तर्ज;------बार बार तोहे क्या समझाऊ
जय जगदम्बे मात भवानी दया रूप साकार ,
सुनो मेरी विनती, आया हूँ तेरे द्वार
आज फंसी मंझधार बीच मेरी नैया
तुम बिन मेरा कोई नही है खिवैया
नैया मेरी जगदम्बे माँ करदे भव से पार
महिषासुर के मान मिटा देने वाली
रावण जैसे दुष्ट खपा देने वाली
पाप मिटा देती चामुण्डा ले कर में तलवार
तेरे नाम की महिमा बहुत निराली है
अपने भक्तो की करती रखवाली है
अपने भक्तो की खातिर तूने रूप लिए बहु धार
जगमग करती जोत तुम्हारी है माता
विद्या और बुद्धि बल की तू दाता
गाता हूँ मै गीत तुम्हारे मैया करो उद्धार
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