तर्ज;-----बनवारी रे जीने का
ओ मनवा रे भूल गया क्यों बाबा नाम रे
तूने जीवन बिताया बेकाम रे
झूठी दुनिया झूठे बंधन झूठी है ये माया
झूठे दुनिया के सब नाते झूठी है ये काया
ओ----------विषयों का बना गुलाम रे ओ मनवा रे-----------
जोड़ ले बाबा से अपना नाता दुनिया को ठुकरा दे
उसके ध्यान में खोकर तू सारी दुनिया बिसरा दे
ओ-------तुझे पार लगाएगा नाम रे ओ मनवा रे--------------
तन मन अपना करके अर्पण नाम की लगन लगा ले
मन की दुविधा दूर भगावे तू उनको अपना ले
ओ-------कर भक्ति तू निष्काम रे ओ मनवा रे----------------
नाम है तेरा सच्चा सहारा बाकी सहारे झूठे
दुनिया की तू परवाह न कर चाहे तुझसे ये रूठे
ओ-------- कर सुमिरण सुबह शाम रे ओ मनवा रे---------------
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