रविवार, 31 मई 2015

माता की भेंट - 34


मैनु तेरा इक आसरा मै निरासरा आया तेरी शरणी 
बख़्शने वाली माँ बक्शो नादान दी करनी 

जिंदगी च हुए मेथो पाप बहुतेरे 
लख समझाया पर न मनी मन मेरे 
दुनिया तो घबरा गया याद आ गया 
इक तेरा द्वारा ढूढ़ थकी संसार न मिल्या कोई सहारा 

दुःखा दरदा वेले याद आंदिया  मावा 
मावा बिना केहडा सुने दिला दिया हावा 
माँ ते पुत्र दी प्रीत नू जग रीत नू 
हुन आके निभाओ जानके पुत अनजान मैया मैनु चरणी लगाओ 

तू ही दस माँ मै केहड़े दर जावा 
दुखा वाला हाल जाके किनू मै सुनावा 
तेरे बिना कोई होर न बन कठोर न 
सुन दास दी अर्जी मै ता शरणी आ गया मैनु ला ले चरणी 

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