हम सब एक सिनेमा है जिसमें कलाकार
उसके हाथों की कठपुतलियाँ मात्र हैं
वो जैसा भी वो चाहे सबको नचाता है
सबको अपना अपना काम करना है
अवधि समाप्त होते ही लौट जाना है
सबके लिए यही नियम बनाये गए हैं
जीवन की बागडोर उसके हाथों में है
क्या जाने कब वो डोर वापिस खींचे
कल क्या हो कोई नहीं जानता है
@मीना गुलियानी
उसके हाथों की कठपुतलियाँ मात्र हैं
वो जैसा भी वो चाहे सबको नचाता है
सबको अपना अपना काम करना है
अवधि समाप्त होते ही लौट जाना है
सबके लिए यही नियम बनाये गए हैं
जीवन की बागडोर उसके हाथों में है
क्या जाने कब वो डोर वापिस खींचे
कल क्या हो कोई नहीं जानता है
@मीना गुलियानी
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