गुरुवार, 28 जुलाई 2016

भजनमाला ---------107

है मस्त फकीरी वो जिसमे शाहों की भी परवाह न हो

दुनिया दौलत में मस्त रहे मैं मस्त रहूँ तुमको पाकर 
निर्धनता की इस ज्वाला से तिल भर भी मन में दाह न हो 

घर घर में पाऊँ पूजा मैं या घर घर में अपमान मिले 
दोनों में ही मुस्कान रहे मन के अंदर भी आह न हो 

पर दुःख में रोऊँ मैं जी भर पर अपना दुःख न रुला सके 
पर सुख को अपना सुख मानूँ सुखियो की मन में डाह न हो 

हर रंग रहे इस जीवन में पर मैल न मन में आ पाए 
विचरे मन संयम के पथ पर पल भर को भी गुमराह न हो 
@मीना गुलियानी 

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