कैसे बचाऊँ खुद को मैं
दुनिया में ईर्ष्या द्वेष से
कैसे बचाऊं मैं इंसानियत को
जब हावी हो रही हैवानियत
कैसे भरूँ दिल के जख्मों को
जो हर समय टीस देते हैं
कैसे दूर करूँ ग़म के अंधेरों को
ऐ वक्त काश तुम्हीं लौटा पाते
मेरी हसरतों भरी सुबह शामों को
मेरा अल्हड़पन मासूमियत को
@मीना गुलियानी
दुनिया में ईर्ष्या द्वेष से
कैसे बचाऊं मैं इंसानियत को
जब हावी हो रही हैवानियत
कैसे भरूँ दिल के जख्मों को
जो हर समय टीस देते हैं
कैसे दूर करूँ ग़म के अंधेरों को
ऐ वक्त काश तुम्हीं लौटा पाते
मेरी हसरतों भरी सुबह शामों को
मेरा अल्हड़पन मासूमियत को
@मीना गुलियानी
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