सोरठा :
लक्षण : सम तेरह विषम शिव , दोहा उलटा सोरठा
व्याख्या :
इसके सम चरण अर्थात दूसरा एवं चतुर्थ चरण में 13 मात्राएँ होती है तथा प्रथम
एवं तृतीय चरण में 11 मात्राएँ होती है। यह दोहे से उलटा होता है। दोहे में
सम में 11 तथा विषम में 13 मात्राएँ होती है।
उदाहरण:
मंगल मूल महेश - 11 मात्राएँ
दूर अमंगल को करें - 13 मात्राएँ
ब्रह्मविवेक दिनेश - 11 मात्राएँ
मोह महा तम को हरे - 13 मात्राएँ
व्याख्या:
यहाँ प्रथम एवं तृतीय चरण में 11 मात्राएँ तथा दूसरे एवं चौथे चरण में 13 मात्राएँ
आई है अत: यहाँ पर सोरठा छंद हुआ।
लक्षण : सम तेरह विषम शिव , दोहा उलटा सोरठा
व्याख्या :
इसके सम चरण अर्थात दूसरा एवं चतुर्थ चरण में 13 मात्राएँ होती है तथा प्रथम
एवं तृतीय चरण में 11 मात्राएँ होती है। यह दोहे से उलटा होता है। दोहे में
सम में 11 तथा विषम में 13 मात्राएँ होती है।
उदाहरण:
मंगल मूल महेश - 11 मात्राएँ
दूर अमंगल को करें - 13 मात्राएँ
ब्रह्मविवेक दिनेश - 11 मात्राएँ
मोह महा तम को हरे - 13 मात्राएँ
व्याख्या:
यहाँ प्रथम एवं तृतीय चरण में 11 मात्राएँ तथा दूसरे एवं चौथे चरण में 13 मात्राएँ
आई है अत: यहाँ पर सोरठा छंद हुआ।
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