सोमवार, 18 अप्रैल 2016

बदरवा वैरी हो गए हमार

बदरवा वैरी हो गए हमार
घिर आये फिर काले काले
मेघ यहीं पे बरसने वाले
सुनलो मेरी पुकार
सजनवा वैरी  हो गए हमार

काहे बसे तुम जाए विदेसवा
दिल में दर्द जगाए
न खत भेजा न कोई सन्देसवा
पल पल रुत ये सताए
डूब गया दिल मोरा भँवर में
तोसे नैन लगाए

पछताने से क्या हो हासिल
दिल मोरा घबराए
जब जब बोले वैरी पपीहरा
जियरा मोरा जलाए
कित जाऊँ मै कैसे कहूँ जो
मन की प्यास बुझाए
@मीना गुलियानी 

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