मंगलवार, 2 अगस्त 2016

भजनमाला --------114

रे मन भज ले नाम हरि का कटे जम फांसी रे 

माया में तूने मन उलझाया 
मनमन्दिर में न दीप जलाया 
विषयों में तेरी बीती उमरिया आवे सुन हांसी रे 

दुःख में  तूने उसे अपनाया 
सुख आया तो उसको भुलाया 
कैसे कटे दुःख की घड़ी जो न भजे अविनाशी रे 

कर में मनका तूने फिराया 
कपट का तूने भेस बनाया 
उसकी कृपा जो होवे  तो किस्मत बदल जाती रे 
@मीना गुलियानी 

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