मंगलवार, 2 जून 2015

माता की भेंट - 66



तेरे सामने माँ ये विनती करूँ ,  मेरी नैया पार लगा देना 
अगर भटक जाऊँ  इस दुनिया में, मुझे आके राह बता देना 

तूने दुष्टो का संहार किया , भक्तो का बेडा पार किया 
माँ जिसने तुमको याद किया , उसको भी तुमने तार दिया 
अबकी बारी मेरी है माँ , मेरी माँ लाज बचा लेना 

तेरे द्वार पे जो भी आता है , मनवांछित फल वो पाता है 
जो दर्शन करले एक बार , वो भवसागर तर जाता है 
ऐ मेरी शेरा  वाली माँ, मेरी बिगड़ी बात बना देना 

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