मात्रिक छंद :-
चौपाई :-
लक्षण :- सोलह कल जत अन्त न भाई
सम सम विषम विषम चौपाई
व्याख्या :-
यह सम - मात्रिक छंद है। इसके प्रत्येक चरण में सोलह मात्राएँ होती है। अन्त में
में जगण या तगण नही होता। सम के बाद सम और विषम के बाद विषम मात्राएँ
होती है।
उदाहरण :
सुन जननि सोइ सुत बड़ भागी - 16 मात्राएँ
जो पितु मातु वचन अनुरागी -16 मात्राएँ
तनय मातु पितु तोशन हारा -16 मात्राएँ
दुर्लभ जननि सकल संसारा -16 मात्राएँ
व्याख्या :-
इस छंद के प्रत्येक चरण में 16 -16 मात्राएँ है अंत ,में जगण , तगण नही है।
अत: यह चौपाई का उदाहरण है।
चौपाई :-
लक्षण :- सोलह कल जत अन्त न भाई
सम सम विषम विषम चौपाई
व्याख्या :-
यह सम - मात्रिक छंद है। इसके प्रत्येक चरण में सोलह मात्राएँ होती है। अन्त में
में जगण या तगण नही होता। सम के बाद सम और विषम के बाद विषम मात्राएँ
होती है।
उदाहरण :
सुन जननि सोइ सुत बड़ भागी - 16 मात्राएँ
जो पितु मातु वचन अनुरागी -16 मात्राएँ
तनय मातु पितु तोशन हारा -16 मात्राएँ
दुर्लभ जननि सकल संसारा -16 मात्राएँ
व्याख्या :-
इस छंद के प्रत्येक चरण में 16 -16 मात्राएँ है अंत ,में जगण , तगण नही है।
अत: यह चौपाई का उदाहरण है।
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