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बुधवार, 31 अक्टूबर 2018

गज़ब दिल पे ढाने लगी है

चाँद सरगोशियाँ कर रहा है
जिंदगी मुस्कुराने लगी है
उसके नाज़ुक लबों पे फिर से
गुनगुनाहट सी आने लगी है

कैसा आलम नशीला है छाया
बन गया अपना जो था पराया
फिर से सजने लगे आज गुंचे
हर कली खिलखिलाने लगी है

उनके हाथों में मेहँदी लगी है
सुर्ख जोड़े में दुल्हन सजी है
पायल की खनक उनकी देखो
बोल मीठे सुनाने लगी है

उफ़ ये शर्माता नाज़ुक सा चेहरा
उसपे लहराती जुल्फ़ों का पहरा
उठती गिरती पलकों की चिलमन
क्या गज़ब दिल पे ढाने लगी है
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

रणचण्डी बन सामना करेगी

नारी तू नहीं है निर्बल
तू तो सदा से सबल
देवों की तू है जननी
तुझसे मिले सबको बल
तू है वरदायिनी आदिशक्ति
अन्नपूर्णा और सती सावित्री
तू ही विश्व की कर्त्ता भर्ता
तू पुरुष की अनुगामिनी सहभागिनी
तू है  पुरुष का संबल पर
वो तुझसे हमेशा करता छल
युगों युगों से छलता आया है
हर युग में तूने पीड़ा पाई है
तू  मोक्षदायिनी मुस्काई है
कभी द्रौपदी कभी सीता के रूप में
तूने पीड़ा  को झेला है पर तूने
कभी हार न मानी विजय पाई है
पुरुषों की प्रवृति कब सुधरेगी
हमेशा नारी पर कुदृष्टि डाली है
कभी चीरहरण अपहरण बलात्कार
सब अत्याचार व्यभिचार नारी पर हुए
पर अब और नहीं सहेगी अब वो
दुर्गा का रूप धरेगी हर अत्याचार का
दुराचार का रणचण्डी बन सामना करेगी
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

अब सुधर गए

दिल की गहराई में तुम उतर गए
सारे गिले शिकवे जाने किधर गए

तुम इस कदर समाये हो दिल में मेरे
जिस तरह कि नभ में तारे बिखर गए

मेरी हसरतें भी पूछती हैं उनसे क्या कहूँ
मेरे तो सब अरमान मुझको बिसर गए

तन्हाईयाँ पूछती नहीं तेरा पता कभी
हालात जिंदगी के जैसे अब सुधर गए
@मीना गुलियानी 

रविवार, 28 अक्टूबर 2018

गजब हो जाएगा

तुम प्यार से इक बार मुस्कुरा दो
गजब हो जाएगा

तेरी यादों में खोया मैं रहता हूँ
अपनी मस्ती में सोया रहता हूँ
तुम ख़्वाब में आके मुझे जगा दो
गजब हो जाएगा

फ़िक्र न दुनिया की न पर्दादारी है
तेरी चौखट पर  ही अर्ज गुज़ारी है
मेरे सोए हुए नसीब को जगा दो
गजब हो जाएगा
@मीना गुलियानी

शनिवार, 27 अक्टूबर 2018

प्रात: से हो रही थी

नव प्रभात वेला में उषा ने अँगड़ाई ली
अलसाई हुई मुंदी अपनी आँखें खोली
फिर उठकर वो जल भरने पनघट गई
पहले  नदी में स्नान किया सद्य स्नाता
धवल वस्त्रों में ही नदी से बाहर निकली
खुले घुंघराले केश मुक्ताकण लुटा रहे थे
सूरज रश्मियों को न्यौछावर करने लगा
वातावरण पक्षियों के कलरव से गूँज उठा
फूलों की सुगन्ध मन प्रफुल्लित कर रही थी
उषा ने सर पर  रत्नजड़ित मुकुट पहना
बालों में गजरा लगाया कर्णफूल सजाए
कुंकुम लगाया स्वर्ण कंगन मुक्ताहार पहना
धरा पर धन धान्य की वर्षा हाथों से की
धरा प्रमुदित होकर खुशियाँ समेटने लगी
मंदिरों में घंटा घड़ियाल शंखनाद होने लगे
मंगला आरती के लिए जनता उमड़ पड़ी
देवगण भी गगन से पुष्पवर्षा करने लगे
भक्तगण भावविभोर होकर स्तुति करने लगे
ढोलक नगाड़े की धुन पर भक्त  झूमने लगे
प्रभु के दर्शनों की शोभा अनिवर्णीय थी
भक्तगण  स्वयं को धन्य मानने लगे
ईशकृपादृष्टि उन पर प्रात: से हो रही थी
@मीना गुलियानी


शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2018

ये वादा कर लो

दिल न तोड़ोगे कभी आज ये वादा कर लो
यूँ ही तुम साथ निभाने का वादा कर लो

सपने देखे जो अधूरे से अधूरे हैं अभी
दिल की बात मुलाक़ात अधूरी है अभी
चंद लम्हों के लिए साथ का वादा कर लो

फिर कभी मिलना हो पाए मुमकिन ही नहीं
दिल का अफसाना अधूरा ही न रह जाए कहीं
कम न होंगे कभी जज़्बात ये वादा कर लो

फिर ये एहसास दिलाना भी जरूरी तो नहीं
तुमको हम पास बुला पाएं जरूरी तो नहीं
पूरे होंगे सभी अरमान ये वादा कर लो
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018

झाँके प्रेम से भोले ये नयन

जबसे मिला है प्रेम तुम्हारा 
दिल मदहोश फिरे बेचारा 
मन पंछी को मिला सहारा 
समझे ये नैनो की भाषा 
तन मन जोगी भया उदासा 
खिला फूल सा जीवन उपवन 
सुरभित हुआ प्रफुल्लित मन 
भावों का हुआ अवगुण्ठन 
अश्रु रहित हैं आज नयन 
प्यासी प्यासी ये चितवन 
झाँके प्रेम से भोले ये नयन 
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 24 अक्टूबर 2018

आँगन ये जगमगा दिया

उठाके सर को नज़र मिलाके जीना तुमने सिखा दिया
लबों पे मेरी हँसी को फिर से तुमने आके जगा दिया

न होश खोये न पल गंवाए
कहीं भी कुछ भी न भूल पाए
ख्वाबों में आके मुझे जगाके
मुस्कुराना फिर सिखा दिया

हैं पल सुहाने तुम्हें जो पाया
दिल में हमने दिया जलाया
बुझा न पाएगी कोई आँधी
शमा को ऐसे जला दिया

पकड़ा जो तेरी वफ़ा का दामन
छुड़ाए कोई है किसमें दम
खुशियों भरी है दिवाली आई
आँगन ये जगमगा दिया
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 23 अक्टूबर 2018

वजूद भी उसका वो ले गया

सफर के बीच में छोड़ा उसने
न जाने वो किधर गया
तोड़ गया वो दिल को मेरे
ग़मों के हवाले कर गया
नशा प्यार का सर पे चढ़ा था
उसका खुमार भी उतर गया
दिन ढलते ही सांझ हुई जब
सैलाब सा वो ठहर गया
सुंदर सा जो बनाया घरोंदा
तिनका तिनका बिखर गया
मुझको यकीं मेरे ख़्वाबों पर था
वजूद भी उसका वो ले गया
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

ऐतबार ज़रूरी है

जीने के लिए वजह का होना ज़रूरी है
दिल में थोड़ी जगह होना ज़रूरी है

चलो कहीं दूर चलें पर तेरा साथ ज़रूरी है
रात ढल चुकी अँधेरे में रोशनी ज़रूरी है

चलेंगे तो फांसले मिटेंगे घाव भरने ज़रूरी हैं
पहले दीवाने थे अब अजनबी होना ज़रूरी है

 दूरी के एहसास के लिए बिछुड़ना ज़रूरी है
प्यार होने पर एक दूसरे पे ऐतबार ज़रूरी है
@मीना गुलियानी 

रविवार, 21 अक्टूबर 2018

तू मेरा नसीब भी है

तू मेरा नसीब है तू मेरे करीब है
तू दिल जान मेरी तू मेरा हबीब है

तू मेरे दिल में बसा
मेरी रूह तक पहुँचा
कैसे करूँ दूर तुझे -तू मेरा रकीब भी है

नेकी बदी से बँधा
अजब रिश्ता है तू
क्या कहूँ कैसे कहूँ -तू मेरे करीब भी है

तुझे हर पल चाहा
तुझे हर पल पूजा
दुनिया के ताने शी -तू मेरा नसीब भी है
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

दर्द से मेरा बेहाल है

तू नज़र उठाके देख तो ले तेरे सामने मेरा हाल है
तुझे कैसे मैं जुदा  करूँ मेरी जिंदगी का सवाल है

कैसे भूल जाऊँ वो पल हँसी जब तुम मिले थे राह में
वो नज़ारे अब हैं बुझे बुझे मुझे इसका ही तो मलाल है

मेरी हसरतें भी सिमट गईं जब तूने नज़रें उधर करीं
मेरी सांसें भी हैं थमी थमी तेरी नज़रों में भी सवाल है

हुए होश मेरे गम यहाँ तुझे अपना समझे थे हम यहाँ
तेरी बेरुखी ने सितम किए  दिल दर्द से मेरा बेहाल है
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018

प्यार का एहसास तुम हो

मेरी तन्हाई और ख़्वाबों में तुम हो
मेरे होंठों की हँसी , बातों में तुम हो

उनींदी पलकें मेरी और ख़्वाबों में तुम हो
महकता तन मेरा उसकी खुशबु तुम हो

तुम्हीं मेरे सवालों में जवाबों में तुम हो
मेरी धड़कन में बसी हर सांस में तुम हो

मेरा प्यार है तरसता रेगिस्तान बरसात तुम हो
मैं हूँ प्यार की अधूरी कहानी मेरा प्यार तुम हो

मेरे दिल के कोने  में बसी इक याद तुम हो
मेरी रूह में छिपा प्यार का एहसास तुम हो
@मीना गुलियानी


गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018

ज़रा आहिस्ता चल

तेरे आने की खबर से मची हलचल
ज़रा आहिस्ता चल

तू है मसरूफ़ वहाँ मैं हूँ बेताब यहाँ
तेरे पास आने के न दिखें कोई निशाँ
कैसे टुकड़ों में जिए जाएँ हम
ज़रा आहिस्ता चल

दिल मेरे बस में नहीं तू मेरे पास नहीं
कैसे कहदूँ तुमको कि मैं उदास नहीं
तू जो आ जाए तो दुःख होगा कम
ज़रा आहिस्ता चल

जिंदगी है सूनी मेरी है अधूरी तेरे बिन
तू है खुशियों भरा हो जाए सुहाना दिन
मिले जो तू सब पा जाएँ हम
ज़रा आहिस्ता चल
@मीना गुलियानी


बुधवार, 17 अक्टूबर 2018

माता की भेंट -9 -सबको पैसे से काम है

तुझे छोड़ कहाँ जाऊँ माँ मैंने ढूँढा ये सारा जहान है 
अब तो ये सारा जीवन मैंने लिख दिया तेरे नाम है 

तेरे बिना मैं चैन न पाऊँ  रोते रोते वक्त कटे 
हर पल तेरी याद में गुज़रे दिन बीते यूँ रात कटे 
यूँ ही जीवन बिताऊँ सुबो शाम है तेरे बिन कहाँ आराम है 

जाने कौन सी गलती पर तू रूठ गई है अब मुझसे 
हूँ नादान तेरा बच्चा माँ अब तो मान जा माँ मुझसे 
तेरे चरणों में मेरा प्रणाम है यही विनती करूँ आठों याम है 

माँ बेटे का पावन नाता हर नाते से ऊँचा है 
तुझको अपना माना मैंने हर नाता अब झूठा है 
दुनिया स्वार्थ का नाम है सबको पैसे से काम है 
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018

माता की भेंट -8 -रास्ता तू दिखा देना

मुझे आस तेरी मईया न निराश मुझे करना 
सब कष्ट हरो मेरे आँचल की छाँव करना 

मेरे मन के द्वारे में आ कर लो बसेरा माँ 
तेरी जोत जले मन में हो दूर अँधेरा माँ 
मैं आया शरण तेरी मुझे दर्श दिखा देना 

मेरी आस का बंधन कहीं टूट न जाए 
क्या सांस का भरोसा पल आये कि न आए 
मेरे नैन प्यासे हैं मेरी प्यास बुझा देना 

सब देख लिया जग में माँ कोई नहीं अपना 
सब झूठे नाते हैं जग सारा इक सपना 
मैं भटका राही हूँ रास्ता तू दिखा देना 
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 15 अक्टूबर 2018

माता की भेंट -7 -दाती का भरा भंडार है

मईया का खुला दरबार है
द्वारे जो आये बेड़ा पार है 
करती मईया उद्धार है 
दाती का भरा भंडार है 

मांगी मुरादें सब पाते हैं 
झोली को भर ले जाते हैं 
महिमा उसकी अपार है 
दाती का भरा भंडार है

 न लौटा दर से कोई खाली है 
मईया मेरी मेहरों वाली है 
करती  सभी से वो प्यार है 
दाती का भरा भंडार है 

मोहमाया जाल से छुड़ायेगी 
बिगड़ी वो सबकी बनायेगी 
चरणों में गंगा की धार है 
दाती का भरा भंडार है 
@मीना गुलियानी 



रविवार, 14 अक्टूबर 2018

माता की भेंट -6 -जो उसके रंग में ढलते हैं

तेरे द्वार पे आने वालों के दुखड़े माँ पल में टलते हैं 
लाखों दुखियारे लोगों के इक पल में भाग्य बदलते हैं 

ले इच्छा जो भी आता है खाली न दर से जाता है 
हर एक सवाली का पल में अरमां पूरा हो जाता है 
बिगड़ी तकदीरें बनती हैं खुशियों के चमन खिलते हैं 

लौटा न दर से सवाली है ये माता शेरों वाली है 
दे मुक्ति का वरदान यही हर विपदा हरने वाली है 
ये सूरज चंदा और तारे उसके कहने से चलते हैं 

हर जीव में उसकी ज्योति है हर सीप बनाए मोती है 
खुशियों से झोली भर जाए कृपा जो उसकी होती है 
माँ करती उसकी रखवाली जो उसके रंग में ढलते हैं 
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 13 अक्टूबर 2018

माता की भेंट -5 -राह निहारें बड़ी देर से

आ जा माँ मेरे नैन दीवाने तेरी ,
राह निहारें बड़ी देर से 

आजा मेरी मईया तुझे है पुकारा 
तेरे बिन जहाँ में है कौन हमारा 
देख ले आकर हाल तू मेरा 
राह निहारें बड़ी देर से 

माँ गम के भंवर में डूबी मेरी नैया 
माँ पार लगाओ तू ही तो खिवैया 
देर न करना मेरी मईया 
राह निहारें बड़ी देर से 

तूने हर दुखी को माँ धीर बंधाया 
बता तूने माता मुझे क्यों बिसराया 
मैं हूँ तेरे दर का भिखारी 
राह निहारें बड़ी देर से 

तुझे ही तो मईया अपना है माना 
हूँ सारे जहाँ से माता मैं बेगाना 
मैं तो मईया शरण तिहारी 
राह निहारें बड़ी देर से 
@मीना गुलियानी 



शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2018

माता की भेंट -4 -चरणकमल से लौ लागी

अखियाँ दर्शन अनुरागी ,चरणकमल से लौ लागी

अब तो दर्श दिखा जाना 
प्यास को आके मिटा जाना 
मन मेरा बना बैरागी 

मईया जी अब न देर करो 
मन की उदासी दूर करो 
प्रीत अगन मन में जागी 

जोड़ा तुम्हरे संग नाता 
बेटी मैं हूँ तुम माता 
माँ ने क्यों ममता त्यागी 
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

माता की भेंट -3 - तू मुझे अपना

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ओ आजा मेरी मईया ओ प्यारी प्यारी मईया
मोरे अंगनवा तू जल्दी से आ

रात दिन मईया मैं राह देखूँ तेरी
काहे तू न आये लगाए मईया देरी
जल्दी से आजा न और तरसा

नैना मेरे मईया जी दर्शन मांगे
तुझसे ऐ मईया न कुछ और मांगे
आके तू अखियों की प्यास मिटा

दुनिया ने मईया है मुझको सताया
सब कुछ छोड़ मईया तेरे दर आया
सुनले तू विनती माँ लाज बचा

कब तक तेरी माँ राह निहारुँ
तुझे छोड़ मईया मैं किसको पुकारूँ
छोड़ा ज़माना तू मुझे अपना
@मीना गुलियानी

बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

माता की भेंट -2 --लख चौरासी के हैं फेरे


आजा माँ ----- ---जगदम्बे
मैं तो कबसे खड़ी तेरे द्वार
मईया आके सुनले पुकार 

मैं तो मईया तेरी दासी , अखियाँ दर्शन की हैं प्यासी
दूर करो मेरे मन की  उदासी

छाए हैं चारों ओर अँधेरे , दर्शन देकर कर दो सवेरे
मिट जाएँ माँ सब ग़म मेरे

तेरा दर्शन जब मैं पाऊँ , तन मन अपना भेंट चढ़ाऊँ
तेरी महिमा निशदिन गाऊं

तुम बिन मेरा कोई न दूजा , करूँ मैं निशदिन तेरी पूजा
तेरे सिवा  न भाए दूजा

मईया जी हम बालक तेरे ,माया जाल के काटो घेरे
लख चौरासी के हैं फेरे
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 9 अक्टूबर 2018

माता की भेंट ---अज्ञान को मिटाओ

माता की भेंट


हे अम्बिके भवानी दर्शन मुझे दिखाओ
अन्धकार ने है घेरा ज्योति मुझे दिखाओ

मईया तेरे दर का मुझको तो इक सहारा
नैया भंवर में डोले सूझे नहीं किनारा
मंझधार से निकालो नैया मेरी बचाओ

लाखों को तूने तारा भव पार है उतारा
बतलाओ मेरी माता मुझको क्यों बिसारा 
बच्चा तेरा हूँ मईया मुझको गले लगाओ

सूनी हैं मेरी राहें आंसू भरी निगाहें
बोझिल हैं मेरी सांसे दुःख कैसे हम सुनाएं
गम आज सारे मेरे मईया तुम्हीं मिटाओ

तेरा नाम सुनके आया जग का हूँ माँ सताया
मुझको गले लगाओ तेरी शरण हूँ आया
रास्ते विकट हैं मईया अज्ञान को मिटाओ
@मीना गुलियानी 




जैसा कि आप सभी को विदित है कि कल से नवरात्र प्रारम्भ होने जा रहे हैं इसलिए हर वर्ष की भांति

कल से माता की भेंट प्रस्तुत की जायेगी  आप सभी को अग्रिम शुभकामनाएँ




@मीना गुलियानी 

सोमवार, 8 अक्टूबर 2018

अपना सर झुकाए बैठा हूँ

इक बोझ सा सीने में छुपाए बैठा हूँ
सुलगते आग के शोले दबाए बैठा हूँ

गुज़रते जा रहे कितने  कारवां जिंदगी के
चंद लम्हों के लिए खुद को बचाए बैठा हूँ

दिल की हसरतें मुँह अपना खोल देती हैं
मैं उसे भी अपनी नज़रें चुराए बैठा हूँ

रूठने वाले तेरी सलामती की दुआ करता हूँ
उसके सज़दे में अपना सर झुकाए बैठा हूँ
@मीना गुलियानी

रविवार, 7 अक्टूबर 2018

रोशन शमा से हम ही करेंगे

हम तुमसे कभी कोई भी शिकवा न करेंगे
जब तक भी जियेंगे तुझे रुसवा न करेंगे

वादा यही है हमारा हो बुलंद तेरा सितारा
हर रोज़ तेरे लिए दुआ हम रब से करेंगे

तू चाहे अर्श पे रहे हम रह लेंगे फर्श पर
तुझसे कभी इसकी शिकायत न करेंगे

न टूटे हौंसला तेरा कभी कैसा भी हो सफर
तेरी राहों को रोशन शमा से हम ही करेंगे
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 6 अक्टूबर 2018

लुटे न कभी कारवां किसी का

ओ ऊपर वाले सुनले अफसाना बेकसी का

तेरे सामने खड़ा हूँ हाथों को मैं फैलाए
भरदे तू झोली सबकी जो आस हैं लगाए
खाली न तू लौटाना दामन कभी किसी का

अफसाना सुन मेरा तू ऐ दो जहाँ के वाली
गिरतों को दे सहारा लौटाना न दर से खाली
मिले सबको ही सहारा तेरी ही बंदगी का

मतलब की सारी दुनिया मतलब के सारे नाते
दाता तू रहम करना जो भी दर पे तेरे आते
मंजिल पे ही लुटे न कभी कारवां किसी का
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018

बांधा तेरी कलाई पे डोरा

खन खन खनके कंगना मोरा
जियरा मोरा बना चकोरा

रोज़ दुआएँ रब से मांगू
रहे सलामत साजन मोरा

सुर्ख लिबास जो पहना मैंने
उसपे दुपट्टा काला ओढ़ा

नज़र लगे न तुझको किसी की
बांधा तेरी कलाई पे डोरा
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018

विश्वास से इसे पनपाया है

मैंने अपनी वफाओं का दीपक
गमों की आँधियों में जलाया है
अपने दामन में उसे छुपाया है
तेज़ हवा के झोकों से बचाया है
अपनी तमन्नाओं से सजाया है
सुरभित फूलों से महकाया है
भावनाओं का घरोंदा बनाया है
तिनके जोड़के आशियाँ बनाया है
तितलियों के रंगों से रंगाया है
जुगनु की रोशनी से चमकाया है
चंदा की रोशनी से जगमगाया है
सूरज की किरणों से नहलाया है
प्रेम से इसे मैंने सदा सहलाया है
अटूट विश्वास से इसे पनपाया है
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 3 अक्टूबर 2018

चलूँ मैं पिया की नगरिया रे

आज कंगनवा मोरा खनके चलूँ मैं पिया की नगरिया रे
घुंघरू पायलिया के छनके चलूँ मैं पिया की नगरिया रे

आज सखी री कुछ न कहूँगी उनसे जियरा की बात
आँखों से ही वो सब पढ़ लेंगे मोरे मनवा की बात
दिल मेरा अभी से धड़के चलूँ मैं पिया की नगरिया रे

धरती पे सीधे पग न पड़े हैं झूमें सारा गात
ख़ुशी से मैं फूली न समाऊं दर्शन होंगे आज
देखूँगी उनको जी भरके चलूँ मैं पिया की नगरिया रे

ओ रे चंदा तू भी सुनले छुप जाना कहीं आज
तेरे सामने दिल मोरा डोले आती मोहे  लाज
सर से चुनरिया भी सरके चलूँ मैं पिया की नगरिया रे
@मीना गुलियानी


मंगलवार, 2 अक्टूबर 2018

यूँ मुस्कुरा के चलिए

आँखों को हाथों से यूँ ही न मलिए
पग न फिसल जाए ज़रा संभलिए

है रास्ता बड़ा टेढ़ा मेढ़ा यहाँ का
सुझाई न देता है पथ में धुआँ सा
कदम ऐसे बहके न लहरा के चलिए

बहुत ठण्डी  ठण्डी  हवाएँ यहाँ हैं
फ़िज़ा का भी आलम मस्त यहाँ है
खा जाएँ धोखा न इतरा के चलिए

अभी तुमने मौसम को देखा कहाँ है
कभी आये पतझड़ कभी खुशनुमां है
बदल जाए रुत यूँ मुस्कुरा के चलिए
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 1 अक्टूबर 2018

वो फिर से याद आने लगा है

तेरे आने का मुझे गुमां सा हुआ है
दिल का ये दिया न बुझने दिया है

नशा तेरे प्यार का आँखों में चढ़ा जो
सुरूर उसका हर पल बढ़ता रहा है

सुना है रात भर बरसा है  ये बादल
ये दिल फिर भी प्यासा ही रहा है

ये दिन अब तो ढलने लगा है
वो फिर से याद आने लगा है
@मीना गुलियानी