
तेरा ही आसरा है तकदीर तेरे हाथ में है
@मीना गुलियानी 

टकरा जाती है

कुछ भी कहो दिल की बात
जुबां पर आ ही जाती है
आपस में कितनी दूरी हो
ये चाहत खींच ही लाती है
तमन्ना बेताबी मिलन की
दिल को तड़पा ही जाती है
चिलमन में कितना छिपाओ
नज़र फिर भी टकरा जाती है
@मीना गुलियानी 

तुम्हें फ़ुरसत नहीं ज़रा सी

तुम्हें फ़ुरसत नहीं ज़रा सी बात करने की
इतनी मसरूफ़ियत है सिर्फ दिखावेपन की
हम सब जानते हैं बातें तुम्हारी हर पल की
घड़ी भर तो करलो  हमसे बात मतलब की
@मीना गुलियानी 

वो हर लेता

कोई तो हो जिसे हम अपना कहते
जिसे हम अपने दुःख सुख कह सकते
चाहे वो पास में या दूरी पर ही होता
लेकिन वो दिल के बहुत करीब रहता
बिना कुछ बताये वो सब जान लेता
दिल की सारी पीड़ा को वो हर लेता
@मीना गुलियानी 

यूँ ही नहीं होता

किसी से प्रेम यूँ ही नहीं होता
इतना ऐतबार यूँ ही नहीं होता
दिल बेकरार यूँ ही नहीं होता
हर लम्हा इंतज़ार ही नहीं होता
@मीना गुलियानी 

आज भी है कल भी रहेगा

तेरा मेरा रिश्ता आज भी है कल भी रहेगा
ये बंधन अटूट , आत्मिक और नैसर्गिक है
समे भवन के पुष्प हैं बहुत अनमोल हैं
इसमें कहीं  भी बनावट नहीं प्रेम भरा हुआ है
कोई भी छल कपट नहीं निस्वार्थ भावना है
इसलिए ही हमारा रिश्ता हमेशा कायम रहेगा
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019

तड़पाना ही था

मैं आज भी उन लम्हों को
याद करके डर सी जाती हूँ
जब तुम परदेस गए थे
तन्हा मुझे छोड़ गए थे
इक इक पल था भारी
सिर पे थी ज़िम्मेदारी
बोझिल था तन्हा जीना
वो ज़हर पड़ा था पीना
दिले नादां को बहलाना था
उस लम्हे ने तड़पाना ही था
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 21 अक्टूबर 2019

ये मोह माया

इक दिन तो सब खत्म होगा
जागो तभी तो सवेरा होगा
कर्म नेकी के कमा ले बंदे
आगे की कुछ सोच ओ बंदे
साथ नहीं फिर कुछ जाएगा
खाली हाथ ही लौट जाएगा
कई जन्मों बाद ये तन पाया
हीरा जन्म विषयों में गंवाया
नाम प्रभु का न तूने ध्याया
छोड़ दे झूठी ये मोह माया
@मीना गुलियानी

रविवार, 20 अक्टूबर 2019

चाहे जब बंद करे

ज़िन्दगी की रील में सब कैद हो गया
जीवन तो खेल तमाशा है एक दाव है
कोई खिलाड़ी जो चतुर होता है वह
इसे बहुत होशियारी से खेलता है
अनाड़ी इस खेल में पिछड़ जाता है
इस रील में बचपन से ढलती उम्र की
दास्तान दर्ज़ है जब जी चाहे देख लो
बचपन की हँसी ,नादानियाँ ,शैतानियाँ
भोलापन नटखट प्यारा सा बचपन
अल्हड़पन का शर्माना ,इतराना ,बातें
बनाना , जुल्फें लहराना ,खिलखिलाना
नज़रों से जादू चलाना सब इसमें लबरेज़ है
फिर भी ज़िन्दगी की असली रील तो सिर्फ
उस ऊपरवाले के हाथ में है चाहे जब बंद करे
@मीना गुलियानी

शनिवार, 19 अक्टूबर 2019

ऐतबार करेगा

कौन तुम्हें हमारी तरह याद करेगा
कौन तुम्हें हमारी तरह ही चाहेगा
कौन दिन रात यूँ  इंतज़ार करेगा
कौन ऐसे तुम्हारा ऐतबार करेगा
@मीना गुलियानी 

गुनगुनाते रहो

तुम्हारे खुश रहने की दिल दुआ करता है
तुम्हारे संग ही रहने को ये दिल करता है
न देना कभी तुम सदमा इसको जुदाई का
सह  पायेगा न ये ग़म कभी बेवफाई का
तुम यूँ ही सदा मुस्कुराते खिलखिलाते रहो
नगमे प्यार और वफ़ा के गुनगुनाते रहो
@मीना गुलियानी 

फिर आवागमन


ये न सोचो क्या होगा
हे मन तज दे व्यर्थ का चिंतन
भूल जा अपनी तू चतुराई
ले ले प्रभु की तू शरण
जग में वो ही तारणहार
घाट  घाट पानी देखा
मिटी नहीं तृष्णा रेखा
वो ही पाले वो संभाले
करदे जीवन उसके हवाले
मिट जाए फिर आवागमन
@मीना गुलियानी

शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2019

वर्षा वो करें

पहाड़ों से सीखो कैसे शान्त रहें
उनसे धैर्य भी सीखो अडिग रहें
तूफां बारिश बिजली सहन करें
अविचल कर्म में वो डटे ही रहें
प्रहरी बन देश की रक्षा वो करें
 खनिज वनस्पति धारण करें
परोपकारी बन वो कल्याण करें
भीषण सन्ताप धरा के वो हरें
वृक्षों से हरियाली वर्षा वो करें
@मीना गुलियानी 

बाधा न करें

घर पहुँचते पहुँचते लगा जैसे कुछ पीछे छूट गया
लगा कोई प्यारा साथी हमसे आज रूठ ही गया
कितने अरमानों से इस घर को बसाया था हमने
वो सपना भी तो टूट गया जाने क्या किया हमने
इस आशियाने को सितारों से हमने सजाया था
तिनका तिनका जोड़कर घर हमने बसाया था
तन और मन दोनों साथ नहीं चलते हैं कभी कभी
जब मन नहीं आगे बढ़ना चाहता तो पाँव भी
वहीँ रुक जाते हैं उम्मीद के पँख लगाके रखो
समय समय पर तन और मन को परखा करो
ताकि दोनों हिलमिलकर चलें बाधा न करें
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 12 अक्टूबर 2019

ज्ञान है

क्या पुस्तकों को पढ़ना ज्ञान है
क्या विज्ञानं, अध्यात्म जानना
तंत्र, मंत्र की साधना ज्ञान है
आखिर क्या है इसकी परिभाषा
मेरे विचार से कर्तव्यनिष्ठ रहना
सत्कर्म करना और सच कहना
किसी का दिल न दुखाना ज्ञान है
@मीना गुलियानी 

आया ज़लज़ला

कुछ देर पहले वो हमसे मिला
आज पता चला वो दूल्हा बना
सजी बारात बजे ढोल बाजे
मगर आशियाँ किसी का जला
पता न था कयामत यूँ आएगी
न जाने कहाँ से आया ज़लज़ला
@मीना गुलियानी 

मैं उतारूँ

शाम तेरे साथ गुज़ारूं
तेरी पल पल बाट निहारूँ
तुझे इक पल न बिसारूँ
तुझे हर पल मैं निहारूँ
तुझे दिल में मैं उतारूँ
तेरी आरती मैं उतारूँ
@मीना गुलियानी 

सीख लिया

हमने हर हाल में जीना सीख लिया
डर नहीं लगता लहरों तूफ़ानों का
मौजों के थपेड़ों में तैरना सीख लिया
हमने तो खुद्दारी से जीना सीख लिया
हँसते हँसते जीना मरना सीख लिया
मौत की परवाह न करना सीख लिया
@मीना गुलियानी 

न घबराना चाहिए

ज़िन्दगी अब मुझसे तुम्हें क्या चाहिए
राहों में मुश्किलें तो आती जाती रहेंगी
खुद को ठोकर लगेगी सम्भलना चाहिए
हर ग़म सबसे छुपाकर हँसना ही चाहिए
वक्त तो हमेशा आँख मिचौनी खेलता है
ज़िन्दगी को अँधियों से बचाना चाहिए
किसी संकट आने से न घबराना चाहिए
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019

कोई तुमसे सीखे

बातों से सबको अपना बनाना कोई तुमसे सीखे
चोरी से किसी दिल को चुराना कोई तुमसे सीखे
वादे को  करना और भूल जाना कोई तुमसे सीखे
इन आँखों से दिल में उतर जाना कोई तुमसे सीखे
शोख नज़रों से घायल कर जाना कोई तुमसे सीखे
हर बात पे हँसना और मुस्कुराना कोई तुमसे सीखे
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019

परोपकार करो

दुआ माँगते चलो जिधर से तुम गुज़रो
गुलशन की हरी रहे हर डाली कभी
किसी भी बाग़ से न रूठे कोई माली
हमेशा दुआ  करते रहो सजदे में रहो

कभी झोली किसी की न हो खाली
हर घर में उमंगें हों और खुशहाली
न कोई भूखा हो सबसे प्यार करो
कुछ अपने हाथों से परोपकार करो
@मीना गुलियानी 

ज़रूरी है

तुम आके मिल जाओ ना
तुमसे कुछ कहना जरूरी है
प्रेम में मनुहार ज़रूरी है
कभी कभी तकरार जरूरी है
प्रेम का इज़हार ज़रूरी है
रोज़  मुलाकात भी ज़रूरी है
प्रेम के पौधे को बचाने को
प्रेम से सींचना भी ज़रूरी है
@मीना गुलियानी 

दिल बहलाने

जब मैंने कुछ कहा तो किसी ने न सुना
अब चुप हुआ तो सबने बनाये अफ़साने
गुज़ारे कितने ही लम्हे यूँ तेरे बगैर
अब तो खुद भी लगने लगे हैं दीवाने
ये चाँद सितारे भी आज ग़ुम क्यों हुए
गए हैं शायद किसी का दिल बहलाने
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 9 अक्टूबर 2019

एक पल भी मुझसे

अब ज़रूरी हो गया तेरा मिलना मुझसे
अब कोई भी बहाना न सुनूँगी मैं तुमसे
रोज़ कितने बहानों से बचते रहे मुझसे
 अब बताओ कब मिलोगे तुम मुझसे
बरसों दिन रात काटे बिछुड़कर तुमसे
अब रहा जाए न एक पल भी मुझसे
@मीना गुलियानी 

मेरी भी बढ़ गई

ख़्वाबों की खिड़कियाँ खुल गईं
नींद मेरी आँखों से उड़ गई
खुशबु हवाओं में बिखर गई
तेरी चुनरिया सरक जो गई
बदन में सिहरन सी भर गई
पेड़ से बेल सी तू लिपट गई
तो धड़कन मेरी भी बढ़ गई
@मीना गुलियानी 

बिखर जाता है

जब कोई मर्यादा का उल्लंघन करता है
तो उसका हँसता खेलता परिवार भी
तिनका तिनका होकर बिखर जाता है
सबको घर के संस्कार निभाने चाहिए
घर की देहलीज़ पार नहीं करनी चाहिए
  आचार,विचार अच्छा ही होना चाहिए
घर समाज से बँधा रहता है उसके नियम
कई बार सबको पालन करने ज़रूरी हैं
मनुष्य का नैतिक पतन तभी होता है
जब वो समाज के नियम तोड़ता है
तभी सब कुछ उसका बिखर जाता है
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 8 अक्टूबर 2019

पर्दा रहता है

आजकल सच और झूठ का
 पता लगाना मुश्किल है
अपनी बात को सच साबित
करने में झूठ का सहारा
लेते हुए अनेकों को देखा है
 सच और झूठ में अंतर भी
यदाकदा कम ही होता है
 कभी लगता है इनसे परे
भी कुछ हो सकता है पर
क्या उस पर पर्दा रहता है
@मीना गुलियानी

तुम्हें प्रणाम

विपदा में एक साथी भगवान
इनके बिना न हो कोई काम
निर्बल के बस वो ही राम
दुःख में कोई न आवे काम
हमें सहारा तेरा ही राम
आठों याम करें तुम्हें प्रणाम
@मीना गुलियानी

इतना सताते हो

आजकल तुम न जाने कहाँ खो जाते हो
ढूँढने पर भी कहीं नज़र नहीं आते हो
गाँव के चप्पे चप्पे में तलाश किया तुम्हें
 न जाने किन वादियों में ग़ुम हो जाते हो
सिर्फ तुम्हारी यादें ही मेरे पास रहती हैं
 मुझसे बोलती हैं तुम सपनों में आते हो
पता नहीं तुम क्यों मुझे इतना सताते हो
@मीना गुलियानी 

कर शत्रु मर्दन

है उन सबका दशमुख मन रावण
जो करते हैं सदैव अशुभ चिन्तन
कैसे मना सकते हैं  हम दशहरा
जब तक इन दोषों का हो न शमन
कैसे कहलायें विजयी हम जब तक
दूषित रहे ये अंतर्मन का चिन्तन
आओ इस पर्व लें संकल्प और प्रण
करेंगे विजयी ये मन कर शत्रु मर्दन
@मीना गुलियानी

अधिकारी हैं

काम ,क्रोध ,लोभ ,मोह ,अहंकार
ईर्ष्या ,द्वेष ,आलस्य,छल,हठ
यही हैं अंतर के दस रावण जिन्हें
हराकर ही हम विजयपर्व ख़ुशी से
मनाकर दशहरे की शुभकामना
स्वीकार करने के अधिकारी हैं
@मीना गुलियानी 

दीवानापन है

यह कैसी उधेड़बुन है
मन को तेरी लगन है
मन को तेरी ही धुन है
कैसा ये पागलपन है
दिल सोच में मगन है
क्यों ये दीवानापन है
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 7 अक्टूबर 2019

पीड़ा बढ़ाते हैं

किसी की पीड़ा को कौन समझे
केवल व्ही जान सकता है जिसने
इस दर्द को खुद कभी झेला हो
बाकी दुनिया तो मज़ाक उड़ाती है
सबसे अपना दर्द छुपाना चाहिए
उजागर होने पर दर्द नासूर बनता है
रह रह कर उसमें टीस उठती है
लोग भी कुरेदकर पीड़ा बढ़ाते हैं
@मीना गुलियानी 

सागर से सीखना होगा

अपने मन में सागर की गहराई रखना
जैसे सागर सब लहरें तूफ़ान झेलता है
कितनी भी विषम स्थिति हो सागर
हमेशा शांत ,धीर, गंभीर नज़र आता है
उसमे हर दुःख दर्द सहने की शक्ति है
सिर्फ हम लोग ही दर्द में कराहते हैं
हमें अपनी सहनशक्ति बढ़ानी होगी
यह गुण हमें सागर से सीखना होगा
@मीना गुलियानी 

उत्तर उसे दो

इस दुनिया में मेरा कौन है
यह प्रश्न मैं खुद से पूछती हूँ
मन तो कोई जवाब नहीं देता
चुपचाप सिर्फ सुनता रहता है
सबको साथी की ज़रूरत होती है
वरना जीना दूभर हो जाता है
साथी के सहारे वक्त कटता है
कोई साथी न मिले तो खुद ही
अपने साथी बनो खुद बात करो
खुद ही प्रश्नों के उत्तर उसे दो
@मीना गुलियानी 

रविवार, 6 अक्टूबर 2019

रोशन होता है

मिट्टी के हैं रंग निराले 
मिट्टी से ही जन्म लेते हैं 
मृत्यु आने पर सब ही 
मिट्टी में विलीन होते हैं 
तन माटी का दीपक है 
प्रेम इसकी बाती है 
दीपक तब तक जलता है 
जब तक इसमें तेल हो 
जब तक शरीर में साँस है
 दीपक रोशन होता है 
@मीना गुलियानी 


जैसे निखरे

गुलदस्ता परिवार का बँधा रहे
कभी भी ये न बिखरे
हर रंग के फूल हों खिले
उनकी सुगंध चहुँ ओर बिखरे
ओसकण हीरे जैसे निखरे
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 5 अक्टूबर 2019

सिर तो देना पड़ेगा

अपनी जिम्मेदारी को निभाना पड़ेगा
इससे कोई भी भाग नहीं सकेगा
हकीकत का सामना करना पड़ेगा
ओखली में सिर तो  देना पड़ेगा
@मीना गुलियानी 

सामना करता है

जो जीवन में चुनौती स्वीकारता है
वह किसी भी क्षेत्र में हारता नहीं है
हर कार्य को गम्भीरता से लेता है
हर कार्य को पूर्ण करना लक्ष्य है 
पूरी तन्मयता से एक योद्धा जैसे
हर मुसीबत का सामना करता है 
@मीना गुलियानी 

आज पराया

तुमने तन्हा रहकर देख लिया ना
क्या कुछ सुकूँ तुम्हें मिल पाया
हर तरफ इक सन्नाटा सा छाया
दूर हुआ तेरा अपना भी साया
हुआ मनमीत भी आज पराया
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2019

बड़े झूठे निकले

हकीकत तो खुल ही जाती है
सपने तो सपने ही होते हैं
वो हकीकत नहीं बन सकते
ऐसा एहसास होते हैं जिन्हेँ
आप सिर्फ महसूस करते हो
उन्हें आप छू नहीं सकते हो
जागृति में नहीं मन में देखो
बंद आँखों से अंतर्मन में देखो
नहीं तो फिर तुम ही कहोगे
कि दोनों ही बड़े झूठे निकले
@मीना गुलियानी 

फ़साना बन जाए

हाले दिल लिखा नहीं जाता
मन की आँखों से इसे पढ़ो
लफ़्ज़ों में लिखा नहीं जाता
जज़्बात जुबां पर आये तो
डर लगता हमें रुसवाई का
हर अश्क जो आँखों से आये
खुद एक फ़साना बन जाए 
@मीना गुलियानी 

पहिया चलता है

समय बहुत ही बलवान है
भगवान ने ये संसार रचा है
उत्पति और विनाश का
इसमें समन्वय किया गया है
ज़िन्दगी को जीना पड़ता है
यह सफर तय करना पड़ता है
समय का पहिया चलता है
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 3 अक्टूबर 2019

नाचता है

नए रिश्ते बनाने में वक्त लगता है
दिल इतनी जल्दी स्वीकारता नहीं
जिन्हें स्वीकारता है उन्हेँ भूलता नहीं
पल पल उनकी याद में खोया रहता है
पास न होने पर उदास बैठा रहता है
मिलने पर उमंग से भरकर नाचता है
@मीना गुलियानी 

ओझल हो घन

ज़िन्दगी को पता नहीं विधाता ने
न जाने किस स्याही से लिखा है
उसमे न जाने कितने ग़म लिखे
कितनी खुशियाँ लिख दी होंगी
जब सही वक्त आता है तब ही
पता चलता है सुख दुःख  तो
बारी बारी से आते जाते रहते हैं
सुख दुःख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो भरपूर कभी
घन में ओझल हो शशि तो
कभी शशि में ओझल हो घन
@मीना गुलियानी

बुधवार, 2 अक्टूबर 2019

मदहोश किए जाए

मुझमें भी तो  इक जंगल है
जाने कितने पेड़ उगे हैं
कितने ही विचार उमड़े हैं
कितनी बेल लताएँ लहरायें
जिसमे मन मेरा झूमे जाए
किसकी ये बांकी चितवन है
तन को मेरे जो सिहरा जाए
दिल को मदहोश किए जाए
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019

मुहब्बत नहीं होती

यूँ तन्हा रहने से उदासी कम नहीं होती
बता कौन से दिन आँखें नम नहीं होती
दिल करता इंतज़ार मुलाक़ात नहीं होती
कहते सुनते बहुत हैं मनुहार नहीं होती
दिल घुटता है इज़हारे मुहब्बत नहीं होती
@मीना गुलियानी 

सबका जीवन

यही है प्रार्थना मेरी भगवन
खिला रहे खुशियों से आँगन
गुलों से महकता रहे गुलशन
ऋतु वसन्त का हो आगमन
मंगलमय हो सबका जीवन
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 30 सितंबर 2019

सहा न जाए

अब ज़िन्दगी में बची है सिर्फ तन्हाई
मुझे यह डर है कहीं हो न जाए रुसवाई
बिना तुझसे मिले जिया भी न जाए
आँखों ने भी देखो ग़म में आँसू बहाए
दर्द ये दिल का हम अब किसको बताएं
मुझसे अब बिल्कुल भी सहा  न जाए 
@मीना गुलियानी 

मान भी जाओ

आज देश में हर तरफ है पानी
सड़क भी टापू बनी जाने क्या
है दुश्मनी हाहाकार मच रहा
आदमी हुआ लाचार है बेज़ार
पानी अब तू ही बता क्यों खफ़ा
हुई क्या हमसे ऐसी भी ख़ता
जिधर तक भी हमने नज़र डाली
हर तरफ पानी से छाई बदहाली
हरसू प्रलय के ताण्डव का नज़ारा
इन्सान ख़ौफ़ के मंज़र का मारा
कौन संभाले पड़ रहे रोटी के लाले
पहले था जहाँ अकाल और सूखा
आज पानी के कारण है वो भूखा
हे इंद्रदेव अब मत पानी बरसाओ
 त्राहि त्राहि मची मान भी जाओ
@मीना गुलियानी 

रविवार, 29 सितंबर 2019

समझो मुझे

मैंने तुम्हें कितनी बार कहा कि
देखो मुझे जानो और समझो मुझे
 लेकिन तुमने नज़र अंदाज़ किया
हर बार मुझे ही चुप रह जाना पड़ा
पर अब मेरी हालत पर तरस खाओ
मुझे देखो,मुझे जानो ,समझो मुझे
@मीना गुलियानी 

दीवार बन रहे हो

अब क्या है जो तुम मेरा पीछा करते हो
देखो तुम्हारे मेरे रास्ते अब अलग हैं
मैंने अपने दिल की दुनिया बसा ली है
तुम अपने रास्ते चलो मुझे भी जाने दो
तुम भी आगे बढ़ो मुझे भी बढ़ने दो
क्यों तुम मेरे रास्ते की दीवार बन रहे हो
@मीना गुलियानी

तुम साथ रहोगे

ताकि दिल ज़िन्दा रहे तुम मेरे बनके रहो
तुम मेरे रहोगे तभी तो मैं भी जी पाऊँगी
बिन तुम्हारे इक पल भी न रह पाऊँगी
तुम जाओगे तो धड़कन भी रुक जायेगी
दिल ज़िन्दा रहेगा जब तुम साथ रहोगे
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 28 सितंबर 2019

तुम रख लो

दिल तो है अनमोल फिर भी तुम रख लो
कोई दे न पाए इसका मोल तुम रख लो
सबसे छिपाके रख लो सबसे बचाके रख लो
टूट न जाए कहीं दिल में अपने बसाके रख लो
तेरे वादे पे ऐतबार करके दिया दिल तुझको
चुपचाप ज़हर पीके मुस्काये देके इसे तुझको
है ये चाहत की पूँजी बड़ी इसे अब तुम रख लो
@मीना गुलियानी 

सुलझायें कैसे हम

दुःख इस बात का नहीं कि तुम दूर हो
तुम हकीकत से अन्जान हो ये दुःख है
हम वक्त के सितम चुपचाप सहते रहे
तुम कुछ भी न कर पाए बस बैठे रहे
सारी उम्मीदें टूट चुकी संभलें कैसे हम
जिंदगी की उलझनें सुलझायें कैसे हम
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

कहीं डगमगायें

काश इस मंज़र में तुम साथ होते
तो जिंदगी का सफर कट जाता
यूँ तो हर कोई अन्जाना लगता है
तुम्हारा साथ अपना सा लगता है
हर कदम सोचकर हम बढ़ा रहे हैं
मंजिल पे कदम न कहीं डगमगायें
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 26 सितंबर 2019

समुन्द्र बनेगी जिंदगी

सब अपनी सूरत को ही संवारते रहते हैं
सीरत की तरफ किसी की नज़र नहीं है
इसलिए धूप  का कतरा बन गई जिंदगी
मुक्ति को भी आज छटपटा रही जिंदगी
जो आत्मचिंतन करेगा संवरेगी जिंदगी
नहीं तो पीड़ा का समुन्द्र बनेगी जिंदगी
@मीना गुलियानी 

धोखा न करेंगे

कुछ सोचकर हम चुप रह गए
 क्योंकि हमारे विचार नहीं मिले
फिर भी तुमसे शिकवा न करेंगे
तुम्हें कभी हम रुसवा न करेंगे
तुमसे कभी भी तकाज़ा न करेंगे
हम कभी तुझसे धोखा न करेंगे
@मीना गुलियानी 

हालात बदलेंगे

मेरी मानो तो हम अपने गाँव चलें
वहाँ जाकर ही हमें सुकून मिलेगा
ग़म तेरे आने से ख़ुशी में बदलेंगे
हम इसपे कायम हैं हालात बदलेंगे
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 25 सितंबर 2019

कोई महत्व नहीं

जब फसलें सूखें जल के बिन
धरती की छाती फट जाए
फिर देर से जब बरसे पानी
उसका फिर कोई महत्व नहीं
@मीना गुलियानी 

जल रहा है

तेरे सिवा मुझे कुछ भाता नहीं
कहाँ तुझे ढूँढूँ नज़र आता नहीं
मेरे दिल में दर्द सा भर रहा है
मेरे दिल में दिया जल रहा है
@मीना गुलियानी 

सबसे छिपाया

जिंदगी के ऐसे हालात हुए
अपने अजनबी जब बन गए
कोई हमदर्द को पास न पाया
अपनी परछाईं को ही अपनाया
उसे ही अपने सुख दुःख का
 साथी बनाया सबसे छिपाया
@मीना गुलियानी 

मेरा लक्ष्य है

अब कोई अँधेरे रास्ते मेरी राह नहीं रोक सकते
मैंने अपने जीवन का लक्ष्य चुन लिया है और
अब इस अन्धकार को भेदकर बाहर आना है
मैं खुद को जानना चाहती हूँ क्या है मेरा अस्तित्व
अब मुक्ति पाना शून्य से उबरना मेरा लक्ष्य है
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 24 सितंबर 2019

परिवर्तन होता है

 मानव गलती  पुतला कहा  जाता है
उसे पल पल ठोकर भी लगती है
यदि वह ठोकर खाकर सम्भल जाए
तो वह सही मायने में इन्सान है
फिर भी न सम्भले तो उसका जीवन
व्यर्थ में ही बर्बाद हो जाता है
ठोकर से इंसान को सीख मिलती है
उसका ज्ञान बढ़ता है मार्गदर्शन होता है
और उसके जीवन में परिवर्तन होता है
@मीना गुलियानी

  

सोमवार, 23 सितंबर 2019

मौत का साया

इस तंगहाली के दौर में भी
सबका गुज़ारा हो ही रहा है
यह तुम मत पूछो कि कैसे
दिन कटा कैसे सफर कटा
तुम्हारे बिन लम्हे कैसे गुज़रे
जीवन ये हमने कैसे बिताया
लगे जैसे सर पर मौत का साया
@मीना गुलियानी

तय करते गए

सफर पर चलते हमने देखा ही नहीं
कितने निशां बने कदमों के नीचे
कितने ही पहाड़ों को लांघकर आये
कितने ही जंगलों से भी हम गुज़रे
कितनी नदियों के उस पार भी गए
हमारे कदम रुके नहीं बस चलते गए
खुले आसमान के नीचे कदमों के निशां
हम बनाकर चुपचाप मंजिल की ओर
बढ़ते गए सफर अपना तय करते गए
@मीना गुलियानी 

गुनगुनाने लगे

तुमने अच्छा किया चले आये
अच्छा हुआ बुराई से तुम्हारा
दामन छूटा अपनापन मिला
टूटते मन को सहारा मिला
दिल में आशा सी जाग उठी
मन की कली भी खिल उठी
बगिया में फूल मुस्काने लगे
भँवरे मंडराने गुनगुनाने लगे
@मीना गुलियानी

प्रतीक्षा में हूँ

मैं ये अच्छी तरह से जानती हूँ
तुम्हारी हर बात भूलने की अब
आदत सी बन चुकी है कुछ भी
बात जो तुम्हें याद रखनी हो तुम
व्ही सब बातें अक्सर भूल जाते हो
इसी बात पर हमारा वाक् युद्ध प्राय:
होता रहता है जाने कब सुधरोगे
मैं भी उसी दिन की प्रतीक्षा में हूँ
@मीना गुलियानी 

प्रत्युत्तर देती है

सूरज ये समझने की भूल न करना
कि सिर्फ तुममें ही आग है यह
आग तो हर नारी में विद्यमान है जो
वक्त आने पर शोला बन जाती है
नारी परिस्थितियों के अनुसार ही
कभी शोला तो शबनम बन जाती है
जब कोई विपदा उस पर टूटती है तो
ज्वालामुखी सी वो धधक उठती है
जब उसमें करुणा की धार बहती है
वही  नारी तब शबनम बन जाती है
उसको जब कोई ललकारता है तब
नारी उसके अनुरूप प्रत्युत्तर देती है
@मीना गुलियानी 

रविवार, 22 सितंबर 2019

उसे भी जीने दो

माँ बाप बेटी को पाल पोसकर
दिल पर पत्थर रखकर उसे
परायों को सौंप देते हैं उसे ये
शिक्षा देते हैं दोनों घर की लाज
बेटी को ही रखनी पड़ेगी बेटे से
माँ बाप को कोई अपेक्षा नहीं होती
बेटा शादी के बाद पराया हो जाता है
बेटी पराये घर जाकर भी मायके के
बारे में दुःख सुनते ही बागी आती है
बेटा पास होकर भी बेखबर होता है
बेटी को पराया धन मत समझो
उसे भी प्यार दो ,शिक्षा दो ,उसे
स्वावलम्बी बनाओ ताकि समय
आने पर परिवार का ध्यान रखे
खुली हवा में उसे भी जीने दो
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 21 सितंबर 2019

इतने टूट गए

शरारत ज़िन्दगी ने की थी
तुम क्यों इससे रूठ गए
कयामत  हम पे गुज़री थी
तुम क्यों इतने  टूट गए
@मीना गुलियानी 

लक्ष्य को पाना है

मुझे आकाश सा होना है
उड़के बुलंदी को छूना है
परिंदों सा हौंसला बढ़ाना है
परों को भी ऊँचा फैलाना है
 अपने लक्ष्य को पाना है
@मीना गुलियानी 

हमसफर के लिए

जब अँधेरा गहराया सोचना पड़ा रोशनी के लिए
  बेचैनी दिल की बढ़ी सोचना पड़ा साथी के लिए
तूफां जब दिल में उठा तड़पना पड़ा बेखुदी के लिए
सुकूँ दिल का लुटा सोचना पड़ा दिल्लगी के लिए
कारवां मंजिल पे लुटा सोचना पड़ा हमसफर के लिए
@मीना गुलियानी 

सोचा ये हमने

तुम क्या जानो कितने सितम सहे हमने
फिर भी इक उफ़ तक न कभी की हमने
हमको हर ग़म ग़वारा है सह लेंगे ख़ुशी से
होने देंगे न रुसवा तुमको सोचा ये हमने 
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

बूँदेँ बरसने लगी हैं

दिल की दुनिया भी जीवन में यूँ  रंग भर रही है
प्रकृति की सुरम्य छटा बसंत में निखर रही है
सरसों के पीले फूल इस बगिया में खिलने लगे हैं
देखो बगिया संवर रही है ख़ुशी दिल में भर रही है
भँवरे मंडराने लगे हैं मधुपान क्र इतराने लगे हैं
लता पेड़ों का लेके सहारा देखो ज़रा तन के खड़ी है
सितारे शर्माने लगे हैं घूँघट में मुखड़ा छिपाने लगे हैं
चँदा ओझल हुआ सूरज की किरणें ज़मी पे पड़ रही हैं
प्रकृति संवरने लगी कुमकुम फूलों से झरने लगी है
संध्या रानी आई उसकी पायलिया छनकने लगी है
कैसे न मोहित हों छटा पर आँखें ख़ुशी से झरने लगी हैं
घटा छाई लेके बिजुरिया रिमझिम बूँदेँ बरसने लगी हैं
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 19 सितंबर 2019

आघात करता है

कभी कभी तो बहुत खालीपन सा लगता है
स्याह रातों में जब वो अजनबी गुज़रता है
आता है दबे पाँव कभी जुम्बिश  करता है
हमारे दिल पर तो एक आघात  करता है
@मीना गुलियानी 

ज़रा मुस्कुराओ

आओ तुम्हें भी ज़िन्दगी बुला रही है
उसकी मुस्कुराने की अदा भा रही है
इक बार तो मुझको झलक दिखाओ
अकेले न घुटते रहो ज़रा मुस्कुराओ
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 18 सितंबर 2019

ख़फ़ा हो गया

न जाने तुम कहाँ खो गए
 दुनिया में तन्हा हो गए
हर जगह तुमको ढूँढा पर
हर निशाँ ही खो सा गया
जहाँ का भी रुख बदल गया
सारा जहाँ जैसे ख़फ़ा हो गया
@मीना गुलियानी 

जो हो मजबूर

जीने के लिए हर रास्ता खुला रखें
ताज़ी हवा को कमरे में आने दें
 ख़ुशी से वक्त का हर पल बिताएँ
मस्ती से झूमें और गुनगुनाएँ
उदासी को रखो खुद से बहुत दूर
बनो उसका सहारा जो हो मजबूर
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 17 सितंबर 2019

क्या हो गया

वो तुम्हारा चुलबुलापन कहाँ रह गया
वो बातों का भोलापन कहाँ खो गया
न जाने किस जहाँ के तुम लगने लगे
खुदा जाने तुमको क्या से क्या हो गया
@मीना गुलियानी 

हार्दिक बधाई

माननीय प्रधानमंत्री जी

सादर प्रणाम  आपको जन्मदिवस की हार्दिक बधाई 
आपके कुशल नेतृत्व में कई अच्छे कार्य हुए एक
निवेदन मैं भी करना चाहती हूँ कि पदोन्नति में
आरक्षण बंद कराया जाना चाहिए जिससे योग्यता ,
कार्यकुशलता व वरिष्ठता का निरादर न हो
सरकार द्वारा निर्धन को आरक्षण के स्थान
पर संरक्षण दिया जाने का प्रावधान होना
चाहिए।  धन्यवाद
@मीना गुलियानी



सोमवार, 16 सितंबर 2019

बढ़ा के बैठे हैं

कितनी ख़ुशी है आज साथ बैठे हैं
कितनी तन्हाईयाँ समेटे बैठे हैं
आज उन सबको मिटा देंगे हम
फांसले हमसे जो बढ़ा के बैठे हैं
@मीना गुलियानी 

पहले किसी ने

चुपके से कोई आया ज़िन्दगी में
दी है दस्तक  दरवाज़े पे किसी ने
खुल गए हैं फिर से दिल के किवाड़
बंद किये थे बरसों पहले किसी ने
@मीना गुलियानी 

रविवार, 15 सितंबर 2019

लुत्फ़ उठायें हम

अभी तो देखने को दुनिया पड़ी है
गिले शिकवों के लिए उम्र पड़ी है
तुमको तो सोने की जल्दी बड़ी है
घर के भीतर भी गर्मी बड़ी है
चलो थोड़ा बाहर घूम के आएँ
बाहर की हवा में शीतलता बड़ी है
शहरों की आबोहवा रास न आई
  गाँव चलो वहाँ बरसात बड़ी है
मुझे खूब भाये बारिश का मौसम
न ए सी ,कूलर की चिंता न ग़म
 चलें मौसम का लुत्फ़ उठायें हम
@मीना गुलियानी 

वो गुनगुनाए

एक लम्हा मुहब्बत का मिला
मेरे दिल का भी कमल खिला
महक उठा देखो मन उपवन
 क्या कहती भँवरे की गुंजन
कली कली पे वो है मंडराए
गीत प्यार के वो गुनगुनाए
@मीना गुलियानी 

विश्व में नाम करो

तुम्हें दुनिया नई बनानी है
इन हाथों में वो साहस है
जिनसे मिट्टी उगलेगी सोना
इनमे ही संबल संयम है
जो रच दे सुंदर सी रचना
जिसे मूर्त रूप हम मान रहे
हो साकार जागृत वो रचना
तुम इन हाथों से नींव खोद
पुल इमारतों का निर्माण करो
भारत का विश्व में नाम करो
@मीना गुलियानी 

मेहमां ज़िन्दगी

कैसी है तू नादान ज़िन्दगी
हो गई तू बेईमान ज़िन्दगी
हुई तुझसे पहचान ज़िन्दगी
चंद दिनों की मेहमां ज़िन्दगी
@मीना गुलियानी 

वो भी मुस्कुराती है

ज़िन्दगी तू बहुत खूबसूरत है
मुझे तेरी बहुत ज़रूरत है
मेरी ज़िन्दगी में खुशियाँ बिखेरी
वरना पहले थी मेरी दुनिया अँधेरी
अब  सुबह भी रोज़ गीत गाती है
मेरे साथ साथ वो भी मुस्कुराती है
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 14 सितंबर 2019

सब हाल बताते हैं

भाषाएँ ग़ुम हो जाती हैं
जब हम दोनों मिलते हैं
खामोशी सी छा जाती है
पतझड़ में फूल खिलते हैं
आँखों में नशा छा जाता है
जब तू मेरे करीब आता है
लब हौले से मुस्काते हैं
मुँह से न कुछ कह पाते हैं
दो नैना जब टकराते हैं
बेचैनी दिल की बढ़ाते हैं
तब भाषा मूक हो जाती है
नैना ही सब हाल बताते हैं
@मीना गुलियानी 

तुम्हें बधाई

हिन्दी मेरी प्यारी तू हिन्दी
तेरी मैं करता हूँ बन्दगी
रूप तेरा देवताओं ने निखारा
तुझे पल पल कवियों ने संवारा
सबने तुझे रचनाओं में पिरोया
तेरा प्यार अबके दिलों में समोया
तेरी लिपि देवनागरी  कहलाई
देवों ने भी तेरी महिमा गाई
देववाणी से निकल धरा पे आई
फिर तू राष्ट्रभाषा भी कहलाई
 तद् भव और तत्सम रूप धारे
प्रत्यय ,उपसर्ग भी आरती उतारे
सभी  ने मिलके तेरी शोभा बढ़ाई
तू सर्वोपरी भाषा निखर के आई
आज हिन्दी दिवस की तुम्हें बधाई
@मीना गुलियानी 

सुलझा नहीं सकता

दिल पे क्या गुज़रती है
तुझे बतला नहीं सकता
ज़ख़्मी दिल हुआ कितना
तुझे दिखला नहीं सकता
ये सीना चाक कर मेरा
वो पूछे हाले दिल मेरा
करूँ मैं क्या है मुश्किल
जिसे सुलझा नहीं सकता
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

सब कबूल है

हे मेरे भगवान तू ही तो कारण है
मेरे हर सुख और हर दुःख का
सब कुछ तेरे ही आधीन है
मनुष्य कर्म करता है तू उनका
सब खाता खोलकर हिसाब में
नफ़ा बाकी तोलकर देता है
हर पल हम तेरा शुक्राना करते हैं
हमने अपने जीवन की बागडोर
अब तेरे हवाले करदी है तेरी जो
मर्जी है जो भी दे दे सब कबूल है
@मीना गुलियानी 

हमसफ़र बन जायेगी

ज़िन्दगी से तुम दोस्ती करलो
तो वह भी तुमसे दोस्ती करेगी
तुम्हारा कहना मानेगी साथ
तुम्हारा हमेशा ही निभायेगी
तुम्हें जीने का वो पाठ पढ़ायेगी
तुमको हँसायेगी गुदगुदाएगी
कभी न तन्हा रहोगे तुम्हारी 
वो हमेशा हमसफ़र बन जायेगी
@मीना गुलियानी 

न डरना झुकना है

नहीं बनना मुझे  किसी के हाथों की कठपुतली
मुझे तो बस अपने पंख  फैलाकर उड़ना है
खुले आसमान में कुछ देर तक विचरना है
नदिया के उस पार पर्वत की चोटी चढ़ना है
अपनी हिम्मत को परखना है धैर्य रखना है
बढ़ते कदम को आगे बढ़ाना है न रुकना है
स्वाभिमान से रहना है न डरना झुकना है
@मीना गुलियानी

बुधवार, 11 सितंबर 2019

फिर मेरे हो जाते

क्यों नहीं तुम अच्छे दोस्त बन जाते
क्यों नहीं पहले से अजनबी बन जाते
क्यों नहीं तुम दिल से कटुता मिटाते
क्यों नहीं फिर दिल में प्रीत जगाते
सब वैमनस्य भूलकर फिर मेरे हो जाते
@मीना गुलियानी 

ज़माना देखेगा

नए युग का तुम निर्माण करो  ज़माना देखेगा
कुछ अच्छी तुम शुरुआत करो ज़माना देखेगा
परिवर्तित तुम समाज करो ज़माना देखेगा
नई चेतना का आगाज़ करो ज़माना देखेगा
कुरीतियों का सर्वनाश करो ज़माना देखेगा
  हर दिल को प्रकाशित करो ज़माना देखेगा
भारत का विश्व में नाम करो ज़माना देखेगा
@मीना गुलियानी 

आँसू पियो

तुमको जो भी कहना है
मुझसे खुलकर कहो
यूँ न गुमसुम से रहो
न चुपचाप आँसू पियो
@मीना गुलियानी 

विलीन होती है

तेरे मुताबिक़  हो तो नहीं सकती  दुनिया 
जीवन के सपने और हकीकत दोनों 
दो किनारों के समान हैं  जीवन की नदिया 
की धारा इठलाती बलखाती चलती रहती है 
 अंत में ये नदिया सागर में विलीन होती है 
@मीना गुलियानी 

विस्तार कम है

हौंसलो वालों के  सामने
आसमां कम पड़ गया
आशाएँ उनकी असीमित
व्योम का विस्तार कम है
@मीना गुलियानी  

मंगलवार, 10 सितंबर 2019

किनारा कर जाते हैं

कहने को तो है सारा जहाँ
पर कोई  नहीं  है अपना
दुनिया सब मतलब की
जग सारा है इक सपना
सब झूठे रिश्ते नाते हैं
कोई साथ नहीं निभाते हैं
उनका जब वक्त हो तो
 बड़े हितैषी बन जाते हैं
जब पड़े मुसीबत हमपे 
सब किनारा कर जाते हैं 
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 9 सितंबर 2019

सच का साथ देते रहें

सच तो हमेशा से कठोर  कड़वा होता है
लेकिन अंत में जीत सच्चाई की होती है
इसका  साथ कभी  नहीं छोड़ना चाहिए
राहें चाहे दुर्गम हों बाधाएँ विचलित करें
तब भी हमे सच का दामन नहीं छोड़ना है
खुद को मानसिक रूप से प्रेरित करते रहें
दृढ़ निश्चयी बनें तो सारी बाधाएँ हटेंगी
हर परिस्थिति में सच का साथ देते  रहें
@मीना गुलियानी 

चैन न पाए

दिल तो है इक पागल भंवरा
डाल डाल घूमे, बौराये ,इतराए
चले जब झूमके ये मस्त पवन
फूलों पे भंवरा आके मँडराये
कोयल अपनी मीठी कूक सुनाए
आकाश पे काले मेघ हैं छाए
पीहू पीहू की चातक रट लगाए
पिया बिन मनवा चैन न पाए
@मीना गुलियानी 

घायल कर गई थी

ये हवा तुमसे कुछ कह रही थी
पुरवाई दामन गई को छू गई थी
सुरभि तेरी हरसू बिखर गई थी
तन मन में सिहरन भर गई थी
मन को मेरे घायल कर गई थी
@मीना गुलियानी 

हमेशा नहीं होता

ऊपर वाले का करम हमेशा नहीं होता
उसका हम पे ऐतबार हमेशा नहीं होता
इस दिल पे इख़्तेयार  हमेशा नहीं होता
ये दिल भी बेकरार  हमेशा नहीं होता
दिलबर का दीदार भी  हमेशा नहीं होता
@ मीना गुलियानी



रविवार, 8 सितंबर 2019

मुझे अपना लो

मैंने ढूँढा है सारा जहाँ
कोई ठौर नहीं मिलता
इक तेरी आँखों के सिवा
ठिकाना न मेरे दिल का
इन आँखों में बसा लो
दीवाना हूँ मुझे अपना लो
@मीना गुलियानी 

सुकूँ पा जाएँ

अगर हम साथ मिल जाएँ
तो जीवन में खुशियों के
हर तरफ चिराग़ झिलमिलाएँ
तन्हाई मिट जाए और हम
ज़िन्दगी में भी सुकूँ पा जाएँ
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 7 सितंबर 2019

गायेंगे ,झूमेंगे

चाँद से कहदो कि वो दिन  दूर नहीं
जब हम तुमसे मिलने वहीं आयेंगे
तुम्हारी नगरी में एक घर बनायेँगे
तुम्हारे पास रहकर बहुत खुश होंगे
हम तुमको भी कहानी सुनायेंगे
नानी जो चरख़ा कातती है देखेंगे
परियों के भी देश में हम जायेंगे
तुम हमारे मामा हो रिझायेंगे
खूब खेलेंगे ,कूदेंगे ,गायेंगे ,झूमेंगे
@मीना गुलियानी