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गुरुवार, 29 दिसंबर 2016

पथ में मैं प्रकाश फैलाती

काश तुम गर लौट आते साजन
तुम्हारे संग लौट आता बचपन
वो  यादें सब तुमसे जुडी थीं
गुलशन में कलियां महकी थीं

तुम आते तो छंटता कोहरा
हवाओं ने रुख ऐसा मोड़ा
ज़ुल्मों के छाये हैं बादल
आ जाते तो होते ओझल

अश्रुधार जो हरदम बहती
तेरे आने से रुक जाती
सांसो की उठती गिरती लय
फिर से लयबद्ध हो जाती

जब तुम इस जीवन में आते
फूलों को मैं पथ में बिछाती
नैनो के मैं दीप जलाकर
पथ में मैं प्रकाश फैलाती
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 28 दिसंबर 2016

विश्वास की डोर

मैं आज  मंजिल को पाना चाहती हूँ 

हर मुसीबत को दूर करना चाहती हूँ 

तुम्हें पाकर मेरा विश्वास लौट  आया है 

मैं दरिया को चीरकर रास्ता बना सकती हूँ 

पर्वतों को भी लांघकर तुम तक आ सकती हूँ 

हवाओं का रुख बदलने  की सोच सकती हूँ 

तुम जो हाथ पकड़ो इस जहाँ को छोड़ सकती हूँ 

मैं तुम्हारे लिए दुनिया से भी लड़ सकती हूँ 

हर मुसीबत का सामना भी कर सकती हूँ 

मुझको जीवन में तुम्हारा सम्बल जो मिला 

अब मैं अपना किनारा मैं खुद ढूंढ सकती हूँ 

डर नहीँ लगता मुझे सागर की उठती मौज़ो से 

नहीँ डरती हूँ मैं अब समाज के भी थपेडों से 

अपने रास्ते के कांटो को भी  बुहार सकती हूँ 

सभी मजबूरियों के दामन को झाड़ सकती हूँ 

तुम कभी मेरे इस विश्वास को टूटने मत देना 

हर कदम पे साथ रहना  हौंसला देते ही रहना  

एक उसी विश्वास की डोर को मैं थामे हुए 

सारी दुनिया में अपना नाम कर सकती हूँ 
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

सपने हैं सपने

आसमां को तो सभी देखते हैं 

 ये किसी को भी मिलता नहीँ 

कभी ज़मी भी सितम ढाती है 

पैदावार भी यही बढ़ाती है 

यहीँ पर जन्म लेते हैं सभी 

मरके दफन भी होते यहीँ 

मिट्टी से मिट्टी का सफर 

ये ज़मी ही तो कराती है 

आदमी आकाश छूना चाहता है 

धूल पैरों से लिपट जाती है 

रास्ता रोकती हर ख्वाहिश का 

बड़े आशियां सपनों के सजाती है 

ये आसमां  रहता सदा  अछूता ही 

वक्त के आगे न किसी की चली 

कितनो  ने घुटने टेके हारे महाबली 

जाने  क्यों इन्सान नहीँ समझता 

क्यों ऊँचे ख़्वाब देखता रहता है 

जिनका टूटना ही यकीनी हो 

ऐसे सपने वो क्यों बुनता है 
@मीना गुलियानी 


जीना खुशगवार बन जाता है

ये तेरे कदमों की शायद आहट है 

तुमने ही द्वार पर दस्तक दी है 

हवा के झोंके से भी आई तेरी महक 

मेरी सांसो में जो घुलने लगी है 

एक सिहरन सी मेरे दिल में उठी है 

तुमसे मिलने की लगन  जग उठी है 

हवा ने पत्तों की बिछा दी चादर 

पाँव तुम अपना सम्भालकर रखना 

वहीँ पर कहीँ बिछा है दिल मेरा 

उसको तुम न कहीँ कुचल देना 

बड़े अरमानों से मैंने इसे संजोया है 

सिर्फ तुम्हारे लिए ही द्वार खोला है 

वरना दिल पे ताला लगा रहता है 

उदासी का पहरा सा उसपे रहता है 

तेरे आने से उमंगे दिल में जगीं हैं 

लम्हा लम्हा यूँ  तू जो मुझको मिला है 

तुम्हें  पाके जीना खुशगवार बन जाता है 
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 26 दिसंबर 2016

सुख के जनक बन जाओगे

सुख और दुःख दोनों का ही 
जीवन में जन्म भर का नाता है 
सुख को तो सभी अपनाते हैं 
पर दुःख न किसी को भाता है 
सुख तो केवल दो पल का साथी है 
दुःख से है जीवन भर का नाता 
सुख के पल को भी जियो जब 
 दुःख के संग भी तुम जी लो 
तब न तुम्हें ईर्ष्या होगी किसी 
अपने के सुखमय जीवन से 
न कभी निराशा होगी दुखमय 
अपने जीवन के विष पीने से 
जीवन का रथ चलता हर पल 
तुम पर ही निर्भर करता है 
तुम चाहो यदि जीवन सुखमय हो 
तो मन की कटुता को भूलो और 
भूलो अवसाद के हर  क्षण को 
हर दुःख के विष को पी लो 
जगादो अन्तस् की वेदना तुम 
फिर  संवेदना उभरेगी दुःख से 
उभर पाओगे  तुम दुःख भूल जाओगे 
फिर तुम सुख के जनक बन जाओगे 
@मीना गुलियानी 

रविवार, 25 दिसंबर 2016

मंजिल पाकर खुश रहूँगी

तुम कल वापिस चले जाओगे

सोचती हूँ फिर मैं क्या करूँगी

सुधियों को भूलकर जीऊँगी न मरूँगी

फिर से तुम्हारी ही प्रतीक्षा करूँगी

तुम्हारे न लौटने का दर्द सालता है

दर्द जब खत्म होगा तो क्या करूँगी

विरह की तपन तड़पाती है

विरह वेदना सिहरन बन जाएगी

तब मैं फिर क्या करूँगी

नयनों के कोरों से बहते अश्रुजल

जब भिगो देंगे तुम्हारा अन्तःस्थल

तब तुम्हारे इसी दिल में रहूँगी

फिर इंतज़ार किसका करूँगी

अपनी मंजिल पाकर खुश रहूँगी
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016

फिर क्या कयामत होती

गर हकीकत में पूरे सारे ख़्वाब होते
सोचो फिर क्या कयामत होती

किसी के दिल में क्या है
ये तो ईश्वर ही जानता है
गर दिल सारे बेनकाब होते
सोचो फिर क्या कयामत होती

रहना खामोश हमारी भी आदत है
इसी वजह से सबसे निभाया है
गर हर बात के जवाब होते
सोचो फिर क्या कयामत होती

लोगों ने हमेशा हमको बुरा जाना
जहाँ से गुज़रे समझा  इक दीवाना
गर सच में हम खराब ही होते
सोचो फिर क्या कयामत होती
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

काहे प्रभु नाम न गाए

तेरा पल छिन बीता जाए
काहे प्रभु नाम न गाए

मनमन्दिर के पट तुम खोलो
मुख से अपने हरि हरि बोलो
कोई स्वांस न खाली जाए

दुनिया ये दो दिन का मेला
उड़ जाएगा हँस अकेला
तन मन तेरे साथ न जाए

मुसाफिरी जब पूरी होगी
चलने की मजबूरी होगी
खाली करनी पड़ेगी सराय

हरि पूजा में ध्यान लगा ले
भक्ति सुधा रस को तू पा ले
अंत ,में काम ये तेरे आये
@मीना गुलियानी 

नवदीप हम जलाएं

आज फिर सुबह से ठंडक बढ़ गई है

कोहरे की चादर भी उस पर पड़ गई है

रिश्तों पर भी मौसम की सर्दी पड़ गई है

चलो अपने प्यार की गर्माहट उसमें भरदें

मन की कड़वाहट मिटाके रिश्ते जीवन्त करदें

दूर करके विषमताएँ फासलों को मिटाएँ

होठों को बन्द करके इशारों से मुस्कुराएं

सब शिकवे हम भुलादें कुछ गीत नए गाएं

कुछ फिर से बने सपने संवेदना को जगाएं

अन्धकार को मिटाकर नवदीप हम जलाएं
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 20 दिसंबर 2016

तेरी याद में ही ये शाम है

आके इक नज़र तू भी देख ले
तेरे सामने मेरा हाल है
तू जो मुड़के देखले इस कदर
मेरी जिंदगी का सवाल है

मेरे हमनशीं मेरी जिंदगी
है तुझसे ही दिल में रौशनी
तुझे कैसे दिल से जुदा करूँ
तुझसे जिंदगी बेमिसाल है

मेरे दिल में तू है समा गया
तू मेरे जहाँ में यूँ छा गया
तेरे आने से ये शमा जले
तेरे  जाने से तो बवाल है

न करो यूँ दूर नज़र से तुम
 हो न जाऊँ मैं दुनिया से गुम
तेरी यादों से हो सहर मेरी
तेरी याद में ही ये शाम है
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 19 दिसंबर 2016

क्लान्त मन भूले दुःख सारा

तुम्हारे आँसुओं से ये धरा द्रवित हो उठती है
तुम जो हँस दो कली  मन की खिल उठती है

यूँ तो हँसने रोने का रंगमंच सा होता मंचन
तुम्हारे हँसने से लगता हमने पाया है कंचन

तुम्हारी आभा बहुत नैसर्गिक पावन उज्ज्वल
तुम्हें देखकर मन में हमारे होती कुछ  हलचल

तुम्हारा रूप निश्छल निर्मल मधुमास के जैसा
तारे भी झुककर देखें तुम्हें लगता है कुछ ऐसा

तेरी केशराशि चेहरे पे हवा से जब भी बिखरे
लगता है चाँद उतर आया धरा पर गलती से

प्रकृति ने तुम्हारा रूप खुद अपने हाथों से सँवारा
तुम्हें लखकर व्याकुल क्लान्त मन भूले दुःख सारा
@मीना गुलियानी 

दिलवालों के लुटते यहाँ ख़ज़ाने हैं

शोहरत की चाह में जिंदगी गुज़ारी हमने
 जीना चाहा तो मोहलत न मिली जीने की
रब ने नवाज़ा था हमें जिंदगी देकर
पर तब तमन्ना हमें न थी जीने की

अब लगता है हमें यूँ ही दुनिया से चल देंगे
कोई कांधा भी शायद हमें नसीब न हो
इस तरह जिंदगी गुज़ार दी है हमने
रफीक तो हम क्या ढूंढे शायद रकीब न हो

समंदर भी बड़ा बेपरवाह ही निकला
डूबना जब चाहा तो डूबने न दिया
जब जीना चाहा  तो तैरने न दिया
कितना वो  तेरी तरह बेदर्द निकला

दुनिया में हर शख्स के अफ़साने हैं
जिस्मो जा के ही सब दीवाने हैं
सिर्फ दौलत की हवस है सबको
दिलवालों के लुटते यहाँ ख़ज़ाने हैं
@मीना गुलियानी 

रविवार, 18 दिसंबर 2016

सभी अपने हैं कोई नहीँ पराया है

मुझे ज़माने में इस शोहरत की चाह नहीँ है

चाहती हूँ कि तुम मुझे पहचान लो

जो जैसा होता है वैसा ही अक्स ढूँढता है

पर मुझे अपनी औकात का पता है

यह मिट्टी ही अब मेरी पहचान है

ज़िन्दगी यूँ ही गुज़रती जा रही है

हार जीत के दोनों मुकाम तय करने हैं

सागर की गहराई से जीना सीखा है

जो चुपचाप अपनी मौज में जीता है

मुझे फरेब से सख्त नफरत है

वक्त के साथ रंग ढंग बदलते हैं

बचपन के सुहाने पल खो गए हैं

पहले हँसते कूदते इठलाते रहते थे

अब मुस्कुराते भी बहुत कम ही हैं

रिश्तों को निभाने में खुद को खो दिया

मेरी जिंदगी ने यही फलसफा सिखाया है

 जहाँ में सभी अपने हैं कोई नहीँ पराया है
@मीना गुलियानी 

अफ़साने वादी में छाये हुए हैं

हमने माना कि तेरे दिल में समाये हुए हैं
इक पल झलक दिखा  दो चोट खाये हुए हैं

गुलशन का हर फूल देता रहा है गवाही
गुंचे गुंचे में इसकी खुशबु फैलाये हुए हैं

तुझको पाया है अपने दिल की गहराईयों में
ज़माने से इस कदर हम तो घबराये हुए हैं

न दूर कभी मुझसे होना मेरे करीब आके
अफ़साने तेरे इस वादी में अब छाये हुए हैं
@मीना गुलियानी



शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

भरोसा करके तो देख

दुश्मन नहीँ हैं हम तेरे भरोसा करके तो देख
आज़मा ले चाहे जितना अपना बनाके तो देख

हर वक्त तेरे साथ खड़े रहेंगे हम भी
बचके दूर जाने न पायेगा जाके तो देख

तेरे मुस्कुराने से आती है जहाँ में रौनक
कुछ पल हँसी को चेहरे पे लाके तो देख

हम जहाँ में हर पल ढूँढा करते हैं तुझको
चेहरे को इक पल इधर भी घुमाके देख

इतनी मसरूफ़ियत भी अच्छी नहीँ लगती
कभी तू भी तो मेरी गली से गुज़र के देख
@मीना गुलियानी 

बू में असर न हो

दूरियों का कुछ मुझे गम नहीँ
अगर फासले न दिलों में हों
नज़दीकियाँ भी तब बेकार हैं
जो ये फासले जिगर में हों

तेरा जिक्र भी चला है यूँ
क्यों न बात इस नज़र से हो
तेरी गुफ्तगू भी रही बेअसर
दिन तो ढला पर सहर न हो

तू तो आज भी गरूर है मेरा
कैसी चश्म वो जो तर न हो
कैसा बागबाँ जो खिला नहीँ
कैसा फूल जो बू में असर न हो
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

हर पल को सुहाना बनाओ

तुम अपनी आँख में आंसू न अब भर लाना

दर्द को भी कहदो मेरे करीब अब मत आना

अब तो तुम केवल खुश रहना थोड़ा मुस्कुराना

कोई प्यार भरा नग़मा धीरे से तुम गुनगुनाना

जीवन का काम है चंचल लहरो  की तरह बहना

समय कहाँ ठहरता उसे धारा पर नाव सा चलना

चाहे जीवन में पतझड़ आये या बसन्त फूल खिलाये

सूरज की तपिश कभी सही न जाए कभी मन को भाए

तेरे फूल से नाजुक होंठो की हँसी कभी कोई न चुराए

हमेशा मुस्कुराते रहो  खुश रहो कुछ अच्छे गीत गाओ

खुशियाँ जीवन में बिखेरो हर पल को सुहाना बनाओ
@मीना गुलियानी


बुधवार, 14 दिसंबर 2016

मेरे साथ मेरा करीम है

तू जो आज मेरे करीब है
मुझे तुझपे कितना यकीन है

कभी दूर न था तू पास से
तेरा रिश्ता कितना अज़ीम है

ये जो लम्हे सारे गुज़र गए
मेरे हौसलों में यकीन है

मेरी धड़कनों में रमा है तू
मुझे खुद पे इतना यकीन है

तेरी रहमतें मुझ पर हुईं
मेरे साथ मेरा करीम है
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

याद तुम्हें भी आती तो होगी

साजन मेरी याद तुम्हें भी आती तो होगी
मेरी याद में आँख तेरी भर जाती तो होगी

ये हवा ये सब नज़ारे साजन तुमसे हैं
ये महक गुलशन बहारें साजन तुमसे हैं
फूलों की खुशबु तुम्हें महकाती तो होगी

ओ रे तू भँवरे नगरिया उनकी जब जाना
मेरा भी सन्देश पिया को जाके पहुँचाना
याद मेरी दिल उनका तड़पाती तो होगी

प्यार की सारी वफायें तुमसे ही रोशन
तुमसे ही दिलकश नज़ारे तुमसे जग रोशन
चाँदनी लोरी गाकर तुमको सुलाती तो होगी
@मीना गुलियानी 

मनवा है बेचैन

साजन तेरी याद में मनवा है बेचैन
कबसे पंथ निहारूँ मैं
दिन कटते नहीँ रैन

इक पल दर्श दिखाओ तुम
इतना न तरसाओ तुम
बादल बन आ जाओ तुम
बरसो सारी रैन

साजन तुम कब  आओगे
कितना  मुझे तड़पाओगे
जीते जी मर जाएंगे
मन को न आवे चैन

निरखत हर पल द्वार मैं
बैठी पंथ निहार मैं
आवोगे जिस राह तुम
पथ में बिछादूँ नैन
@ मीन गुलियानी 

सोमवार, 12 दिसंबर 2016

साँसों की डोर पिया तुम संग बाँधी

साँसों की डोर पिया तुम संग बाँधी
तोड़ सके न इसको कोई
 आये कितनी  भी आंधी

तुम हो मेरे चन्द्रमा तो मैं हूँ तेरी इक किरण
मन है  व्याकुल तेरे बिन जैसे हो घायल हिरण
कैसे डोलेगा वो बन बन आएगी जब आंधी

तुम हो सूरज तो धरा मैं मुक्त हो आकाश तुम
चाहे मन मेरा उड़ूँ बन पक्षी हो जाऊँ मैं गुम
ढूंढें ये जग मुझको करूँ पीर तुम्हीं संग सांझी

तेरे लिए जीवन ये मेरा कट जाए तेरे प्यार में
तेरे बिन  कुछ भी न चाहूँ मैं पिया संसार में
रास्ता रोकेगी कैसे मुझको जग की आंधी
@मीना  गुलियानी

बुधवार, 7 दिसंबर 2016

माटी में सब मिल जायेगा

 दौलत  के  नशे में ना होना मगरूर
उलझना  न उनसे  जो हो बेकसूर
वरना सुख न कभी भी तू पायेगा
तेरा माटी में सब मिल जाएगा

तेरी ऊँची हवेली और ऊँचे महल
अर्श से आये फर्श पे होगा ऐसा पल
मत ले बददुआ ले दुआओं का फल
छोड़ बुराई का रास्ता नेकी पे चल
जो बोयेगा वही तू फल पायेगा

उड़े आसमान  पे तू पैसा तेरे पास है
 ये भी सोच गिनती की तेरी साँस है
नेकी बदी का हिसाब कर बुराई से डर
कर तू सबकी भलाई दूर कर बुराई
केवल भलाई का ही फल तू पायेगा
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

मन में पिया जी समाये गयो रे

मेरे मन में पिया जी समाये गयो रे 
कि मैं अपनी तो सुध बुध गंवा बैठी 
 आये आहट तो देखूं वो आये गयो रे 
मैं तो पलकों में उसको समा बैठी 

नित आने की बाट संजोती हूँ मैं 
मेरे आँगन की खोले किवड़िया 
जाने कब आयेंगे पिया जी मोरे 
अपने बालों में गजरा सजा बैठी 

किस गाँव गए हैं सांवरिया मोरे 
रूप उनका मेरे मन को भाया 
नैनो को मूँद लूँ तो दर्शन करूँ 
अपने दिल में उसे मैं बसा बैठी 

उसकी खुशबु लिए पुरवईया चली 
मेरा आँचल भी उसने उड़ाया 
छाई बदरी भी काली  बरसने लगी 
झट आँचल में मुखड़ा छिपा बैठी 
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 5 दिसंबर 2016

दुखड़ा अपना किसको सुनाऊँ

सखी री उसका नाम ना पूछो
मैं कैसे बताऊँ हाय मैं शरमाऊं

दिल में छिपा है प्रीतम मेरा
आने से उसके आये सवेरा
पल पल उसकी याद में जागूँ
 ढूँढूँ उसे पर ढूँढ न पाऊँ

हर पल डोलूँ इत उत धाऊं
जीवन  अपना यूँ ही गवाऊँ
कोई तो बता दे मंजिल मेरी
मैं तो बावरी खोज न पाऊँ

उसका पता न कोई खबरिया
जाने कहाँ गए मोरे सांवरिया
खोजा मैंने तो सारी नगरिया
दुखड़ा मैं अपना किसको सुनाऊँ
@मीना गुलियानी 

रविवार, 4 दिसंबर 2016

तुझसे मेरा जग रोशन है

दिल में बसा है मेरे अब तू कण कण में स्पन्दन है 
रोम रोम तेरा नाम पुकारे तू ही तो अन्तर्मन में है 

तुझसे ही तो संगीत है मेरा तू ही मेरी सरगम है 
सांसों  में तू ही समाया तू ही दिल की धड़कन है 
मन की भावना में तू बसा है तुझको मेरा वन्दन है 

अस्ताचल की किरणों में तू लहरों में तेरा गान बसा 
मन उपवन का फूल भी तू है तुझसे ये संसार बसा 
हर रचना से तू मुझे प्यारा तू ही तो मेरा दर्पण है 

मेरी इच्छा को तू जाने क्या चाहूँ मैं इसके सिवा 
दिल तेरा ही दर्शन मांगे कुछ न मांगू इसके सिवा 
 नज़रों में तू ही समाया तुझसे मेरा जग रोशन है 
@मीना गुलियानी 

दिल में मेरे मुस्कुराता है

मेरे दिल तू ज़रा धीरे से धड़क
उसका पैगाम आता है 
पवन तू भी ज़रा धीरे से चल 
कोई गुनगुनाता है 

हवा उसकी खुशबु लेके चली 
घटा भी झूमके बरसने लगी 
मुझको करना है उसका इंतज़ार 
वो जो मेरी नगरिया आता है 

मुझको छूने लगी है उसकी परछाई 
दिल के कोने में बजती है शहनाई 
 उमंगें दिल में उठी बज उठे हैं तार 
 वो जब  दिल में मेरे मुस्कुराता है
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 3 दिसंबर 2016

जैसा चाहो वैसा बन जाऊँ

हो सकती मेरी भी ये हार नहीँ
 आज तुम प्रबल हो जीवन में
मिला  सब पाया जो चाहा तुमने
क्या हुआ मैं व्यथित रहा मन में

                                          किन्तु कोई ग्लानि नहीँ मेरे मन में
                                          जीवन  में कई जीते तो हारे भी कितने
                                          मानते सुख पाने को विजित होने में
                                         मैं चाहूँ सुख अपना सब कुछ खोने में

 तुम्हारा बन पाऊँ क्या अपने आदर्श भुला दूँ
क्या तुम भी चाहते हो कि मैं ऐसा बन जाऊँ
वरना  हाथ बंटाओ मेरा कूदो  समरांगन  में
फिर देख लेना मुझको जैसा चाहो वैसा बन जाऊँ
@मीना गुलियानी


गुरुवार, 1 दिसंबर 2016

समसामयिक रचना

बैंकों के बाहर कतारों के नज़ारे बोल रहे हैं 

आज तो नदिया के भी धारे बोल रहे हैं 

 ज़लज़ला आया जिंदगी में महल डोल रहे हैं 

गरीबों को तो रोज़ का ही राशन जुटाना था 

अमीरोँ के तहख़ाने सारे राज़ खोल रहे हैं 

गरीब तो चुपचाप आधे पेट खाके सोते हैं 

जिनके पास ख़ज़ाने हैं सिंहासन डोल रहे हैं 

चर्चा है जग में धुआंदार हो रही जयजयकार 

जाने जनता किसे नेता चुने पहनाये वो हार 

कब ले करवट ऊँट  जाने कब क्या हो जाए 

अभी तो यह समरांगन है कौन वोट ले जाए 
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 30 नवंबर 2016

वापिस घर लौटके आएं

जब भी बिजली चमकती है

मैं भीतर से कांप उठती हूँ

उलझ गए हैं जिंदगी के धागे

सब धुआँ धुआँ सा दिखता है

वो जिंदगी जिसमें थी भाषा

मूक हो गई खो गई है आशा

गुज़रा सावन भरा था उपवन

पड़ा अब सूखा हरा था मधुबन

चौका गया मुझको पवन का झोंका

कितनी ही बार मैंने मन को रोका

बादलों का घुमड़ना लहरों का उमड़ना

लहराती  चुनरिया बलखाती जुल्फें

घटा जैसी लगती भीगी सी अलकें

कहदो पवन से धीमे से आये

पायल बासन्ती से नगमे गाये

झनक झनक कर क्या बतलाये

मीठे मीठे बोलों से समझाए

पी पी पपीहा भी शोर मचाये

दिल की अगन भी बढ़ती जाए

कोई तो कहदे  जाके मेरे पिया से

जल्दी से वापिस घर लौटके आएं 
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 29 नवंबर 2016

जिन्दगी

कल जिन्दगी की झलक देखी
वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी
मैंने उसे ढूंढा यहाँ वहाँ पर
वो हँसकर गुनगुना रही थी

                           कितने समय बाद पाया मैंने भी करार
                           वो कितने प्यार से मुझे थपथपा रही थी
                           हम क्यों खफा रहते हैं सबब बता रही थी
                           जिंदगी मुझे दर्द देकर जीना सिखा रही थी

 चोट खाकर भी मुस्कुराना पड़ेगा
रोते रोते भी हंसके गाना पड़ेगा
इसी का ही तो नाम जिन्दगी है
 जीने का सलीका समझा रही थी
@मीना गुलियानी 

दिल ये कभी टूटे ना

आओ बसा लें अपनी जन्नत जिसको ज़माना लूटे  ना
खुशियाँ या गम साथ सहें हम हाथ हमारा छूटे ना

तू मेरे लिए मैं तेरे लिए एक दूजे के हो जाएँ
न गम हो जहाँ खुशियाँ हो वहाँ
ऐसा जहाँ हम बसाएँ
तू भी लगादे दिल की बाजी
खेल अधूरा छूटे ना

हर पल हो हँसी न आँखे हो नम इतनी ख़ुशी हम पाएं
मिलते ही रहें न बिछड़ें कभी
वो आशियाँ हम बनायें
तुम भी कभी न रूठो मुझसे
मैं भी कभी रूठूँ ना

मिले चाहे ख़ुशी या मिले कोई गम संग मिलके हम बंटाएं
चाहे थोड़ा मिले चाहे ज्यादा मिले
संग संग जीवन बिताएं
थाम लेना आगे बढ़कर
दिल ये कभी टूटे ना
@मीना गुलियानी

सोमवार, 28 नवंबर 2016

इक पल न बिसराना मुझे

इस बेताब दिल की तमन्ना कैसे बताएँ 
तुम खुद ही समझ लो हम कैसे समझाएँ 

सूना सूना दिल था मेरा जबसे तुम न आये थे 
हर पल भटकता फिरता था सपने हुए पराए थे 
खुशियाँ भी थीं गैरों की आँसू हरदम बहते थे 
कैसे तुमको बताएँ हम जिन्दा कैसे रहते थे 

लेकिन तुम मिले हो जबसे जीवन तुम्हीं से पाया है 
दिल में तुम्हीं समाये हो अपना हुआ पराया है 
भूले हैं हम बिसरे क्षण कल्पित हुए व्यथित मन 
मिला सहारा जब तेरा पुलकित हुआ है मेरा मन 

अब तू मुझको भुलाना न सीने में छुपालो मुझे 
धड़कन बनाके तुम अपनी बाहों में समालो मुझे  
दिल से दूर न करना कभी यादों में बसालो मुझे 
इतना प्यार मुझे करना इक पल न बिसराना मुझे 
@मीना गुलियानी 

रविवार, 27 नवंबर 2016

गीत मेरे संग में गाती तो है

कितनी चंचल है नदी की ये धारा
इस पार से उस पार जाती तो है

दिल का दिया भी बुझने को है
लाओ चिंगारी इसकी बाती तो है

लहरों का अस्तित्व मिटने से पहले
सागर के तट पर टकराती तो है

संध्या ने ओढ़ी है अपनी काली चुनरिया
फिर भी रात के बाद भोर आती तो है

मानती हूँ कि अभी तक हूँ मैं खाली हाथ
मगर पवन गीत मेरे संग में गाती तो है
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 26 नवंबर 2016

कर डाला बदनाम मुझे

सबसे पहले प्यार के तुमने भेजे थे पैगाम मुझे 
आज उन्हीं पैगामों ने ही कर डाला बदनाम मुझे 

पायल के घुँघरू भी छनके आई न आवाज़ तुझे 
तुम भी थे मसरूफ़ उधर तो थोड़ा सा काम मुझे 

जो करते हैं जख्मी हमको देंगे न इल्ज़ाम तुझे 
एक ज़रा सा हमने टोका कर डाला बदनाम मुझे 

कितने नश्तर दिल में चुभोए दिया न था इल्ज़ाम तुझे 
तुमने तो कोहराम मचाकर कर डाला नाकाम मुझे 

तेरे फूलों की ठंडक से आता था आराम मुझे 
लेकिन अब उसके कांटे भी देते हैं आराम मुझे 
@मीना गुलियानी 

दिल की बात रही फिर दिल में

दिल की बात रही फिर दिल में
आज तलक भी जुबाँ पे न आई
कितनी बार मिले तुम मुझसे
कितनी बार मैं तुम तक आई

हर पल सोचा कहदूँ तुमसे
हर पल तुमसे ही सकुचाई
जोशे जवानी उमड़ी भी तो
लेकर रह गई वो अंगड़ाई

तेरी आँखे कुछ भीगी सी
मीठे सपनों से भर आई
बिन बोले  समझ गए तुम
मैं तो कुछ समझा न पाई

चाँद हमारे ऑंगन उतरा
चाँदनी भी बरसाता रहा
प्यार का डोला संग में लेके
शीतल सी चली पुरवाई
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

विश्राम दे दो

मेरे मन की पीड़ा को तुम तनिक विश्राम दे दो 
बादलो घुमड़ना छोडो अब तनिक आराम दे दो 
भूलना चाहती हूँ मैं भी वेदना के सारे वो पल 
बरसा दो आँगन में बूँदे अब ज़रा आराम दे दो 

पी पी करके पपीहा थक चुका है अब तो वह भी 
अब न तरसाओ  क्लान्त मन को शान्ति दे दो 
दुःख से घबराने लगा मन पीड़ा के निष्ठुर हैं क्षण 
आओ बहुत विचलित हुआ मन इसे विराम दे दो 

इक तुम्हारे आने से खिल उठेगा मन का ये उपवन 
सुरभि फिर महकाएगी तन मन पुलक उठेगा गुलशन 
कोई भी  उदासी छू न पाए करो ऐसे अमृत से सिंचन 
तुम्हारे ये बोल मीठे मोह लेते मन बन जाता वृन्दावन 
@मीना गुलियानी 


गुरुवार, 24 नवंबर 2016

कौन हो तुम

कौन हो तुम जो मेरे हृदय में समाये हुए हो

कौन  जो मेरी कसक को बढाये हुए हो

कौन हो तुम जो अपनी मधुरता बढाये हुए हो

कौन हो तुम अपरिचित लोचनों में समाये हुए हो

कौन हो तुम जो मेरे स्वप्नों में समाये हुए हो

कौन हो तुम जो मेरी  नींदें उड़ाए हुए  हो

कौन हो तुम जो मेरी साँसों में समाये हुए हो

कौन हो तुम अपने प्रेम में बन्दी बनाये हुए हो
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 23 नवंबर 2016

आँसुओं को न ढलकाना

तुम ज़रा अब खामोश हो जाना 
सुनाती हूँ तुम्हें मैं अफसाना 
न भरना अपनी आँखों में आँसू 
सुनो जब मेरा तुम ये फ़साना 

डूबने को है अब सफीना मेरा 
जब मैं आवाज़ दूँ तुम चले आना 
मेरी मुश्किलें सारी दूर हो जायेंगी 
ऐसे आलम में तुम नज़र आना 

मेरी किश्ती लगा दो साहिल के  पार 
तूफानों से कहदो जिंदगी में न आना 
तुमको आखिरी सलाम भेजा तो है 
अपने आँसुओं को न अब ढलकाना 
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 22 नवंबर 2016

तेरा दीदार काफी है

जगत के रंग क्या देखूँ तेरा दीदार काफी है
करूँ इकरार मैं  किस से तेरा प्यार काफी है

न भाएँ अब ये दुनिया के निराले रंग ढंग मुझको
तेरे चरणों  से हो प्रीति  तेरा उपकार काफी है

जगत के रिश्तेदारों ने बिछाया जाल माया का
तेरे  भक्तों से हो प्रीति यही परिवार काफी है

जगत की फीकी रोशनी से आँखे भर गई मेरी
मेरी आँखों में बस जाओ  तेरा दीदार काफी है

जगत के साजों बाज़ो से हुए अब कान भी बहरे
करो कृपा सुनूँ अनहद तेरी झन्कार काफी है
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 15 नवंबर 2016

घर से बाहर निकलना पड़ेगा

जिंदगी एक किराये का घर है एक न एक दिन निकलना पड़ेगा
मौत जिस वक्त आवाज़ देगी घर से बाहर निकलना पड़ेगा

शाम के बाद होगा सवेरा देखना है अगर दिन सुनहरा
पाँव फूलों पे रखने वालो एक दिन काँटों पे चलना पड़ेगा

ढेर मिट्टी का हर आदमी है होना मरने पे सबका यही है
या ज़मी में समाधि बनेगी या चिताओं में जलना पड़ेगा

चन्द लम्हे ये जोशे जवानी चार दिन की है ये जिंदगानी
ऐ पिया शाम तक देख लेना चढ़ते सूरज को ढलना पड़ेगा
@मीना गुलियानी 


सोमवार, 14 नवंबर 2016

हरदम सहारा तेरा चाहिए

आसरा इस जहाँ का मिले न मिले
मुझको तेरा सहारा सदा चाहिए
चाँद तारे फलख पे दिखें न दिखें
मुझको तेरा नज़ारा सदा चाहिए

यहाँ खुशियाँ हैं कम और ज्यादा हैं गम
जहाँ देखो वहाँ पर हैं सितम ही सितम
मेरी महफ़िल में शमा जले न जले
मेरे दिल में उजाला तेरा चाहिए

कभी वैराग्य है कभी अनुराग है
जहाँ बदलें हैं माली वही बाग़ है
मेरी चाहत की दुनिया बसे न बसे
मेरे दिल में बसेरा तेरा चाहिए

मेरी धीमी है चाल और पथ है विशाल
हर कदम पर मुसीबत है तू ही सम्भाल
पाँव मेरे थके हैं चलें  न चलें
मुझको हरदम सहारा तेरा चाहिए
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 10 नवंबर 2016

बंजारा हूँ -बंजारा हूँ

बंजारा हूँ मैं गलियां कूचे घूमता हूँ
न हारा हूँ - बंजारा हूँ -बंजारा हूँ

घर बार नहीँ संसार नहीँ
करता मैं किसी से प्यार नहीँ
बोले जो प्रेम से तो मैं जग हारा हूँ

कोई मीत नही कोई प्रीत नहीँ
गाता रहता पर गीत यहीँ
सुनसान डगर अन्ज़ान नगर बेचारा हूँ

मस्ती में अपनी खोया हूँ
पर दिल ही दिल में रोया हूँ
वीरान नगर बेजान जिगर का मारा हूँ

कल क्या हो जाए किसको खबर
भूले हैं हम अब खुद की डगर
है नाव पुरानी मैं केवट बंजारा हूँ
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 9 नवंबर 2016

हसरतों के सोग की रात

कैसे मैं भुला पाऊँगा अपनी वो मुलाक़ात की बात
हँसते हँसते ही कट जाती थी मेरी हर इक रात

                         तेरी आँखों से की जाम पिए थे मैंने
                         तेरे रुखसार पे की वादे किये थे मैंने
                         रंग और नूर में वो भीगी सी रात

तेरे ही प्यार से जीने का सलीका सीखा
कैसे हर चोट में मुस्काएँ तरीका सीखा
सिलसिला प्यार में मिट जाने की रात

                          तुमसे मिलने में कई बार तो नाकाम हुए
                          कभी मिल भी लिए तो यूँ ही बदनाम हुए
                          शोक में डूबी हसरतों के सोग की रात
@मीना गुलियानी 

कैसे भूलें वो लम्हें ख़ुशी के

मुझको याद आ रहा है
मेरा वो गुज़रा जमाना
वो तेरा यूँ दूर जाना
फिर लौटके न आना

                           हाथों से चेहरे को छिपाना
                           होले होले से पर्दा गिराना
                           बन्द आँखों से  वो शर्माना
                           भीगी पलकों से मुस्कुराना

याद आती हैं भोली अदाएं
वो लरजती हुई सी सदायें
फैली बाहें जो मुझको बुलायें
कहदो हमपे न बिजली गिराएं

                          उफ़ ये तेरी बिखरी सी जुल्फें
                          छीनती हैं सुकून तुझसे मिलके
                          कहीँ करदे न टुकड़े ये दिल के
                          कैसे भूलें वो लम्हें ख़ुशी के
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 8 नवंबर 2016

आज पिया मोरे घर आयेंगे

मंगल गाओ खुशियाँ मनाओ
आज पिया मोरे घर आयेंगे

लिख लिख भेजी थी
पिया को जो पतियां
आज तो होंगी पिया से
मोरी जियरा की बतियाँ
गाओ बधाई बाँटो मिठाई
आज ---------------------

सारे शगुन आज हो गए पूरे
सपने मेरे अब रहे न अधूरे
पी पी बोले कोयलिया काली
झूमे ख़ुशी से वो डाली डाली
फूलों से खुशबू आये मतवाली
आज ---------------------------

सखी तुम मुझे सजाओ री
हल्दी कुमकुम लगाओ री
माथे बिंदिया टीका सजाओ
 पायल  बिछिया भी पहनाओ
मेरे हाथों में मेहँदी लगाओ
आज ---------------------------
@मीना गुलियानी 

एक पत्नी की मनुहार पति से

नहीँ कहती आपसे चाँद तारे तोड़ लाओ 
जब आते हो एक मुस्कान साथ लाओ   

नहीँ कहती कि मुझे सबसे ज्यादा चाहो 
पर प्यार की एक नज़र तो उठाया करो 

नहीँ कहती कि बाहर खिलाने ले जाओ 
पर एक पहर साथ बैठके तो खाया करो 

नहीँ कहती कि हाथ तुम भी बंटाओ मेरा 
पर कितना करती हूँ देख तो जाया करो 

नहीँ कहती कि हाथ पकड़कर चलो मेरा 
पर कभी दो कदम तो साथ आया करो 

यूँ ही गुज़र जाएगा सफर भागते भागते 
एक पल थक के साथ बैठ जाया करो 

नहीँ कहती  कि कई नामो से पुकारो 
एक बार फुर्सत से 'सुनो'कह जाया करो 
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 7 नवंबर 2016

अमृत की बूँदे छलकाने लगी

तेरी खिड़की से छनती हुई धूप 
मेरी  नज़रों में समाने लगी 
कुछ प्रेम भरे सपने यादों के 
आँखें पलकों में सजाने लगीं 

 अधखुली आँखों ने देखे थे 
कुछ सपने वो अधूरे से ही 
मतवाली रुत की वो बदली 
आसमाँ पर लो छाने लगी 

कोयलिया की कुहुक प्यारी 
लागे मन में मीठी कटारी 
यादों की सिहरन वो जगाये 
मीठे बोलों से मन हर्षाए 

इठलाती सी बाजे पायलिया 
दूर बाजे पिया की मुरलिया 
फूलों की खुशबू मन लुभाए 
हँसके बोले वो नज़रें झुकाए 

हर अदा उसकी मेरे मन को भाए 
तन छुए जब मस्त पवन लहराए 
चले झूमकर आँचल को बिखराये 
चन्दा उतरा किरणों को छितराये 

तेरी खिड़की से आती  रोशनी 
अब चन्दा को भी भाने लगी 
 उसकी किरणें प्यार लुटाने लगी 
वो अमृत की बूँदे छलकाने लगी
@मीना गुलियानी 


फिर से लौट आओगे

तुमको भूल जाने की कोशिश में
यूँ ही दिन रात जीते मरते हैं
यूँ ही यादों में दिन गुज़रता है
लम्हे यूँ ही मेरे  गुजरते हैं

                                   सोचा न था कि दिन ऐसा भी कभी आएगा
                                   तेरा साया भी कभी दूर मुझसे जाएगा
                                    हमने तो तुझे अपने सीने में छिपा रखा था
                                    क्या पता था  दामन छुड़ाके निकल जाएगा

बीते लम्हो की यादें ही सिर्फ बाकी हैं
वो पल जो गुज़रे साथ वही मेरे साथी हैं
यकीं है  मुझे तुम भी न भुला पाओगे
  मेरी दुनिया में  फिर से लौट आओगे
@मीना गुलियानी 

रविवार, 6 नवंबर 2016

दिल दुखाया न करो

कल न जाने क्या बात हुई 
तुमसे जो न मुलाक़ात हुई 
हमने तो लाख पुकारा तुमको 
 तुमने न मुँह फेरके देखा मुझको 

                                     न जाने दिल ही दिल में क्या बात हुई 
                                     यूँ ही दिन ढल गया और रात गई 
                                      नींद आँखों से कोसोँ मेरी दूर हुई 
                                       तन्हाई  भी मिलने को मजबूर हुई 

ऐसे तुम यूँ छोड़के जाया न करो 
जब पुकारूँ तुझे सामने आया करो 
यादें तेरी दिल को बड़ा तड़पाती हैं 
इस  तरह दिल को दुखाया न करो 
@मीना गुलियानी 

दामन छुड़ाया न करो

आज दिल फिर मिलने को बेताब है

क्या जाने कब हो उनसे इन्तेखाब है

तेरी नज़रों में न जाने छुपी क्या बात है

जाने कितने छिपे दबे हुए से राज़ हैं

दिल उन सबको जानने को बेकरार है

तेरी धड़कनो में भी इक मधुर गीत है

इक मीठी सी धुन है इक संगीत है

तुझसे मेरे मन को मिलती राहत है

हर पल तेरे ही आने की तो आहट है

 खिड़की क्यों तेरे नाम से बज उठती है

हवा भी बार बार तुझे पुकार उठती है

झुककर ये हवा तुझे सलाम करती है

फूलों की महक भी तुझे छूकर उड़ती है

भँवरों की टोलियाँ करती हैं अठखेलियाँ

तुझसे ही वो करती रहती हैं ठिठोलियाँ

वरना मेरे सामने तो कभी आती नहीँ

अपना मुँह छिपाती हैं नज़र आती नहीँ

तुम इक पल भी कहीँ दूर जाया न करो

दिल लगता नहीँ दामन छुड़ाया न करो
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 5 नवंबर 2016

कबहुँ न पायो चैन

साजन तेरी याद में तड़पत हूँ दिन रैन
इक पल भी तेरी याद में कबहुँ न पायो चैन

इक पल तो आ जाओ तुम
मुझको न तरसाओ तुम
पल छीन बीते युग समान
बरसत मोरे नैन

बाट तेरी निहारुँ मैं
इक पल भी न बिसारुं मैं
गुज़रो तुम जिस  राह से
उनपे बिछादूँ नैन

प्रीतम तुम कब आओगे
आके दरश दिखलाओगे
तड़पत हूँ मैं मीन ज्योँ
आओ तो चैन
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

जान गई मैं भी जान गई

जान गई मैं तुमको जान गई 
काहे आये हो मुझको सताने 
मोरा भोला जियरवा लुभाने को 

तोरा मनवा भया है दीवाना 
आये तुझको भी दिल को लुभाना 
जान गई मैं भी जान गई 
हार गई तुमसे मैं बालम 
काहे उलझे हो नैना लड़ाने को 

भूली सारी जिया की मैं बतियाँ 
लिख लिख भेजी तुझको जो पतियाँ 
जान गई मैं भी जान गई 
वैरी मोरा जियरवा न माने 
बोलो काहे को आये रिझाने को 

पूछें हँस हँस के सारी ये सखियाँ 
कहदूँ कैसे पिया की मैं बतियाँ 
जान गई मैं भी जान गई 
काहे तू मोहे सताये 
क्यों न आए तू मोहे मनाने को 
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 3 नवंबर 2016

पिया जी तोहे मन में बसाके

दिल को न आये चैन पिया जी तोसे नैना मिलाके
हम तो हुए बेचैन पिया जी तोहे मन में बसाके

बरसों पहले न था ये ऐसा
दर्द जगा जो पाया न ऐसा
जागूँ मैं सारी सारी रैन

 उड़ गई मोरी आँखों की निंदिया
पूछे  मुझसे माथे की बिंदिया
कासे कहूँ मैं बैन

पड़ गई तेरे प्यार में सैयां
भूली डगर हुई भूल भुलैया
तड़पत हूँ दिन रैन
@मीना गुलियानी



पवनिया धीरे चलो

मोरे सैंया जी आएंगे द्वार रे
पवनिया धीरे चलो
लेके डोलिया भी आए कहार रे
पवनिया धीरे चलो

नदिया गहरी बहता पानी
कल कल धारा नाव पुरानी
सर पे खड़ा मंझधार रे
पवनिया -------------------

उड़ उड़ जाए मोरी चुनरिया
लागे न किसी की नजरिया
नज़रें उठें बार बार रे
पवनिया ------------------

आये पिया आज दिल मेरा डोले
संग संग नैया भी खाये हिचकोले
डोली ले चले कहार रे
पवनिया ----------------------
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 31 अक्टूबर 2016

करामात न होने पाई

हुए परदेसी तुम बात न होने पाई 
चल दिए तुम मुलाकात न होने पाई 

मेरे दिल ने अब फिर से ये दुआ दी है 
मिटते मिटते भी तुझे जीने की सदा दी है 
छलकती आँखों से बरसात न होने पाई 

मेरी हसरतों ने घुट घुटके जीना सीख लिया 
तुझपे आये न हरफ़ होंठ सीना सीख लिया 
बेवफा तुम थे ये फरियाद न होने पाई 

जिंदगी जैसे भी गुजरेगी जी ही लेंगे हम 
तुझको रुसवा न होने देंगे यही लेते हैं कसम 
थामा दामन तेरा करामात न होने पाई 
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 29 अक्टूबर 2016

कहूँ मैं वचन ज्यों नाविक तीर

सजन तुम आना यमुना तीर
वहाँ पर हरना सबकी पीर
सारी सखियाँ तुम्हें बुलायें
कबसे बैठी आस लगाएं

तुमसे बात कहूँ गम्भीर
नहीँ अब चुप रह पाती हूँ
तुम्हें मैं सब बतलाती हूँ
सजन ले चलो मुझे उस तीर

मेरी सखियाँ हँसी उड़ाएँ
तुमको देख देख मुस्काएँ
मुझसे ये सब देखा न जाए
ले  चलो संग तो आए धीर

सुनो तुम आज हमारी बात
हमारा व्याकुल हो गया गात
बिसरूं न तुमको मैं दिन रात
कहूँ मैं वचन ज्यों नाविक तीर
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2016

स्वीकार करो मेरी शुभकामनाएँ

मन में लाखों  आशीष लिए 
मृदु पावन मधुर गान लिए 
अधरों पर मुस्कान लिए 
भावनाओं की छाँव लिए 

आये मृदु भावन दीवाली 
लाये जीवन में खुशहाली 
अध्यात्म की छाए लाली 
छा जाए गहरी उजियाली 

खुशियों से भर जाओ तुम
 मनचाहा वर पाओ तुम 
आलौकित हो जाओ तुम 
सुख पोषित हो जाओ तुम 

लक्ष्मी माँ तेरे द्वार पे आएँ 
खुशियों की बौछार लुटाएं 
दुःख नैराश्य को दूर भगाएँ 
स्वीकार करो मेरी शुभकामनाएँ 
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 27 अक्टूबर 2016

प्रेम की दुनिया बसाओ

आज मेरी कल्पना में आकर
मेरी कविता में समा जाओ
खोल दो तुम हृदय कपाट
मेरी धड़कनों में बस जाओ

                         छोड़ दो हर प्रपंच निष्कपट निष्कलंक
                         बनकर आज तुम मुझको दिखाओ
                         दूर करके हर उदासी मेरी पीड़ा को मिटाओ
                          सारे दुर्गुण त्यागकर प्रेम की दुनिया बसाओ

जहाँ सिर्फ आस हो विश्वास हो
ऐसा इक जहाँ तुम भी बसाओ
जहाँ आत्मा और परमात्मा मिलें
ऐसा प्यारा घर तुम भी बनाओ
@मीना गुलियानी 

बरसो आँगन बनके फुहार

अब तो साजन सुनो पुकार
कबसे बैठी पन्थ निहार
आ जाओ अब मेरे द्वार
बैठी कबसे करूँ पुकार

घायल है मेरी आत्मा भी
कल न पाती ये कहीँ भी
मिल जाओ कहीँ भूले से भी
तो पा जाए ये भी करार

इक पल तो आ जाओ तुम
इतना न तरसाओ तुम
साजन गाऊँ गीत मिलन के
बरसो आँगन बनके फुहार
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 26 अक्टूबर 2016

दिन गिनते तेरी याद में साजन

कब आओगे तुम मोरे आँगन 
तुमने तो बिसरा दिया साजन 
राहों में हम नैन बिछाए बैठके 
दिन गिनते तेरी याद में साजन 

रोज़ ही देखा करते हैं दर्पण 
याद में तेरी सँवरते हैं हम 
न जाने कब आओ किसी क्षण 
इसी कल्पना में गुज़रे हर क्षण 

हर पल तेरी याद में खोना 
अखियों का चुपके से रोना 
आँखों से बरसता वो सावन 
भिगो देता मन का हर कोना 
@मीना गुलियानी 

अब तनिक विश्राम कर लो

मेरे हृदय में समाकर तुम ज़रा विश्राम कर लो 
है जो तेरा मन व्याकुल उसका सन्ताप हरलो 

छोड़ दो दर दर भटकना भूल जाओ हर गली 
पास बेठो तुम हमारे क्लान्त मन शान्त करलो 

मेरा हृदय है विशाल बरगद की छाँव जैसा 
बैठो  छांव में इसकी मन की बाधाएं हरलो 

टहनियां इसकी विशाल फैला हुआ है चारों ओर 
बैठकर तुम नीचे इसके ताप सारे मन के हरलो 

मीठे बोल सुनाते हैं सब  पंछी विचरते जो यहाँ 
सुनके इनकी प्रेम वाणी पीड़ा अपनी दूर करलो 

वेदना के कोई भी सुर तुम सुन न पाओगे यहाँ 
सुख ही सुख पाओगे तुम तनिक विश्राम करलो 
@मीना गुलियानी 


मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016

मेरा प्यार असीम है

मेरा प्यार असीम है

न आदि है न अंत है

सर्वथा अंतहीन है

न तृष्णा है न वितृष्णा है

न भोग है न विलास है

हर बाधाओं से विहीन है

हर बन्धन से मुक्त है

स्वच्छन्द है विरक्त है

न कोई ज्वाला है न तप्त है

न ज़रा है न पुष्टि है

केवल सन्तुष्टि है मुक्ति है

गगन सा विशाल है

धरा जैसा पवित्र है

प्रेम की बगिया महकती है

हवा सुगन्ध यहीँ से लेती है

 प्रकृति खुल के सांस लेती है

यहाँ की बोली बड़ी विचित्र है

सब वाणी से मूक रहते हैं

बिन बोले सब समझते हैं

सब यहाँ प्रेमभाव से युक्त हैं

 दुनिया के कष्टों से मुक्त हैं
@मीना गुलियानी 

ओ साजन आ जाना

आ जाना मेरे द्वार ओ साजन आ जाना
अपना लुटाना प्यार झलक दिखला जाना

कबसे हैं मेरे नैना प्यासे
दर्श  तेरे बिन कल नहीँ पाते
सुनके मेरी पुकार मेरे घर आ जाना

कबसे साजन तुझको पुकारूँ
घड़ी घड़ी मैं रास्ता निहारूँ
आ जाना इक बार न मुझको तरसाना

भर भर आये मोरे नैना
 कबहुँ न पाए इक पल चैना
थक गई पंथ निहार तू अब तो आ जाना 
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 24 अक्टूबर 2016

मन की बगिया रीती रही

सारी रात मेघ बरसता रहा
पर  मन की बगिया रीती रही
दिल की कलियां खिल न पाईं
बगिया प्रेम पाने को तरसती रही

सूर्य की किरणें आईं धरा पर
किन्तु कुमुदिनी खिल न सकी
चन्द्र का डोला उतरा गगन से
धरा फिर भी उससे अछूती ही रही

प्रेम का स्नेहिल स्पर्श उसको न मिला
उसका मन रहा बुझा बुझा अधखिला
भँवरे फूलों पे आके मंडराने लगे
मस्ती भरे गीत उनको सुनाने लगे

कलियां फिर भी उदासी लिए मन में
सिमटी रहीं पूरी खिल न सकी
प्रेम का ज्वार उन पर उतर सा गया
मौसम आया था जो वो गुज़र सा गया

गीत मौसम ने गाये सुहाने मगर
फूलों को न  भाये मगर उनके सुर
वो गम के आँसू पिए ओठों को सिए
 बूँदे आँसू की ओस बनके बिखरती रही
@मीना गुलियानी

प्रेम सुधा इतनी बरसा दो

आज  तुम फिर अपने प्यार से
मेरी बगिया को महका  दो
खिल जाएँ सब फूल यहाँ के
प्रेम सुधा इतनी बरसा  दो

तन मन मोरा महक भी जाए
प्रेम का रस उस पर टपका दो
दिल का कोना रहे न रीता
अमृत की बूँदे छलका  दो

हो जाए ये धरा आनन्दित
गीत मधुर कोई ऐसा गा  दो
हों खगवृन्द भी दीवानो से
दो घूँट इनको भी पिला दो
@मीना गुलियानी 

रविवार, 23 अक्टूबर 2016

जाने कहाँ वो समां है

वो तेरा चुपके से चले आना
मेरी आँखे हथेली से दबाना
फिर धीरे धीरे से मुस्कुराना
और पल्लू से चेहरा छुपाना

                              याद आती हैं तेरी सारी वो बातें
                             वो तेरा नटखट भोलापन वो घातें
                             वो हिरनी की तरह कुलाँचे भरना
                             सीढ़ियों से उछलकर के कूद पड़ना

आया मौसम ये  कितना सुहाना
याद आया वो गुज़रा ज़माना
छू  लिया था हमने आसमाँ भी
जब तू मुझपे हुई मेहरबाँ थी

                             अब न जाने कहाँ वो समां है
                             सब ये गुज़री हुई दास्तां है
                             जाने क्यों टूटे सारे वो सपने
                             जो कभी हुआ करते थे अपने
@मीना गुलियानी

क्यों बेसहारे छोड़ चले

हमसफ़र आज साथ छोड़ चले
सारे रिश्ते वो आज तोड़ चले
कहते हैं भूल जाना तुम हमें
अब कभी याद न करना हमें
हमसे वो अपना नाता तोड़ चले

दिल भला कैसे भूल पायेगा तुम्हें
करेगा याद हर पल सताएगा हमें
ज़ख्म दिल के देख कैसे पाओगे
किस तरह वादों को निभाओगे
तुम तो अपने मुँह को फेर चले

कोई तो इसकी वजह रही होगी
शायद कुछ  प्यार में कमी होगी
बातों बातों में ऐसा क्या हो गया
क्यों तू मुझसे यूँ खफा हो गया
हमको क्यों बेसहारे छोड़ चले
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2016

नशा इतना गहरा होता है

मेरा मन यादों में ही खोया रहता है 
दिल में छोटे छोटे से अरमां  जगते हैं 
सांसों के तार दिन रात बजते रहते हैं 
फिर भी क्यों ये चुपचाप सोया रहता है 

तेरे आने की खबर जब भी इसे होती है 
देहरी पे इसकी नज़रें भी टिकी होती हैं 
कानों को हर खटके पे आभास तेरा होता है 
जगता रहता है ये दिल सारा जहाँ सोता है 

 चोरी से जाने क्या जादू मुझपे होने लगा 
चैन मेरे दिल का भी अब तो खोने लगा 
गया करार जब दिल का तो मुझे ऐसा लगा 
प्यार का नशा भी कहीँ इतना गहरा होता है 
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 20 अक्टूबर 2016

मैं ज़रा दीदार करलूँ

आओ प्रिय तुम पास बैठो मैं ज़रा दीदार करलूँ

कहीँ गुज़र जाएँ न लम्हें तुमसे मैं मनुहार करलूँ

वेदना के क्षण भुलाकर प्रेम को स्वीकार करलूँ

देह भले ही जर्जरित है आशा का संचार करलूँ

मन के हर कोने में दीप प्रज्वलित सत्कार करलूँ

पथिक तुम हो  मैं  विराम क्षणों पर अधिकार करलूँ

मन तो डूबा है मिलन की घड़ियों को साकार करलूँ
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 19 अक्टूबर 2016

अस्तित्व अपना भुला दो

आज मेरे सूनेपन को आँसुओं में तुम बहा दो

अपनी तमन्नाओं से तुम मेरा एकांत जगा दो

मेरी निराशा बढ़ने से पहले फूल आशा के बिखरा दो

मेरे दुःख भरे जीवन में तुम प्रेम सुधा छलका दो

अपने करुणाजल से मेरे जीवन को नहला दो

दिले  नादां को फुरकत में तुम ज़रा बहला दो

मेरी अंतहीन वेदना पर तुम अपनापन बिखरा दो

मेरे प्राणों के कम्पन में खोकर अस्तित्व अपना भुला दो
@मीना गुलियानी 

यूँ तड़पाना ही था

दिल ये मेरा दिल तो बस दीवाना ही था
उसने तुमको जाना और पहचाना भी था

न जाने हमारे अरमां क्यों बिछुड़कर रह गए
तुमको न जाने किस दूर डगर जाना भी था

मौसम भी था खुशनुमा और इस मौसम की शाम
अजनबी से तुम रहे क्यों तुमको भी आना ही था

दिल की भष्ट ही थी जो दरम्यां हमारे आ गई
दिल नादां को फुरकत में कुछ बहलाना भी था

इक ख्याल कुछ लम्हे  मुझसे लिपटता ही रहा
कुछ समय उस लम्हे को मुझे यूँ तड़पाना ही था
@मीना गुलियानी 

जीवन भर तेरा साथ रहे

पिया याद तुझे ये बात रहे
कभी छूटे न संग तू साथ रहे

नही तेरा मेरा आज का संग
ये तो जन्म जन्म का नाता है
बंधे जिस डोरी से टूटे न
अनमोल सा सुख दिल पाता है
चाहे दिन हो चाहे रात रहे

कभी रूठो ना मुझसे साजन
हो जाए जो मुझसे भूल कहीं
कर  देना मुझको माफ़ सनम
पर खफा न तुम हो जाना कहीँ
जीवन भर तेरा साथ रहे

तुझसे बिछुड़ी तो मैं इक पल भी
बोलो कैसे रह पाऊँगी
मछली हूँ मैं तुम सागर हो
तुम बिन कैसे रह पाऊँगी
मेरी डोर बंधी तेरे साथ रहे
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2016

आज की रात

चाँद से तारों का अब होगा मिलन आज की रात
कहने आई है मुझे देखो तो ये चन्द्रकिरण
आज की रात -------------------------------

आज तो तारों का डोला भी गुनगुनाएगा
धरती पे पहन के पायल नाचे गायेगा
धरती और गगन का भी होगा संगम
आज की रात --------------------------------

कबसे बिछुड़े हुए दिल आज मिल ही जाएंगे
फूल बगिया में हज़ारों खिल ही जाएंगे
खुशबु आज तो लुटायेगा चमन
आज की रात ----------------------------------

तन्हा आज तो कोई भी न रह पायेगा
मौसम ये प्यार का इक मधुर गीत गायेगा
हरसू लायेंगी बहारें भी संग मस्त पवन
आज की  रात -----------------------------------
@मीना गुलियानी

शनिवार, 15 अक्टूबर 2016

तोरे नैना हैं जादू भरे

सुनो जी तोरे नैना हैं जादू भरे
ये तो छुप छुपके जुल्म करे

कभी रूठे कभी मान जात हैं
कभी हँसे कभी करें प्रलाप हैं
हमें परेशान करें

बिन बोले कह जाए बातें
दिल में बसे बिछाए घातें
छुपके वार करें

दिल क्या जाने वो है अनाड़ी
साजन तुम हो बड़े खिलाड़ी
हंसके जादू करें
@मीना गुलियानी 

मैं तो दिल हारा हूँ

तू मेरा सहारा है मैं तेरा सहारा हूँ
चुपचाप न यूँ बैठो मैं तो दिल हारा हूँ

नदिया की जो धारा है उसका भी किनारा है
पर मेरे इरादों को न सूझे किनारा है
तू साथ अगर चलदे मंझधार किनारा है

जीवन ये फानी है दो दिन की कहानी है
आशा के ये दो पल यूँ ही उम्र बितानी है
सुख दुःख में तेरे संग पा  जाता किनारा हूँ
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2016

अच्छी नहीँ बात है

दिल में ही बसना और चुप रहना
अच्छी नहीँ बात है जी अच्छी नहीँ बात है
हर पल सोचना कुछ नहीँ कहना
बड़ी बुरी बात है जी बड़ी बुरी बात है

सोचते ही सोचते मैं तो यहाँ खो गई
दिन कैसे ढल गया रात देखो हो गई
कैसे मिलेंगे हम क्या क्या कहेंगे हम
सोचने की बात है जी सोचने की बात है

जब तक मिले न थे कितने आराम थे
तन्हा रहे तो न  थे गम  न हैरान थे
मिलने से गया सुकून दिल में भरा जनून
सोचने की बात है जी सोचने की बात है
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 13 अक्टूबर 2016

अश्कों से छलक जाता है

आज मेरा मन मदहोश हुए जाता है
कोई जब दूर से आवाज़ दिए जाता है

बात करते हैं सनम , तेरे जलवों की जो हम
फिर से बरसी है घटा ,रुक रुक के ओ सनम
दिल तो पागल है ये , बेख़ौफ़ हुए जाता है

तेरे आने की खबर, मिली जब हमको सनम
नैनो से नींद उडी, रात भर जागे थे हम ,
इक फ़साना है  जो ,बेहोश किए  जाता है

दूर न जाओ सनम, तुमको अब मेरी कसम
इल्तज़ा मान भी लो , नहीँ तो रो देंगे हम
दिल का गम चुपके से , अश्कों से छलक जाता है
@ मीना  गुलियानी 

बुधवार, 12 अक्टूबर 2016

अपनी सोच से हूँ आज हारा

कैसा छाया हृदय में मेरे गहन अँधियारा 
स्वार्थ के अवगुन्ठनों से भरा संसार सारा 

शक की दीवारों ने जकड़ा है मुझे 
लोग चलते देखकर मुँह को फेरते 

इस गगन के सूर्य चन्द्र की क्या कहें 
मुझको तकता नहीँ कोई भी अब तारा 

मेरी कल्पना भी अथाह बन बैठी है आज 
जलधि की लहर घेरे मेरी देह को आज 

सोचने पर भी मिलता नहीँ कोई किनारा 
तुम ही अपनी प्रीत से करदो उजाले 

सम्भले न मुझसे मेरा दिल अब सम्भाले 
मैं तो खुद अपनी सोच से हूँ आज हारा 
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 11 अक्टूबर 2016

न सुकून हूँ न करार हूँ

न किसी नज़र का सुरूर हूँ
न किसी के दिल का करार हूँ
जो हवा के झोंके से बुझ गया
वही टूटा हुआ सा चिराग हूँ

मेरा जिस्म भी अब ढल गया
रंग रूप मेरा बदल गया
जिसे आइना देखके डर गया
मैं तो ऐसी फसले बहार हूँ

मेरा अक्स मुझसे बिछुड़ गया
मुझसे तू जो आज बिगड़ गया
दरिया से कतरा बिछुड़ गया
तू है गुल तो मैं इक खार हूँ

कोई मेरे ख्वाबों में आये क्यों
कोई बुझती शमा जलाये क्यों
जो उजड़ गया फिर बसाये क्यों
न सुकून हूँ न करार हूँ
@मीना गुलियानी

सोमवार, 10 अक्टूबर 2016

तुझे हम भूल न पाते हैं

आजा  बिछुड़े हुए मेरे मीत
तुझे हम भूल न पाते हैं
आजा तेरी मेरी है प्रीत
तुझे हम भूल न पाते हैं

चँचल पवन देखो बरसें नयन
 ओ पिया मेरे इक पल तो आ जा
धड़के है मन मेरा तड़पे है मन
ओ सजन इक झलक तो दिखा जा
इस घड़ी तो निभाओ प्रीत --------------तुझे हम भूल न पाते हैं

दरश दिखाजा इक पल तो आ जा
मनवा मेरा अब तो डोले
पागल पवन भी लगाए अगन
अब तो छम छम पायलिया न बोले
तू जो मिले तो जागे प्रीत -----------------तुझे हम भूल न पाते हैं

मन का मयूर भूला  थिरकना
कैसा है जादू ये तेरा
खोई है सुध बुध तन मन ने मेरी
जबसे हुआ दिल ये तेरा
दूटे डोर न आओ मन मीत ---------------तुझे हम भूल न पाते हैं
@मीना गुलियानी 

कोई आया है

धीरे धीरे से चल तू ऐ ठण्डी बयार 
कोई आया है 
आके तू भी बरस जा घटा मेरे द्वार 
कोई आया है 

किसके आने से मैं मुस्कुराने लगी 
कलियां बागों से चुन चुन के लाने लगी 
मुझको करना है जी भरके उसका दीदार 
कोई आया है ---------------------------

होठों पे गीत मेरे तो सजने लगे 
चुपके चुपके से पाँव थिरकने लगे 
पायलिया की छमछम मची मेरे द्वार 
कोई आया है ------------------------------

पहले प्रीतम को थोड़ा सताऊँगी मैं 
फिर प्रेम से उसको मनाऊंगी मैं 
दिल पे मेरे तुम्हारा है अब इख़्तेयार 
कोई आया है ------------------------------
@मीना गुलियानी 

तुम जो फूल तो शूल हूँ

तुम हो प्रीतम प्राण हमारे
मैं चरण की धूल हूँ


तुम हो मेरी सृष्टि सारी
मैं हूँ तेरी कल्पना
तुम हो दीपक
मैं हूँ ज्योति
तेरी राहों की धूल हूँ

तेरी राहों में बिछी मैं
तेरी बगिया की कली
तेरी नज़रों से जो बिछुड़ी
धूल में फिर आ मिली
 तुम जो फूल तो शूल हूँ
@मीना गुलियानी

रविवार, 2 अक्टूबर 2016

माता की भेंट ----19

मुझे आस तेरी माता न निराश मुझे करना
सब कष्ट हरो मेरे आँचल की छाँव करना

मेरे मन के द्वारे में आ करलो बसेरा माँ
तेरी जोट जले मन में हो दूर अँधेरा माँ
मैं  आया शरण तेरी मुझे दर्श दिखा देना

मेरी आस का बन्धन माँ कहीँ टूट न जाए
क्या सांस का भरोसा पल आये कि न आये
मेरे नैना प्यासे हैं मेरी प्यास बुझा देना

सब देख लिया जग को माँ कोई नहीँ अपना
सब झूठे नाते हैं कग सारा इक सपना
मैं भटका राही हूँ तू नज़रे करम करना
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट ----18

खोलो खोलो माँ द्वारे इक दुखिया पुकारे 
रो रो अरजा गुज़ारे तेरा दास माँ 
न जुदाई सही जाए साल सीने काहनू लाये 
आजा आजा मेरी माए तेरा दास हाँ 

तेरी मैनू याद सताए पलकां रो रो पकियां 
तू जिन्हा राहां तो आवें मैं विछावां अखियां 
दरश दिखादे शेरां वालिये ,मैंनू न भुलावीं 
मैं तां तेरे ही सहारे -----------------------------खोलो खोलो माँ द्वारे

अरमाना ते हंजुआ दी मैं भेंटा लेके आया 
सधरां ते चावां ने मेरी है बुआ खड़काया 
आस पुजादे मेहरां वालिये दिल दी प्यास बुझावीं 
मेरा दिल ऐहो पुकारे ---------------------------खोलो खोलो माँ द्वारे

ऐहो मेरी आस है माए दर्श सदा ही पावां 
बनके तेरा लाल मैं अम्बे तेरे ही गुण गावां 
विनती मेरी ऐहो गुफा वालिये मैंनू वी दिखावीं 
दाती ध्यानु वांग नज़ारे --------------------------खोलो खोलो माँ द्वारे
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट ------17

मेरी मात आओ तुम बिन मेरा नही सहारा 
नैया भँवर में डोले सूझे नहीँ किनारा 

आ जाओ मेरी मैया आकर मुझे बचा लो 
डूबे न मेरी किश्ती करदो ज़रा इशारा 

तेरे सिवा  जहाँ में कोई नहीँ है मेरा 
आओ न देर करना तेरा ही है सहारा 

क्यों देर माँ करी  है मुश्किल में जां मेरी है 
विपदा को आज हर लो दे दो मुझे सहारा 

अब देर न लगाना मेरी मात जल्दी आना 
मुझको भी तार दे माँ लाखों को तूने तारा 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट -----16

किस रँगया दुपट्टा मैया तेरा ,कि गुलानारी किस रँगया 

ऐ दुपट्टा वेख देवते वी हसदे 
छन सूरज ते तारे पये ने नचदे 
नाले बोलदे  मैया दा जयकारा ,-------------कि गुलानारी किस रँगया

ऐ दुपट्टा तकदीर गरीबां दी 
तार तार विच  झलक नसीबा  दी 
कट देंदा चौरासी वाला घेरा ---------------,कि गुलानारी किस रँगया

रब मेनू कदी  गोटा च बनावंदा 
खो खो सुई मैं दुपट्टे नूँ सजावन्दा 
नित मैया दे सर उते सजदा --------------,कि गुलानारी किस रँगया

ऐ दुपट्टा मन ध्यानु जी दे भाया सी 
कट सीस तेरी भेंट चढ़ाया सी 
नाले बोलदा मैया दा जयकारा ------------,कि गुलानारी किस रँगया
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 1 अक्टूबर 2016

माता की भेंट -----15

माता तेरा बाल हूँ मैं ,यूँ न तू ठुकरा मुझे 
दर पे तेरे आ गया माँ ,फिर गले से लगा मुझे 

गम से मैं घबरा गया ,द्वार तेरे आ गया
अपने कर्मो को देखकर ,माता मैं शर्मा गया 
पार करना भव से माता ,समझकर नादां मुझे 

माता मैं मजबूर हूँ ,तुझसे जो मैं दूर हूँ 
दिल लुभाया विषयों ने,फिर भी क्यों मगरूर हूँ 
दुनिया से  घबरा के माता,दिल ने दी है सदा तुझे 

मुझको न बिसराओ तुम,अब तो माँ आ जाओ तुम 
लाल तेरा हूँ मैया , मुझको गले से लगाओ तुम 
तेरे चरणों में पड़ा हूँ ,माता तू अपना मुझे 
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

माता की भेंट -----14

आया दर तेरे ते चल नी माँ 
मेरी करदे मुश्किल हल नी माँ 

सुहे शेरां दे उते सवारी तेरी 
महिमा गांवदे ने नर नारी तेरी 
जाए सुक न उम्मीदां दी वल नी माँ -----------मेरी करदे --------

तू ते शक्ति आद  भवानी है 
तू ते जगदम्बे महारानी है 
लया तेरा द्वारा मैं मल नी माँ ---------------मेरी करदे -----------

किसे सोने दा छत्र चढाया ऐ 
कोई हंजुआं दी भेंट लियाया ऐ 
निश्चा तेरे ते रखके अटल नी  माँ ----------मेरी करदे ------------
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट -----13

अब देर न कर मेरी माता, तेरा बेटा है तुझको बुलाता 
आकर विपदा दूर करो माँ , तेरी ही महिमा गाता रे 

तेरे इन भक्तन पर माता भीर पड़ी बड़ी भारी है 
आकर दुखड़े हर लो माता दर पे खड़े दुखारी हैं 
तुझ बिन माता कौन है इनका दुखड़ा आन मिटाता रे 

आजा मइया शेरों वाली जगदम्बा माँ शक्ति है 
हर पल तेरी जोत को पूजें करते तेरी भक्ति हैं 
तेरे बिना माँ कौन सुनेगा गाथा जिसे सुनाता रे 

माँ बेटे का पावन नाता तूने क्यों बिसराया है 
बेटा तेरे दर पे रोये क्यों न गले लगाया है 
रो रो के दिल तुझे पुकारे तुझको तरस न आता रे 
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 29 सितंबर 2016

माता की भेंट ------12

बेकार सोचना है तेरे सोचने से क्या है 
होता वही है जो कि तेरे भाग्य में लिखा है 

तेरे रास्ते अगरचे हैं मुसीबतों ने घेरे 
माता का आसरा ले जब तक है स्वांस तेरे 
उसका ही नाम केवल हर रोग की दवा है 

उसका पता जो पूछे कटड़े से हो रवाना 
जो सामने है पर्वत उसपे तू चढ़ते जाना 
दरबार पर पहुँच जा माता की वो गुफा है 

दुनिया की दौलतों का झूठा  है ये खज़ाना 
ये महल और बंगले कुछ भी न साथ जाना 
मत खेल जिंदगी से बेकार का जुआ है 

गर चाहते हो मुक्ति माँ के चरण पकड़ लो 
जीवन की नाव उसकी शक्ति से पार करलो 
उसकी कृपा से जलता तूफ़ान में दिया है 
@मीना गुलियानी 

हमें दुनिया भर से क्या

महलों में रहने वाले तू खुश हो या खफा
अपना तो कूचा प्यारा हमे तेरे दर से क्या

हमने तो वफ़ा की है और ऐसा ही करेंगे
झोली में गर तू गम दे ख़ुशी से वो भरेंगे
हर चीज़ तेरी प्यारी हमें शिकवा तुमसे क्या

हीरे ,मोती,लाल-ओ-जवाहर भी हम न लें
ज़िल्लत से जो मिले तो मुहब्बत भी हम न लें
इज़्ज़त की रोटी प्यारी हमें दुनिया भर से क्या
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 28 सितंबर 2016

नही तो मर जाऊँगी

मैंने जीवन की सोंपी तुझे डोर, तेरे संग मैं तो आऊँगी
सैंया हाथ मेरा कभी भी न छोड़ना, नही तो मर जाऊँगी

इस संसार की हर वस्तु से नाता मैंने तोडा
तुझको अपना मान लिया जब ये जग मैंने छोड़ा
मेरा साथ कभी न तुम छोड़ना मैं कैसे जी पाऊँगी

तेरे कारण दुनिया ने जीना दुश्वार किया है
हर मुश्किल में साजन तुमने मेरा साथ दिया है
कभी भूलके नज़र तू न फेरना मैं कैसे सह पाऊँगी
@मीना गुलियानी 

निकसे हैं प्राण ---सैंया

बादल झूमके गावत आज
चन्दा भी छुप छुपके देखत आज
 देखो जी मुझको आवत लाज ---सैंया

तुमको बनाया है मनमीत
देखो हमारी हो गई जीत
अब तुमसे जो हो गई प्रीत
कैसे निभाओगे तुम प्रीत ----सैंया

बाँधी है प्रीत की डोरी जो आज
देखके तुमको आवत लाज
नज़रें झुकाकर करलो जी बात
कहदो अपने जिया की बात ----सैंया

दिल ने उठाये हैं सौ तूफ़ान
काबू में कैसे हों अरमान
तुम ही हो मेरे जीवन प्राण
देखूँ न तुमको निकसे हैं प्राण ---सैंया
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 27 सितंबर 2016

माता की भेंट ----11

आज मइया शेरां वालिये , भगतों ने तुमको पुकारा 
आज मइया जोतां वालिये ,तेरा ही है माँ सहारा 

माँ अब तो आ जाओ,मेरे दिल ने सदा दी  है 
मेरी बिगड़ी बना जाओ, क्यों देर लगा दी है 

माँ दर्श दिखा जाओ, भगतों ने पुकारा है 
माँ पर लगा जाओ, आसरा ही तुम्हारा है 

नैया डोले मेरी, मत देर लगाओ माँ 
मैं बुझता दीपक हूँ ,तुम आके बचा लो माँ 

मेरे नैन प्यासे हैं ,माँ प्यास बुझा जाओ 
मेरी विनती सुनलो माँ, ऐसे न ठुकराओ 
@मीना गुलियानी 

प्यार का राग सुनो

मन की लगन करे पुकार 
दिल की बात सुनो 
प्यार का राग सुनो रे --------------------

बातों की गहराई 
प्यार की ऊँचाई 
दिल ने ली अंगड़ाई 
मस्त घटा छाई 
दिल गुनगुनाने लगा रे ---------------------

ऐसे यूँ न जाओ 
कुछ तो मुस्कुराओ 
कुछ तो मुँह से बोलो 
यूँ न दिल जलाओ 
दिल ने तेरे छू लिया रे --------------------------

नज़रों का झुक जाना 
तेरा यूँ शरमाना 
पलकों को गिराना 
आँचल सरकाना 
होश मेरा गया रे --------------------------------
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट ----10

माँ हाथ जुड़े हैं तेरे दरबार के आगे 
न झुकेगा सर मेरा इस संसार के आगे 

दिल में सदा गूँजे तेरे ही नाम की रटन
हर पल तेरे ही नाम को रटता रहे ये मन 
माँ तेरी लगन के कभी टूटे न ये धागे 

सांसों की डोरी को किया माँ तेरे हवाले 
दे दे मुझे अँधियारे या तू करदे उजाले 
रखना तू मेरी लाज कोई दाग न लागे 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट -----9

खोलो ज़रा भवनां दा द्वार माँ 
जय अम्बे जय अम्बे दीवाने तेरे बोलदे 

तेरियां उडीकां विच अखां गइयाँ पक माँ 
कदे ता दयाल होके बचयाँ नूँ तक माँ 
करदे हाँ असी इंतज़ार ----------------जय अम्बे जय अम्बे --------

बचयाँ तो दस होया केहड़ा कसूर माँ 
नोहां नालो मांस अज होया किवें दूर माँ 
बागां कोलों रुसी ऐ बहार --------------जय अम्बे जय अम्बे -------

मांवां बिना पुतराँ नूँ कोई वि न झलदा 
ताइयो तां जहान सारा बुआ तेरा मलदा 
तुइयो लावें डुबदे नूँ पार ---------------जय अम्बे जय अम्बे ---------

भक्तां ने रखियां माँ तेरे उते डोरियां  
तकदे ने जिवें तके चन नूँ चकोरियां 
दर खड़े पलड़ा पसार -------------------जय अम्बे जय अम्बे ----------
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 26 सितंबर 2016

माता की भेंट -----8

तुझे छोड़ कहाँ जाऊँ माँ , मैंने ढूँढा ये सारा जहान है
अब तो ये सारा जीवन , मैंने लिख दिया तेरे नाम है 

तेरे बिना मैं चैन न पाऊँ , रोते रोते वक्त कटे 
हर पल तेरी याद में गुज़रे दिन बीते यूं ही रात कटे 
यूं ही जीवन बिताऊं सुबो -शाम है ,तेरे बिन कहाँ आराम है 

जाने कौन सी गलती पर तू ,रूठ गई है अब मुझसे 
हूँ नादान तेरा बच्चा माँ, अब तो मान जा माँ मुझसे 
तेरे चरणों में मेरा प्रणाम है ,यही विनती करूँ आठों याम है 

माँ-बेटे का पावन नाता, हर नाता अब झूठा  है 
तुझको अपना माना मैंने , हर नाता अब झूठा है 
दुनिया स्वार्थ का नाम है , सबको पैसे से काम है 
@मीना गुलियानी 

पनिया भरन की बेला में

सर पे गगरिया  क्यों छलके , पनिया भरन की बेला में
सर से चुनरिया क्यों सरके , पनिया भरन की बेला में

पायलिया मत शोर मचाना , पिया जब होंगे साथ रे
दिल की बातें कर  ही लेंगे , दोनों ही चुपचाप रे
हँस लेंगे हम जी भरके -------------------------

ओ रे पपीहे तू कुछ कहदे, अपने मन की बात रे ,
दिल की बातें जान ही लेंगे ,साजन अपने आप रे
नैनों से कहदो न बरसे -------------------------

जीवन में सब मिल जाए, जब प्रीतम का हो साथ रे
कुछ न बचे कहने सुनने को , दिल से हो दिल की बात रे
मिलने को फिर मन तरसे --------------------------
@मीना गुलियानी 

रविवार, 25 सितंबर 2016

माता की भेंट ------7

माँ जगदम्बे जी के  द्वार , जो भी करता है पुकार 
आस पुजाए, माँ अम्बे , सुन लेती है पुकार 

माँ जगदम्बे की शान निराली 
लौटा  न खाली कोई यहाँ से सवाली 
सुनके करुणा भरी पुकार शेरों पे होके सवार 
आके अम्बा हर लेती ,सबके दुखड़े अपार ----------------------   माँ जगदम्बे

जो भी मइया जी की आस लगाए 
मइया  जी उसकी आस पुजाए 
माँ की महिमा अपरम्पार ,प्रेम की शीतल चले फुहार 
मइया अम्बे जगदम्बे ,कर देती  भव से पार------------------------ माँ जगदम्बे

राजा हो या कोई भिखारी 
सब हैं बराबर यहाँ नरनारी 
माँ के भरे हुए भण्डार ,लेवे  नाम जो होवे पार 
माँ जगदम्बे जी भक्तो का करती हे उद्धार ---------------------------माँ जगदम्बे
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट -----6

सुन मइया सुन मेरी विनती को सुन 
हमसे जो भूल हुई माफ़ करो तुम 

दूर करो सारे भरम दास पे करदो करम 
बिगड़ी बनादो मेरी मिट जाए मन का भरम 
तेरे द्वारे आऊँगा शीश झुकाऊँगा 
शीश झुकाके तेरी महिमा मैं गाऊँगा 
दर्श दिखादे मेरा तरसे है मन ---------------------सुन मइया सुन

 मैं गुनहगार मइया  बिगड़ी सँवार तो दो 
दर पे खड़ा हूँ तेरे थोड़ा मुझे प्यार दो 
तेरे द्वारे आऊँगा जोत जलाऊँगा 
जोत जलाके तेरे गुण मइया गाऊँगा 
मुझको लगी है तेरे नाम की लगन -----------------सुन मइया सुन

चंचल है मेरा मन करदे तू थोड़ा करम 
जीवन बनादो मेरा हो जाएं दूर माँ गम 
चरणों में आऊँगा शीश झुकाऊँगा 
बनके दीवाना तेरी महिमा मैं गाऊँगा 
चरणों में तेरे सदा बीते ये जीवन -------------------सुन मइया सुन
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट -----5

 जगदम्बे शेरां वाली, बिगड़ी सँवार दे 
नैया भँवर में मेरी , सागर से तार दे 

मैं अज्ञानी मैया ,कुछ भी न जानू 
दुनिया के झूठे नाते ,अपना मैं जानू 
आके बचालो नैया ,भव से उबार दे 

लाखों की तूने मैया , बिगड़ी बनाई 
फिर क्यों हुई है मैया, मेरी रुसवाई 
लाज बचाले माता ,दुखड़े निवार दे 

जपूँ तेरा नाम मैया ,ऐसा मुझे ज्ञान दे 
नाम न तेरा भूलूँ ,ऐसा वरदान दे 
आशा की जोत , मेरे दिल में उतार दे 
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 24 सितंबर 2016

मन की किताब

मैं अपने मन की किताब का एक पन्ना पलटता हूँ

देखता हूँ एक नया फूल उग आया है

जैसे कि वसन्त आ गया है मुझमे

रंग बिरंगे सपने बुनने  लगा है मन

बारिश की बूँद भी फूल पर पड़ती है

मन उपवन की दूब पर ओस पड़ती है

खुशबु गुनगुनाती है जाने क्या गाती है

कुछ तन्हाई के नगमे कुछ मिलन के गीत

तन्हा रातो में अकेलेपन की यादें

आँसुओं में पिघलती हैं मेरा मन तलाशता है

एक आसमान को उसे सहेजने के लिए

मेरी अँगुलियाँ धीरे धीरे सागर की रेत पर

तुम्हारा चित्र उकेरती हैं जिन्हें लहरें मिटा देती हैं

मैं भय से भर जाता हूँ सोचता हूँ

क्या हमारा अस्तित्व भी ऐसे ही मिट जाएगा

क्या हम भी इन्हीं लहरों में विलीन हो जाएंगे

सपने तो सपने ही हैं मन की परछाईयाँ

कभी भय बनकर कभी सत्य बनकर

सामने आती हैं नदी,पत्थर और डालियाँ

सभी अपने अपने रंग ढूँढती हैं

एक लय में एक धुन धड़कती है

एक तूफ़ान की खामोशी सी

तुम्हारे होंठो पर आकर ठहर जाती है

अनगिनत रंगों का गुबार बरसता है

चेतना की सतह पर लगातार

शाम  की उदास हवा में तुम्हारे गीत

दम तोड़ते हैं एक के बाद एक खामोशी में
@मीना गुलियानी

हम हैं बड़े दीवाने

देख हमें आवाज़ न देना, हम हैं बड़े दीवाने
आज न देखेंगे मुड़के , दुनिया को मस्ताने

दूर कहीँ इक पंछी गाये , क्या बतलाये
कल जो बीत गया है , वो फिर लौट न आये
दिल की बातें रखो दिल में , लोग उन्हें क्यों जाने

अरमाँ दिल के मचल रहे हैं , क्या समझाएं
प्रेम में जब दिल मिलते हैं , तो जग तड़पाये
दिल की लगी को दिल ही जाने , या जाने परवाने
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट ---4

मेरी अखियाँ च शेराँ वाली माँ वस गई , नैन खोलां किवें 
मेरे दिल विच ओदी तस्वीर बस गई ,भेद खोला किवें

 लोकी पुछदे तू मुहों क्यों नहीँ बोलदी 
तक दुनियां नू अखां क्यों नहीँ खोलदी 
ऐ सुनके मैं आँख ज़रा होर कस लई 

मैं डरदी हाँ सुरमा वि न पांवदी 
ऐहो गल दिन रात मेनु खावदि 
किदे मइया नू सुरमे दी सलाई लग गई 

मेरे अपने बेगाने ताने मारदे 
ताने मार लेन मेरा की बिगाड़दे 
जान मेरी ता जाणी जान नाल लग गई 

मैं दीवानी गुलाम ओदे दर दी 
नौकरानी हाँ मइया जी दे घर दी 
मेरे नैना च मइया जी दी जोत जग गई 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट ------3

माँ मेरी विपदा दूर करो , माँ मेरी विपदा दूर करो 
तेरी शरण मैं आया हूँ , आकर मेरे कष्ट हरो 

तू ही अम्बे  काली है 
दुखड़े हरने वाली है 
माँ मेरे दुखड़े दूर करो 
आकर सारे कष्ट हरो ------माँ---------

भक्तों ने तुझे पुकारा है 
तूने दिया सहारा है 
विनती पे मेरी ध्यान धरो 
चरण पड़े की लाज रखो ------माँ ----------

शरण तुम्हारी आये हैं 
इस जग के ठुकराए हैं 
दुविधा सबकी दूर करो 
पाप ताप सन्ताप हरो ------माँ-------------
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

माता की भेंट ---2

तू जाणे मेरी माँ तेरियां तू जाणे 

कण्डया विच तू ही हसदी, फुलां दे विच तू ही वसदी 
महिमा तेरी महान तेरियां --------------------------

तू है सारे जग दी दाता , जोड़्या तेरे नाल मैं नाता 
दे दो भक्तिदान ,तेरियां --------------------------

सो जाणे जिस खेड रचाई ,की आखाँ उसदी वडियाई 
हारे वेद पुराण , तेरियां --------------------------------

ऐ जग है सब तेरी माया, कण कण दे विच आप समाई 
मैं बालक अन्ज़ान , तेरियां --------------------------
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट -----1

तेरे दर ते आये सवाली माँ , कुछ झोली पा ते टुर जाइये 

खाली जानां फकीरां दा कम नइयो दर दो जहान दी वाली तू 
माँ रोज़ तरीकॉं नई चँगिया , अज हुकम सुना ते टुर जाइये 

दर लग्यां दी सुण ले अज दाती ,तेरे दर ते कोई थोड़ नहीँ 
माँ तेरे दरश दी लोड मैनू , इक झलक दिखा ते टुर जाइये 

माँ वास्ता तैनू प्यार दा ऐ , तेरी शरण मइया मै आ गइयाँ 
सारी दुनिया नू ठुकरा दिता ,तू गल नाल ला ते टुर जाइये 

खाली जाना फ़कीरा दा ठीक नहीँ ,रहबर दा मुकरना ठीक नहीँ 
अज अपनी नज़र नाल मेहराँ दे तू फुल बरसा ते टुर जाइये 
@मीना गुलियानी 
जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि माता के नवरात्रे आरम्भ होने वाले हैं इसलिए मैंने यह सोचा है

कि आज से ही माता की भेंट आपको पढ़ने को मिलेंगी


 जय माता दी 

मुझे यकीन नहीँ है

मेरे मन के महासागर पर 

प्रतिहिंसा के बन्दरगाह मत बाँधो 

क्योंकि तब आस्था का हिमालय 

हिल उठेगा आशा का ये द्वीप 

बंजर सा हो जाएगा 

सत्ता के गलियारों का सन्नाटा 

मुझे भयभीत सा करता है 

कोलाहल से कहो  कि आये 

और मुझे अपने भीतर आत्मसात करले 

इन ऊँची इमारतों की लम्बी परछाईयाँ 

लगता है सब उजाले की जड़ें काट देंगी 

मैं बहुत दूर जाना चाहता हूँ 

कभी ख़्वाबों में, कभी तसव्वुर में 

तेरा हाथ पकड़कर उस पार जाना चाहता हूँ 

पर फिर लगता है मेरे पाँव तले ज़मीन नहीँ है 

तू मेरा सच है पर मुझे यकीन नहीँ है 
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 22 सितंबर 2016

मेरे होंठो पे हँसी है

तूने तो रुलाने में कोई कमी नहीँ की है
लेकिन फिर भी देख मेरे होंठो पे हँसी है

चींटी भी फिसलती है चट्टान से आखिर
लेकिन सम्भलकर वो भी सौ बार चढ़ी है

सोने में तो सारी ये अपनी उम्र गुज़ारी
अब जाग ज़रा मन ये घड़ी बीत रही है

बाकी नहीँ रह गए कोई रिश्ते या नाते
दुनिया ये सारी तो मतलब से भरी है

गैरों से नहीँ शिकवा जो दुःख लाख दे हमें
ग़म है कि ये तिश्नगी अपनों से मिली है
@मीना गुलियानी


वो सुबकती रही

सागर किनारे पड़ी रेत पर वो सुबकती रही

लहरें उसके पास आईं दिलासा देके लौट गईं

उसकी हिचकियाँ पूरी रुकी नहीँ थम गई

सहसा ऐसा लगा उसका मौन क्रंदन शांत हुआ

अचानक प्रलय सा आया आवेग कुछ थम गया

उसने पलटकर मुँह फेरा तो उसकी आँखे वीरान थी

उसके होंठ कुछ कहने के लिए कम्पकंपा रहे थे

हाथों की मुट्ठियाँ बाँधे वो कुछ सोच रही थी

अचानक कुछ निर्णय लेकर वो आतुर हो उठी

प्रतिशोध लेने को उसकी बाहें जोश से भर उठी

लक्ष्य की ओर उसके सधे पाँव बढ़ते जा रहे थे

हर पीड़ा का समाधान उसने जैसे खोज लिया

मन ही मन उसने अपने विरोधी को परास्त किया

अपने मनोबल इच्छाशक्ति को जागृत किया

अब वो समाज के ठेकेदारों के खिलाफ और

समाज की हर बुराई कुरीतियों  के खिलाफ

बुलन्द आवाज में विरोध करने में सक्षम थी

एक अबला अब सबला में परिवर्तित हो चुकी थी
@मीना गुलियानी 

खुदाई तो नहीँ मांगी थी

तेरी नज़रों से  खुदाई तो नहीँ मांगी थी
खैर मांगी थी बुराई तो नहीँ मांगी थी

क्या किया जुर्म जो यूं आप खफा हो बैठे
 होके खामोश यूं ही हमसे जुदा हो बैठे
दिल ही माँगा था जुदाई तो नहीँ मांगी थी

दिल तो बेगाना हुआ उसे अपना न सके
हो गया तेरा तो वो अपना बना भी न सके
चीज़ अपनी थी पराई तो नही मांगी थी

नासमझ थे हम भी कुछ समझ भी न सके
फरेबे जाल से हम बचके निकल भी न सके
फँसके भी हमने रिहाई तो नहीँ मांगी थी

न किया शिकवे कभी न गिला हमने किया
जैसे भी तुमने कहा हमने वैसा ही किया
हमने  तुमसे  भी सफाई तो नहीँ मांगी थी
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 21 सितंबर 2016

खुदा भी तुझपे रहे मेहरबाँ

ऐ दिल कहाँ तेरी मंजिल
खामोशी हरसू है ,
 गुम हर सितारा है
चुप है ज़मी ,चुप आसमाँ

किसलिए बनके महल टूटते हैं
रिश्ते बनके भी क्यों टूटते हैं
किसलिए दिल टूटते हैं
पत्थर से पूछा बहारों से पूछा
खामोश है सबकी जुबाँ

चल तू गम का जहाँ न निशाँ हो
चल तू जहाँ पे खुला आसमाँ हो
खुशियों से वो भरा इक जहाँ हो
दिल को मिलेगी मंजिल वहाँ
पाएंगे हम कदमो के निशाँ

अब तू जो हंसदे तो हँस देंगे साये
चाहे अपने हों चाहे पराये
रूठों को मनाएं
मिलके रहेगी जन्नत तुझे
खुदा भी तुझपे रहे मेहरबाँ
@मीना गुलियानी

तेरा ही साथ रहे

तू मेरे साथ रहे , दिन हो या रात रहे
दुःख में सुख मिले,हाथों में जो हाथ रहे

तू हमेशा था मेरा और  रहेगा यूं सदा
भूलेंगे हम न तुझे तुझको ही देंगे सदा
जिंदगी की  हार जीत में तेरा ही हाथ रहे

तुझको पाया मैंने खुद को भी भूल गए
पाके तुझको अपना ये जहाँ भूल गए
धूप हो या छाया हो, चाहे बरसात रहे

मुझसे दूर जाना ना  तू मुझे भुलाना ना
हम तो तेरे ही हैं और अब जाना कहाँ
जीते जी मरके भी तेरा ही साथ रहे
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 20 सितंबर 2016

भजनमाला -----138

देना शक्ति मुझे मेरे दाता
गाऊँ गुणगान हरदम मैं तेरा
काम दुनिया के जब भी करूँ मैं
सिमरूँ तुमको जपूँ नाम तेरा

मन में ज्ञान के ज्योति जला दो
मेरे जीवन को मधुबन बना दो
दूर हो जाएँ पथ के वो काँटे
फूल ख़ुशियों के ऐसे खिला दो
भूलूं तुझको न मैं एक पल भी
चाहे सन्ध्या हो चाहे सवेरा

चाहे जीवन में बादल घिरे हों
चाहे आशा के फूल खिले हों
चाहे सुख के दो पल मिले हों
चाहे दुःख के भँवर में घिरे हों                    
भावना से कभी दिल न उबरे
न कभी टूटे विश्वास मेरा
@मीना गुलियानी 

भजनमाला -----137

तेरी अख दी सिप दा इक मोती जो गुरु चरणा ते डुल जावे 
नैना दी ज्योति चमक पवे तेरे मन दी मैल सब धुल जावे 

ओ दाता बड़ा दयालु ऐ ,  इक पल विच दुखड़े दूर करे 
पापां दा  हनेरा मेट देवे , हृदय नू नूरो नूर करे  
झट नज़रां नाल निहाल करे बन्दे दा मुकद्दर खुल जावे 

मोहमाया विषयां विकारां तो ,इस चंचल मन नू मोड़ ज़रा 
फिर मन दी वृति नू फेरके ते, चित चरणकमल नाल जोड़ ज़रा 
ओ सतगुरु हरदम याद रखे, भाँवे दुनिया सारी भुल जावे 

कुछ करले नेक कमाई तू ,परवासा की ऐ जिंदगी दा 
फिर आंदी जांदी सांसा विच, पल मिलेगा तैनू बन्दगी दा 
हरिनाम दा अमृत रस पी ले ,तेरी स्वासां विच जो घुल जावे 
@मीना गुलियान

सोमवार, 19 सितंबर 2016

भजनमाला ----136

सतगुरु मेरा दीन दयाल 

हरदम है सेवक दे नाल, सेवक दा ओ रखे ख्याल 
मुश्क़िल विच बन जाए ढाल 

सतगुरु मेरा पर उपकारी, सतगुरु तो जाइये बलिहारी 
कर  देंदा है पल च निहाल 

स्वांस स्वांस तू ओनू  ध्याई , सतगुरु राखा सबनि थाई 
कट देंदा है मायाजाल 

उस दाते दे रंग न्यारे , केहड़ा उसदे हुंदया मारे 
जिसदे बस  विच रहंदा काल 

जोत  उसदी चो पैंदे लश्कारे ,चमकन सूरज चन सितारे 
हीरे मोती नीलम लाल 

पवन उसने झंवर झुलावे ,सारे देवगण आरती गांवे 
सारा गगन है बण्या थाल 
@मीना गुलियानी 

प्यार से मुस्कुराना पड़ेगा

दिल में जलता रहे ये दिया , प्रेम से ये जलाना पड़ेगा
आँधियां हों या तूफ़ान हों , हर बला से बचाना पड़ेगा

जिंदगी दुःख का सागर भी है
जिंदगी प्रेम गागर भी है
सुख दुःख के भँवर से निकलकर
हमें उस पार जाना पड़ेगा

नाव साहिल से गर दूर हो
पाँव चलने से मजबूर हों
थामके फिर भरोसे का दामन
पतवार चलाना पड़ेगा

जिंदगी इक पहेली भी है
सुख दुःख की सहेली भी है
माफ़ करके गुनाहों को सबके
प्यार से मुस्कुराना पड़ेगा
@मीना गुलियानी 

रविवार, 18 सितंबर 2016

भजनमाला ----135

तेरे द्वार पे आने वालो की तकदीर बदलते देखी  है 
हमने तो अपनी आँखों से तदबीर बदलते देखी है 

दुःखियों पे लुटाते दया अपनी भक्तो से करते प्यार तुम्ही 
हर पल की रखते खबर तुम्ही तेरी कृपा की न पाई कमी 
चमक दो मेरी भी किस्मत हस्ती ये बदलती देखी है 

बख्शो तुम मेरे गुनाहों को कुछ नज़र कर्म भी तो  कर दो 
जीवन को सुधारूँ मैं अब तो कुछ दया की वर्षा कर भी दो 
इस जन्म मरण के चक्कर से दुनिया ये निकलते देखी है 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला -----134

नाम जब तेरा लिया दुःख सब दूर हुआ 
तेरे ही चरणों में मैंने जीवन को जिया 

नाम तेरा अमृत है विष सब दूर करे 
ऐसा वो प्याला है दुःख सन्ताप हरे 
पीकर अमृत को मन मतवाला हुआ 

तुम तो दयालु हो कृपा करते हो 
जो भी दुखिया आये झोली भरते हो 
मेहर की नज़रो से तूने जो मुझको छुआ 

ज्योति तेरी पावन दिल में जलती है 
हर पल याद तेरी दिल में पलती  है 
साँसों की डोरी से मैंने गुणगान किया 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला --------133

मन की आँखे खोल रे हरि दर्शन होंगे 
आसन से मत डोल रे हरि दर्शन होंगे 

इस घट भीतर काशी मथुरा 
अनहद बाजे ढोल रे 

इस घट में सब जगत पसारा 
जीवन ये अनमोल रे 

पी ले प्रभु के नाम का प्याला 
जीवन में रस घोल रे 

तन मन उसके करदे हवाले 
आनन्द में तू डोल रे 

जीवन उसके अर्पण करके 
सुख पाया अनमोल रे 
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 17 सितंबर 2016

भजनमाला ----132

तेरी इस दुनिया में मैंने सुख दुःख देखे सारे हैं 
उसने ही जाना है तुमको जिसको तेरे सहारे हैं 

सुख दुःख ही तो इस दुनिया की गाडी को चलाते हैं 
ये दोनों ही मिलकर इक अच्छा इंसान बनाते हैं 
इस संसार की नदिया के दोनों ही तो किनारे  हैं 

दुःख न चाहे कोई भी सब सुख के लिए तरसते हैं 
दुःख में सब रोते हैं पर सुख आये तो सब हँसते हैं 
जिसने भी सुख पाया उसने भी देखे दुःख सारे हैं 

सुख में तेरा सुमिरन हो और दुःख में मैं फरियाद करूँ 
जिस हाल में रखे तू  भगवन तुझे सदा ही याद करूँ 
हमको भूल न जाना भगवन हम तो तेरे सहारे हैं 
@मीना गुलियानी 

सुन ज़रा मान भी जा

सुन ज़रा मान भी जा , और कुछ देर न जा
अभी है पहला पहर , थोड़ी देर और ठहर

अभी तो चाँद झिलमिलायेगा
तेरा ये नसीब जाग जाएगा
खुलके बातें करेंगे जी भरके
तुझको देखा नहीँ है जी भरके
सुन ज़रा ---------------------

रौशनी आफताब लाएगी
तारों की फिर बारात आएगी
डोली मेरी भी तब उठा लेना
मुझको जी भरके तुम मना लेना
सुन ज़रा ------------------------

आज धरती पे चाँद उतरा है
तेरा मुखड़ा भी कैसा निखरा है
तेरी पलकें झुकी झुकी सी हैं
साँसे तेरी रुकी रुकी सी हैं
सुन ज़रा --------------------------
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

भजनमाला----------131

सतगुरु तुम्हारे प्यार ने जीना सिखा दिया 
हमको तुम्हारे प्यार ने इंसा बना दिया 

रहते हैं जलवे  आपके नज़रों में हर घड़ी 
मस्ती का जाम आपने  ऐसा पिला दिया 

जिस दिन से मुझको आपने अपना बना लिया 
दोनों जहाँ को दास ने तबसे भुला दिया 

भूला हुआ था रास्ता भटका  हुआ था मैं 
किस्मत ने मुझको आपके काबिल बना दिया 

फसने किसी को आज तक सज़दा नही किया 
वो सर भी मेने आपके दर पर झुका दिया 
@मीना गुलियानी 


भजनमाला -----130

आजा मेरे सतगुरु प्यारे मुख अपना दिखला के जा 

संगत दी है डोले नैया तुझे बिन सतगुरु कौन खिवैया 
सतगुरु प्यारे कृपानिधान किश्ती पार लगाके जा 

संगत तेरी रोंदी रुल्दी दुखां विच गई रुल्दी घुल्दी 
भुला दे विच पैके भुल्दी सिदे रस्ते पाके जा 

तुझ बिन सतगुरु कौन सम्भाले डुबदे  लावे कौन किनारे 
लखां सुन्दे तू हैं तारे बेड़ा बने लाके जा 

इक वारि तू सतगुरु आवी आवीं न तू देर लगाविं 
भूले भटके ढेंदे डिगदे बाहों फड़ उठाके जा 

झूठी अकड़ ते मगरूरी पाई संगत विच फतूरी 
बख्शो सानू सब्र सबूरी नम्रताई सिखला के जा 

तुझ बिन सतगुरु काल डराए तुझ बिन सतगुरु कौन बचाये 
शब्दरस दा  लोटा भरके अमृत नाम पिलाके जा 
@मीना गुलियानी 



दिल के दाग़ जले

लो बुझ चली है शमा इस गरीबखाने की
उम्मीद टूट चुकी है अब तेरे आने की

जुनूने शौक  में तासुबह दिल के दाग जले
तुम कह गए थे कि आएंगे हम चिराग जले

अब तो मेरी तमन्नाओं में अँधेरा है
न सोच दिल ये मेरा  कैसे अँधेरे में पले

तुझे खबर भी कैसे हो कि सोज़े गम क्या है
न दिल जला कभी तेरा न दिल के दाग़ जले
@मीना गुलियानी 

मैंने तुझे महसूस किया है

इन हवाओं में इन फिज़ाओं में
पर्वत की इन श्रृंखलाओं में
बादलो की घटाओं में
पेड़ों की घनी छाँव में
अमराइयों के गाँव में
मैने तुझे महसूस किया है

दिल की उमंगो के जोश में
खो गए उस होश में
मदहोशी के आलम में
भीगे भीगे सावन में
इन बरसती घटाओं में
मैंने तुझे महसूस किया है


गुलशन है कुछ निखरा निखरा
पर गुंचा कुछ बिखरा बिखरा
दिल तो है आबाद यूं मेरा
जैसे अभी हुआ है सवेरा
इन चहकती हवाओँ में
मैंने तुझे महसूस किया है

लट है चेहरे पे लहराई
 लगा कली जैसे मुस्काई
कोंपल फूटी कलियां चटकी
बादल से फिर बूंदे टपकी
मन की इन अंगड़ाइयों में
मैंने तुझे महसूस किया है
@मीना गुलियानी 

प्रमाद न कर

छू ले आसमान जमीन की तलाश न कर
जी ले अपनी जिंदगी ख़ुशी की तलाश न कर

तेरी तकदीर यूँ ही संवर जायेगी
इक तेरे यूँ मुस्कुराने से
बहारें फिर से लौट आयेंगी
इक तेरे उसे बुलाने से
वो ज़माने फिर से लौट आएंगे तकरार न कर

न तुम इस तरह उदास रहो
न तुम यूँ ही पशेमांन रहो
चिराग यूं भी जल ही जाएंगे
शमा के जलने से परवाने आएंगे
बहारें फिर तेरे जीवन में आएँगी ऐतबार तो कर

जीवन सुख दुःख से बना है
 इसने हर किसी को छला है
जिसने न हारी हिम्मत वो जीता है
वरना जीवन तो सबका रीता है
ढूँढ ले तू भी अपनी खुशियों को प्रमाद न कर
@मीना गुलियानी 



गुरुवार, 15 सितंबर 2016

दुःख सुख का ताना बाना

यह जीवन तो है दुःख सुख का ताना बाना
रखके हौंसला खुद पे आगे कदम बढाना

दुःख तो है गहरा सागर हिम्मत न हार जाना
आशा की नाव चढ़कर उस पार चले जाना

तुम भी वहाँ सपनों की दुनिया नई बसाना
जब मीत मिले मन का फिर प्रीत को जगाना

आशा की डोर लेकर फिर घर नया  बसाना
फिर प्रेम की सुरभि से जीवन को महकाना

प्रेम को पल्लवित कर  जग को सुखी बनाना
दिलों के दरम्यां हुए हर फासले मिटाना

इस जहाँ से नफरत जाति भेद को मिटाना
हर तरफ ही प्रेम का सन्देश तुम पहुँचाना
@मीना गुलियानी