शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

प्रमाद न कर

छू ले आसमान जमीन की तलाश न कर
जी ले अपनी जिंदगी ख़ुशी की तलाश न कर

तेरी तकदीर यूँ ही संवर जायेगी
इक तेरे यूँ मुस्कुराने से
बहारें फिर से लौट आयेंगी
इक तेरे उसे बुलाने से
वो ज़माने फिर से लौट आएंगे तकरार न कर

न तुम इस तरह उदास रहो
न तुम यूँ ही पशेमांन रहो
चिराग यूं भी जल ही जाएंगे
शमा के जलने से परवाने आएंगे
बहारें फिर तेरे जीवन में आएँगी ऐतबार तो कर

जीवन सुख दुःख से बना है
 इसने हर किसी को छला है
जिसने न हारी हिम्मत वो जीता है
वरना जीवन तो सबका रीता है
ढूँढ ले तू भी अपनी खुशियों को प्रमाद न कर
@मीना गुलियानी 



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