बुधवार, 27 जुलाई 2016

भजनमाला ------104

गुज़ारी उम्र झगडों में बिगाड़ी अपनी हालत है 
हुई खारिज़ अपील अपनी अजब सी ये वक़ालत है 

मुकदमे गैर लोगों के हज़ारों कर दिए फैसल 
न देखे मिसल अपनी वो अजायब ये अदालत है 

दलीलें देके गैरों पर किया साबित असल अपना
 दिल अपने का ब शक टूटा अजायब ये अदालत है 

बहुत पढ़ने पढाने से हुआ सब इल्म में कामल 
न पाया भेद रब्बी का अजायब ये कमालत है 

बना हाफ़ज पढ़े मसले सुनाया दूसरों को भी 
बले टूटा न कुफ्र अपना अजायब ये मिसालत है 

तू कर  फैसल हिसाब अपना तुझे गैरों से क्या मतलब 
न किस्सा तूल दे अपना फिजूल की ये तवालत है 
@मीना गुलियानी 

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