तर्ज --------दुःख तो अपना साथी है
काहे मानव दुःख की चिन्ता तुझे सताती है
सतगुरु तेरा साथी है
सुख दुःख से न घबराना ये रुत आती जाती है
सतगुरु तेरा साथी है
झूठी जग की माया है क्यों मानव भरमाया है
आशा तृष्णा है परछाई जिसने तुझे उलझाया है
हे बन्दे तू अब जाग ज़रा ----ओ ---
दिल तो इक पागल पंछी माया भरमाती है सतगुरु तेरा साथी है
मोह माया से जाग ज़रा सतगुरु से तू नेह लगा
खोलके दिल के दरवाज़े मन में प्रीत की जोत जगा
मन के बंधन तू खोल ज़रा ---ओ -----
मन लोभी कामी भंवरा झूठी परिपाटी है सतगुरु तेरा साथी है
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