मंगलवार, 19 मई 2015

गुरुदेव के भजन 341 (Gurudev Ke Bhajan 341)



तर्ज ---रहते थे कभी जिनके दिल में 

बाबा जी तेरे चरणो की अगर थोड़ी सी धूलि पा जाऊं 
तो कहती हूँ मै नाथ मेरे जीवन को सफल मै कर जाऊँ 

बाबा ये आस लिए फिरते ,कैसे दर तेरे आऊँ मै 
है पाप की गठरी सिर पे मेरे ,कैसे तुझको  मै अब भाऊ 

बाबा तुम सबके रक्षक हो,हरो विपदायें सबकी सारी 
है मन  में अटल विश्वास यही खाली कही लौटके न जाऊँ 

बाबा मन गम से बोझल है मेरी चिन्ता  को हर लो तुम 
मुझे पार लगाना  सागर से मै भंवर में ही डूबा जाऊ 


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