सोमवार, 1 जून 2015

माता की भेंट - 46



जय जय बोले कभी न डोले , मैया का ये दरबार जी,
सब प्रेमी आये दर्शन को 

बीच पहाड़ा रहती मैया , सुंदर गुफा नवेली 
दुर्गा शक्ति शेरा वाली , जिसमे रहे अकेली 
बागी कोयल बोले , तन मन घोले
 मैया की  देख गुलज़ार जी सब प्रेमी आये दर्शन को 

कदम कदम पर मैया जी ने अचरज खेल दिखाया 
गगन मंडल का तार पाण्डव सुंदर भवन बनाया 
ब्रम्हा वेद खोले अर्जुन झंवर झोले
 मैया का सेवादार जी सब प्रेमी आये दर्शन को 

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