तर्ज---------परदेसियों से न
दुनिया है बन्दे मुसाफिर खाना
किसी का है आना यहाँ किसी का है जाना
इस दुनिया में कोई न तेरा
घड़ी दो घड़ी का है ये बसेरा
अमर रहा न यहाँ किसी का ठिकाना-------- दुनिया है बन्दे मुसाफिर खाना
इस दुनिया के झूठे झमेले
विषय विकारों के लगे यहाँ मेले
विषयों में तू न मन को लगाना-------------- दुनिया है बन्दे मुसाफिर खाना
इस दुनिया के छोड़ के धंधे
बाबा की शरण में आ जा रे बन्दे
बाबा ने ही है तुझे पार लगाना ----------------दुनिया है बन्दे मुसाफिर खाना
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