सतगुरु तेरी शरण में आ गया
दुनिया से बाबा बहुत घबरा गया
दुनिया से मुझको तो सारे गम मिले
तेरे दर से सुख मुझे सारे मिले
सोचकर तेरी शरण मै आ गया दुनिया से बाबा बहुत घबरा गया
चरणो में तेरे मेरे दोनों जहाँ
ढूंढी दुनिया न मिला कोई ठिका
दुनिया के नाते सभी ठुकरा गया दुनिया से बाबा बहुत घबरा गया
दिल में तेरी प्रीत का दीपक जला
फिरता हूँ जग में मै अपनापन भुला
तेरा ही बस रूप मन को भा गया दुनिया से बाबा बहुत घबरा गया
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