ढूँढने निकले हैं खुशियों को
जो कहीं खो गई हैं
इन वीरान सी राहों में
नीले आसमान के नीचे
पथरीली चट्टानों में कहीं
वो जाके सो गई हैं
हमें उन्हें जगाना ही होगा
खोया ज़माना लाना ही होगा
ताकि हम फिर से वो पल
पा सकें और मुस्कुरा सकें
उन लम्हों को सहेजकर
रखेंगे कहीं खोने न देंगे
अपने से जुदा होने न देंगे
@मीना गुलियानी
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