सोमवार, 13 जून 2016

भजनमाला ----38

रे मन अब तो चेत रे बिरथा जन्म न जाए

काहे को तूने महल बनाया
चार दिनों का देस रे

 कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी            
कपट का धरकर भेस रे

रैन दिवस तूने यूं ही गँवायो
भूल गयो निज भेस रे

चेत सके तो चेत रे बन्दे
क्या होव चुग जाए खेत रे

हाड मॉस की काय तोरी
प्रीत कीन्ही किस हेत रे

अब रोने से क्या होवेगा
काल ने पासा दिया फेंक रे

चार कहार तुझे लेने आये
छोड़ चला परदेस रे
@मीना गुलियानी 

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