तर्ज---कोई नही है फिर भी मुझको
बाबा जी तेरे दर्श का मुझको, रहता सदा इन्तज़ार
दर्श बिना ये दिल क्यों मेरा, रहता सदा बेकरार
देखूँ मै रास्ता तेरा घड़ी घड़ी
राहों में सजाके कलियाँ बड़ी बड़ी
आंसू के पिरो लूँ ये हार
दिल को तेरे दर्शन की ही तो प्यास है
बिन दर्शन के रहता दिल क्यों उदास है
रो रो के पुकारे दिल बार बार
दासी हूँ मै तेरी अपना लेना
चरणो में पड़ी हूँ न ठुकरा देना
तेरी ममता मिले बेशुमार
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