कवित्त :-
व्याख्या :-
यह वार्णिक समछंद है। इसके प्रत्येक चरण में 31 वर्ण होते है। वर्णो का क्रम
निश्चित नही होता है। अर्थात गणो की कोई व्यवस्था नही होती। विशेष नियम
है कि 16 तथा 15 वर्णो पर यति होती है और चरण के अंत में एक गुरु वर्ण होता है।
उदाहरण :-
मैने कभी सोचा वह मंजुल मंयक में है - 16
देखता इसी से उसे चाव से चकोर है - 15
कभी यह ज्ञात हुआ वह जलधर में है - 16
नाचता निहार के उसी को मंजु मोर है - 15
व्याख्या :-
इस पद्य के प्रत्येक चरण में 31 - 31 वर्ण और अंतिम वर्ण गुरु है तथा 16 -15 पर
यति है। अत: यह कवित्त छंद है।
व्याख्या :-
यह वार्णिक समछंद है। इसके प्रत्येक चरण में 31 वर्ण होते है। वर्णो का क्रम
निश्चित नही होता है। अर्थात गणो की कोई व्यवस्था नही होती। विशेष नियम
है कि 16 तथा 15 वर्णो पर यति होती है और चरण के अंत में एक गुरु वर्ण होता है।
उदाहरण :-
मैने कभी सोचा वह मंजुल मंयक में है - 16
देखता इसी से उसे चाव से चकोर है - 15
कभी यह ज्ञात हुआ वह जलधर में है - 16
नाचता निहार के उसी को मंजु मोर है - 15
व्याख्या :-
इस पद्य के प्रत्येक चरण में 31 - 31 वर्ण और अंतिम वर्ण गुरु है तथा 16 -15 पर
यति है। अत: यह कवित्त छंद है।
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