शनिवार, 23 मई 2015

गुरुदेव के भजन 389 (Gurudev Ke Bhajan 389)


तर्ज;-----बनवारी रे जीने का 

ओ मनवा रे भूल गया क्यों बाबा नाम रे 
तूने जीवन बिताया बेकाम रे 

झूठी दुनिया झूठे बंधन झूठी है ये माया 
झूठे दुनिया के सब नाते झूठी है ये काया 
ओ----------विषयों का बना गुलाम रे ओ मनवा रे-----------

जोड़ ले बाबा से अपना नाता दुनिया को ठुकरा दे 
उसके ध्यान में खोकर तू सारी दुनिया बिसरा दे 
ओ-------तुझे पार लगाएगा नाम रे  ओ मनवा रे--------------

तन  मन अपना करके अर्पण नाम की लगन लगा ले 
मन की दुविधा दूर भगावे तू उनको  अपना ले 
ओ-------कर भक्ति तू निष्काम रे  ओ मनवा रे----------------

नाम है तेरा सच्चा  सहारा बाकी  सहारे झूठे 
दुनिया की तू परवाह न कर चाहे तुझसे ये रूठे 
ओ-------- कर सुमिरण सुबह शाम रे ओ मनवा रे---------------

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