मंगलवार, 19 मई 2015

गुरुदेव के भजन 343 (Gurudev Ke Bhajan 343)



तर्ज ----चांदी जैसा रंग है तेरा 

हरे भरे है पर्वत तेरे हरी भरी हर डाल 
दूर दूर से भक्त है आते  बाबा तेरे द्वार 

जिस जिसको तूने है बुलाया उनकी लगी कतारे 
तेरे द्वार पे तेरे भक्तजन तेरा नाम पुकारे 
जिस पे कृपा हो जाये तेरी आये यहाँ हर बार 

अजब तेरे दर का है नज़ारा अजब बड़े है भक्त तेरे 
तेरे नाम के जयकारे से मस्त हो जाएं भक्त तेरे 
यहाँ वहाँ पर जहाँ भी देखो तेरे लाल ही लाल 

बाबा तेरे द्वार से कोई खाली हाथ न जाये 
राजा हो या रंक सभी की बाबा आस पुजाये 
दास कहे तू दर्शन देके सबको करे निहाल 


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