तेरे मुताबिक़ हो तो नहीं सकती दुनिया
जीवन के सपने और हकीकत दोनों
दो किनारों के समान हैं जीवन की नदिया
की धारा इठलाती बलखाती चलती रहती है
अंत में ये नदिया सागर में विलीन होती है
@मीना गुलियानी
जीवन के सपने और हकीकत दोनों
दो किनारों के समान हैं जीवन की नदिया
की धारा इठलाती बलखाती चलती रहती है
अंत में ये नदिया सागर में विलीन होती है
@मीना गुलियानी
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