वक्त कभी एक सा नहीं रहता
वो जब करवट लेता है तब कभी
एक पल में सब कुछ फना करता है
उसके आगे किसी की नहीं चलती
बड़े बड़े साम्राज्य नतमस्तक हो जाते हैं
भव्य इमारतें खलिहान हिमखंड भी
पल में धाराशायी हो लुप्त हो जाते हैं
बाढ़ जब प्रलयंकारी हो जाती है तब
वो सब कुछ अपनी चपेट में लेती है
सबका अहंकार वक्त चूर चूर करता है
@मीना गुलियानी
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