नहीं बनना मुझे किसी के हाथों की कठपुतली
मुझे तो बस अपने पंख फैलाकर उड़ना है
खुले आसमान में कुछ देर तक विचरना है
नदिया के उस पार पर्वत की चोटी चढ़ना है
अपनी हिम्मत को परखना है धैर्य रखना है
बढ़ते कदम को आगे बढ़ाना है न रुकना है
स्वाभिमान से रहना है न डरना झुकना है
@मीना गुलियानी
मुझे तो बस अपने पंख फैलाकर उड़ना है
खुले आसमान में कुछ देर तक विचरना है
नदिया के उस पार पर्वत की चोटी चढ़ना है
अपनी हिम्मत को परखना है धैर्य रखना है
बढ़ते कदम को आगे बढ़ाना है न रुकना है
स्वाभिमान से रहना है न डरना झुकना है
@मीना गुलियानी
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