मुझे बहुत प्रिय था पहाड़ों पे जाना
नीचे से ऊपर के चक्कर लगाना
पेड़ों की छाँव तुम्हारा वो गाँव
वो तारों भरी रात तुम्हारा साथ
पेड़ों के वो झूले जो कभी न भूले
पहाड़ों का झरना पेड़ों पे चढ़ना
वो बाग़ बग़ीचे वो गुलशन दरीचे
सब कुछ आँखों में तैर आता है
जब तू मुझे बहुत याद आता है
@मीना गुलियानी
नीचे से ऊपर के चक्कर लगाना
पेड़ों की छाँव तुम्हारा वो गाँव
वो तारों भरी रात तुम्हारा साथ
पेड़ों के वो झूले जो कभी न भूले
पहाड़ों का झरना पेड़ों पे चढ़ना
वो बाग़ बग़ीचे वो गुलशन दरीचे
सब कुछ आँखों में तैर आता है
जब तू मुझे बहुत याद आता है
@मीना गुलियानी
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