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रविवार, 31 मई 2015

माता की भेंट - 27



तर्ज --- किस तरह जीते है 

दर तेरे आये जो खाली नही जाता माई 
तेरे बिन मुझको कही चैन न आता माई 

न तो दे मुझको तू दौलत मेरी जगजननी 
बस तेरे दर्श बिना दिल ललचाये माई 

तेरे चरणो को मेरी आँखों के आंसू धोएं 
दिल मेरा दर पे तेरे अलख जगाता माई 

मेरी तू कलम में  दाती ज़रा शक्ति भर दे 
रात दिन महिमा तेरी दिल गाता माई 

तेरे दासों में मै भी तो माँ हूँ शामिल 
रो रो दुखड़ा मै  तुमको सुनाता माई 

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