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गुरुवार, 21 मई 2015

गुरुदेव के भजन 374 (Gurudev Ke Bhajan 374)

तर्ज ----जब दिल ही टूट गया 

जब तू ही रूठ गया हम कैसे जी सकेंगे 
तेरा दामन छूट गया हम कैसे जी सकेंगे 

बाबा जी तुझको हमने दिल में यूं बसाया था 
काजल के जैसे अपने नैनो में समाया था 
दिल मेरा टूट गया 

तेरा प्रेम पाके हमने दुनिया को भुलाया था 
रिश्तेदारी ठुकराकर तुझे अपना बनाया था 
पर तू ही रूठ गया 



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