गुरुवार, 13 अक्तूबर 2016

अश्कों से छलक जाता है

आज मेरा मन मदहोश हुए जाता है
कोई जब दूर से आवाज़ दिए जाता है

बात करते हैं सनम , तेरे जलवों की जो हम
फिर से बरसी है घटा ,रुक रुक के ओ सनम
दिल तो पागल है ये , बेख़ौफ़ हुए जाता है

तेरे आने की खबर, मिली जब हमको सनम
नैनो से नींद उडी, रात भर जागे थे हम ,
इक फ़साना है  जो ,बेहोश किए  जाता है

दूर न जाओ सनम, तुमको अब मेरी कसम
इल्तज़ा मान भी लो , नहीँ तो रो देंगे हम
दिल का गम चुपके से , अश्कों से छलक जाता है
@ मीना  गुलियानी 

3 टिप्‍पणियां:

  1. दिल का गम अश्कों से छलक जाता है मुद्दतों बाद जब कोई मिलता है रचना बहुत अच्छी है

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  2. दिल का गम अश्कों से छलक जाता है मुद्दतों बाद जब कोई मिलता है रचना बहुत अच्छी है

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  3. दिल का गम अश्कों से छलक जाता है मुद्दतों बाद जब कोई मिलता है रचना बहुत अच्छी है

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