हरिगीतिका :
लक्षण :- सोलह दुआदस यति भवति हरिगीतिका लागत भली
व्याख्या :-
इस छंद में 16 एवं 12 मात्राओ के बाद यति आती है। इसमें कुल 28 मात्राएँ
होती है। अन्त में लघु गुरु होता है। यह सम मात्रिक छन्द है।
उदाहरण:-
पापी मनुज भी आज मुँह से , राम नाम निकालते
देखो भयंकर भेड़िये भी , आज आंसु डालते
व्याख्या :-
इसमें प्रत्येक चरण में 16 तथा 12 मात्राओं के बाद यति आई है। अन्त
में लघु गुरु है। इसके प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ है अत: यह हरिगीतिका
छन्द है।
लक्षण :- सोलह दुआदस यति भवति हरिगीतिका लागत भली
व्याख्या :-
इस छंद में 16 एवं 12 मात्राओ के बाद यति आती है। इसमें कुल 28 मात्राएँ
होती है। अन्त में लघु गुरु होता है। यह सम मात्रिक छन्द है।
उदाहरण:-
पापी मनुज भी आज मुँह से , राम नाम निकालते
देखो भयंकर भेड़िये भी , आज आंसु डालते
व्याख्या :-
इसमें प्रत्येक चरण में 16 तथा 12 मात्राओं के बाद यति आई है। अन्त
में लघु गुरु है। इसके प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ है अत: यह हरिगीतिका
छन्द है।
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