सोमवार, 6 जून 2016

पिघल रही होगी

चाँद भी मुझसे जल रहा होगा
चाँदनी भी पिघल रही होगी

जब तू नहाकर निकली होगी
आग पानी में लग रही होगी

संगमरमरी बदन हे ऐसा तेरा
हर निगाह फिसल रही होगी

तुझको बनाया है खुदा ने ऐसा
आरजू भी मचल रही होगी
@मीना गुलियानी 

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