शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

मैंने तुझे महसूस किया है

इन हवाओं में इन फिज़ाओं में
पर्वत की इन श्रृंखलाओं में
बादलो की घटाओं में
पेड़ों की घनी छाँव में
अमराइयों के गाँव में
मैने तुझे महसूस किया है

दिल की उमंगो के जोश में
खो गए उस होश में
मदहोशी के आलम में
भीगे भीगे सावन में
इन बरसती घटाओं में
मैंने तुझे महसूस किया है


गुलशन है कुछ निखरा निखरा
पर गुंचा कुछ बिखरा बिखरा
दिल तो है आबाद यूं मेरा
जैसे अभी हुआ है सवेरा
इन चहकती हवाओँ में
मैंने तुझे महसूस किया है

लट है चेहरे पे लहराई
 लगा कली जैसे मुस्काई
कोंपल फूटी कलियां चटकी
बादल से फिर बूंदे टपकी
मन की इन अंगड़ाइयों में
मैंने तुझे महसूस किया है
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें