हर तरफ निगाहेँ तुमको ढूँढती हैं
पर तू कहीं भी नज़र नहीं आता
हर तरफ अन्धकार सा छाया हुआ
उजियारा किसी ओर से नहीं आता
तू चला आये तो शमा रोशन हो
सूनी महफ़िल में मज़ा नहीं आता
तू ही तो जान शानो शौकत है
बिन तुम्हारे कुछ भी नहीं भाता
@मीना गुलियानी
पर तू कहीं भी नज़र नहीं आता
हर तरफ अन्धकार सा छाया हुआ
उजियारा किसी ओर से नहीं आता
तू चला आये तो शमा रोशन हो
सूनी महफ़िल में मज़ा नहीं आता
तू ही तो जान शानो शौकत है
बिन तुम्हारे कुछ भी नहीं भाता
@मीना गुलियानी
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