तर्ज ------रंग और नूर की
बाबा जी दिल का है क्या हाल तुझे पेश करूँ
लूटा माया ने डाले जाल तुझे पेश करूँ
दिल मेरा कहता है सबपे तेरी इनायत है
खुदा से पहले भी करता तुझे इबादत है
तू ही कहदे मै अपना हाल किसे पेश करूँ
सुनता आया हूँ दुखियो का खुदा होता है
कहानी सुनके भी दिल न किसी का रोता है
मै तो अब आंसू के ये हार तुझे पेश करूँ
सितम के बाद भी हम आज तलक जीते है
अश्क के तारो से इस दिल को सिया करते है
दिल का अफ़साना मै किस ज़ुबां से पेश करूँ
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