शनिवार, 10 सितंबर 2016

जिऊँ या कि मरूँ मैं

तूने मेरी नींद चुराई  दिल का लूटा चैन
भर भर आएं नैना मोरे कबहुँ न पायो चैन
बताओ क्या करूँ मैं जिऊँ या कि मरूँ मैं

पलकों में तुम ऐसे समाये बिन खोले भी सामने आये
दिल की खिड़की बन्द करूँ तो जाने कौन गली से आये
बताओ क्या करूँ मैं -------------------------------------

हर दरवाज़ा पड़ गया छोटा आया मस्त पवन का झोंका
खुल गए सारे कपाट मन के दिल को मैंने कितना टोका
बताओ क्या करूँ मैं -------------------------------------

नैनन की भाषा तुम बोले दिल खाये मेरा हिचकोले
कैसे भूलूँ तेरी यादें जो संग में मेरे हरदम डोले
बताओ क्या करूँ मैं ---------------------------------------
@मीना गुलियानी 

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