दोहा :-
लक्षण :- जान विषम तेरह कला, सम सिव दोहा ळान्त
व्याख्या :
यह अर्द्ध -सम मात्रिक छंद है। इसके विषम चरणो में तेरह तथा सम चरणो में ग्यारह
मात्राएँ होती है। विषम चरण के आदि में जगण नहीं होता तथा अन्त में लघु होना
आवश्यक है।
उदाहरण:-
ऐसी बानी बोलिए - 13 मात्राएँ
मन का आपा खोई - 11 मात्राएँ
अपना तन सीतल करे - 13 मात्राएँ
औरन को सुख होइ - 11 मात्राएँ
लक्षण :- जान विषम तेरह कला, सम सिव दोहा ळान्त
व्याख्या :
यह अर्द्ध -सम मात्रिक छंद है। इसके विषम चरणो में तेरह तथा सम चरणो में ग्यारह
मात्राएँ होती है। विषम चरण के आदि में जगण नहीं होता तथा अन्त में लघु होना
आवश्यक है।
उदाहरण:-
ऐसी बानी बोलिए - 13 मात्राएँ
मन का आपा खोई - 11 मात्राएँ
अपना तन सीतल करे - 13 मात्राएँ
औरन को सुख होइ - 11 मात्राएँ
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