सोमवार, 1 अगस्त 2016

भजनमाला -------113

तेरे दर्शन को पाने का बाबा मैं भी भिखारी हूँ 
दे दो वरदान न टालो मैं निर्बल हूँ दुखारी हूँ 

तेरा दरबार है ऐसा जहाँ से सब कुछ है मिल जाता 
कहाँ पर अब मैं जाऊँ बाबा तेरे दर का पुजारी हूँ 

किया मजबूर इस दिल ने जमाने ने भी ठुकराया 
,मगर क्यों रूठे हो मुझसे मैं तो दुखिया बेचारी हूँ 

तेरे दीदार को तरसे मेरे नैना बड़े प्यासे 
आ जाओ देर न करना मैं लाया आस भारी हूँ 
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें