ख़्वाबों के शहर में बसते हैं हम तुम
इनमें खो न जाना कहीं मेरे हमदम
सपने तो सपने होते हैं बिछुड़े न हम
देखो सपना न टूटे बिखरें न कहीं हम
भूली बिसरी यादों का सा है ये उपवन
बसाया आशियाना जहाँ रहें हम तुम
खुला आसमां चाँद सितारे और हम तुम
ठंडी चले पुरवाई गीत सुनाये ये मौसम
फूलों भरा गुलशन संभलकर रखना कदम
@मीना गुलियानी
इनमें खो न जाना कहीं मेरे हमदम
सपने तो सपने होते हैं बिछुड़े न हम
देखो सपना न टूटे बिखरें न कहीं हम
भूली बिसरी यादों का सा है ये उपवन
बसाया आशियाना जहाँ रहें हम तुम
खुला आसमां चाँद सितारे और हम तुम
ठंडी चले पुरवाई गीत सुनाये ये मौसम
फूलों भरा गुलशन संभलकर रखना कदम
@मीना गुलियानी
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