शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

मैं मनाने के काबिल नहीँ हूँ

मेरे मेहबूब रूठो न मुझसे
मैं मनाने के काबिल नहीँ हूँ
हूँ गुनहगार तुम माफ़ करदो
सर उठाने के काबिल नही हूँ

मुझको परवाह नही है ज़माना
रूठता है रूठे ख़ुशी से
मुझे डर है न तू रूठ जाए
 दिल गंवाने के काबिल नहीँ हूँ

खुश्क लब आँखे पत्थरा गई है
धड़कनों का भरोसा नहीँ है
जिंदगी मौत से लड़ रही है
लब हिलाने के काबिल नही हूँ

गम का मारा हूँ गम का सताया
सबने मुझको परेशां किया है
तुम न मुझको कभी यूँ सताना
गम उठाने के काबिल नहीँ हूँ
@मीना गुलियानी  

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