शुक्रवार, 31 मार्च 2017

माता की भेंट --6

तर्ज़ ----दिल का खिलौना हाय टूट गया 

अम्बे का सहारा मैंने पा ही लिया 
दाती ने चरणों से लगा ही लिया 

जग ने मुझे था जब ठुकराया 
माँ ने ही अपने गले से लगाया 
मेरा उद्धार करके मुझसे प्यार करके 
माता ने मुझको अपना बनाया 
सच्चा सहारा मैंने पा ही लिया 

मैं अन्धकार में था मुझे रोशनी  दी 
मिटाके गमो को मेरे नई ज़िन्दगी दी 
दूर अँधेरा हुआ दिल में उजाला हुआ 
चमकाई किस्मत मेरी मुझे चाँदनी दी 
नाम की भँवर से बचा ही लिया 
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 30 मार्च 2017

माता की भेंट --5

तर्ज़ ---रहा गर्दिशों में हरदम 

मेरी मात आओ तुम बिन मेरा नहीँ सहारा 
नैया भँवर में डोले सूझे नहीँ किनारा 

आ जाओ मेरी मैया आकर मुझे बचालो 
डूबे न मेरी किश्ती करदो ज़रा इशारा 

तेरे सिवा जहाँ में कोई नहीँ है मेरा 
आओ न देर करना तेरा ही है सहारा 

क्यों देर माँ करी है मुश्किल में जां मेरी है 
विपदा को आज हरलो दे दो मुझे सहारा 

अब देर न लगाना मेरी मात जल्दी आना 
मुझको भी तार दे माँ लाखों को तूने तारा 
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 29 मार्च 2017

माता की भेंट -- 4

तर्ज़ ------छुप गया कोई रे 

जगदम्बे शेरां वाली बिगड़ी सँवार दे         
नैया भँवर में मेरी सागर से तार दे 

मैं अज्ञानी मैया कुछ भी न जानू 
दुनिया के झूठे नाते अपना मैं मानू 
आके बचालो नैया भव से उबार दे 

लाखों की तूने मैया बिगड़ी बनाई 
फिर क्यों हुई है मैया मेरी रुसवाई 
लाज बचाले माता दुखड़े निवार दे 

जपूँ तेरा नाम मैया ऐसा मुझे ज्ञान दे
नाम न तेरा भूलूँ ऐसा वरदान दे 
आशा की जोत मेरे दिल में उतार दे 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट

तर्ज़ ------दिल तोड़ने वाले तुझे दिल 


मेरी मात आ जाओ तुझे दिल ढूँढ रहा है 
मुझे दर्श दिखा जाओ तुझे दिल ढूँढ रहा है 

तुम आओ तो ऐ माँ मेरी किस्मत बदल जाए 
बिगड़ी हुई तकदीर माँ फिर से सँवर जाए 
कबसे खड़ा हूँ  मैं तेरी उम्मीद लगाए  तुझे दिल ढूँढ रहा है 

इस दुनिया ने ऐ माँ मेरा सुख चैन है छीना 
मुश्किल हुआ है आज तो बिन दरश के जीना 
आवाज़ दे मुझको माँ अपने पास बुला ले  तुझे दिल ढूँढ रहा है 

रो रो के मैया आँखे भी मेरी देती हैं दुहाई 
सुनो मेरी विपदा मैया जी करलो सुनाई 
अब जाऊँ कहाँ तुम बिन कहाँ और ठिकां है  तुझे दिल ढूँढ रहा है  
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 27 मार्च 2017

माता की भेंट

तर्ज़ -------रुक जा

दस जा ओ राही जान वालया
मैया दा द्वारा सानू दस जा
दस जा  ओ पंथ किनी दूर ऐ
भवन न्यारा सानू दस जा

मैया दे द्वारे दी ऐ होई निशानी ऐ
उत्थे जगमग जग रही ऐ इक जोत नुरानी ऐ -----------दस जा

 ऐ उच्चे पर्वत ते मैया दा द्वारा ऐ
माँ शेरां वाली दा भक्तां नूँ सहारा ऐ -------------------दस जा

निश्चा कर आवे जो न जांदा खाली ऐ
माँ दुर्गा शक्ति दा सारा जगत सवाली ऐ -------------दस जा
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट

तर्ज़ -------रेशमी सलवार कुरता जाली दा

जगमग जगदियां जोतां समा दिवाली दा
मन्दिर अजब रंगीला शेरां वाली दा
भगतां नूँ है आसरा माँ रखवाली दा
तेज न झल्या जाए जोतां वाली दा

माता दी शेर  सवारी है लगदी बहुत प्यारी
भगतां नूँ चा ऐ चढ़या दर्शन दा दिल विच भारी
नाम दी लाली दा ------------------------मन्दिर

 माता दी शक्ति न्यारी ते तेज न झल्या जावे
भगतां नूँ माता तारे दुष्टां नूँ मार मुकावे
खण्डा काली दा ------------------------मन्दिर

विरला कोई भगत प्रेमी विच नाम दे चोला रंगदा
सदा खिला रहे ऐ गुलशन तेरा सेवक वर मंगदा
धर्म दी डाली दा ------------------------मन्दिर

जगजननी ते दुःख हरनी दुखियाँ दे दुखड़े हरदी
तेरी देख निराली शक्ति सब दुनिया सजदा करदी
पहाड़ां वाली दा ------------------------मन्दिर
@मीना गुलियानी


शुक्रवार, 24 मार्च 2017

भूला अफसाना याद आया

आज फिर कोई भूला अफसाना याद आया
मौसम जो गुज़रा दिन सुहाना याद आया

बीते सावन के दिन जब झूले पड़े थे बागों में
गीतों भर वो दिन तेरा मुस्कुराना याद आया

वो कलियों का खिलना वो हँसना वो मिलना
नज़रों का झुकाना बिजली गिराना याद आया

सुबकती सी आँखे महकती कम्पकंपाती साँसे
दबे पाँवों चलकर ज़मी को खुरचना याद आया
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 22 मार्च 2017

आँसुओं में डूब न जाऊँ कहीँ

मुझे खुद पे ऐतबार है लेकिन
ये ज़ुबाँ फिसल न जाए कहीँ

तुम रहो हमेशा  हमारे ही आस पास
नज़र नवाज़ नजारे बदल न जाए कहीँ

तमाम उम्र अकेले सफर किया हमने
साथ पाके  आदत बदल न जाए कहीँ

तुम्हारे ख़्वाब कभी शोला हुआ करते थे
देखो कहीँ वो कमज़ोर पड़ न जाए कहीँ

 एहसास से लबालब भरा हुआ हूँ
तेरे आँसुओं में डूब न जाऊँ कहीँ
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 21 मार्च 2017

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प्रिय   पाठकगण


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रविवार, 19 मार्च 2017

नश्तर दिल में उतर जाएगा

मेरे दिल के ज़ख़्म अभी हरे हैं अभी
मत कुरेदो उन्हें लहू निकल आएगा

दिल क्या उबर पायेगा गमों से कभी
आशियाँ उजड़ा क्या वो बस पायेगा

मैंने अक्सर तलाशा बीते लम्हों को
वैसा नक्श क्या फिर उभर पायेगा

भर गया दिल मेरा तेरी बेरुखी देखकर
याद करके नश्तर दिल में उतर जाएगा
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 16 मार्च 2017

स्वच्छन्द उन्मुक्त सा आकाश

मेरा मन भी तलाशता रहता है

स्वच्छन्द उन्मुक्त सा आकाश

जिसमें सुबह सवेरे सूरज करे प्रकाश

शाम को पंछी घरौंदे में करें निवास

बच्चों की किलकारियों से गूँजे आकाश

दें वो भी अपनी उमंगों का आभास

प्रमुदित मन डोले आंगन में हर प्रभात

सन्ध्या में ईश्वर वन्दन का करें अभ्यास

हर चीज़ हो व्यवस्थित मन को भाये बात

स्वागत हो सद्व्यवहार से अपनत्व के साथ
@ मीना गुलियानी 

मुहब्बत से बसर होता है

रोज़ जब मेरा जब अँधेरे में सफर होता है
लगता है यातना का गहरा असर होता है

कभी सर पे कभी पाँव में कभी सीने में
कैसे बतायें कि कहाँ कहाँ पे दर्द होता है

दिल चाहता है  उड़कर पहुँचे आशियाने में
क्या करें हमारे पास में टूटा पंख होता है

रहने के लिए मिट्टी का घरौंदा काफ़ी है
दिल में बेपनाह मुहब्बत से बसर होता है
@ मीना गुलियानी 

मंगलवार, 14 मार्च 2017

ऐसी नज़र होगी ही नहीँ

इन अंधेरों में तुम यूँ न भटका करो
यहाँ की आबोहवा इतनी हसीन नहीँ

तुम्हारे पाँव के नीचे देखो ज़मीन नहीँ
पर तुम्हें मेरी बात का यकीन ही नहीँ

अपनी कांपती अँगुलियों को सेंक लो
इससे बेहतर लपट मिलेगी न कहीँ

तुम मेरा साथ देना ग़वारा न भी करो
मुझे मालूम है तुमसे गुज़र होगी नहीँ

तुम्हारे दिल की हालत सिर्फ जानता हूँ मैं
हर किसी के पास ऐसी नज़र होगी ही नहीँ
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 11 मार्च 2017

हसरत गर उभरती हो

मेरी कल्पना में तुम झील सी लगती हो
मैं इक नाव बनता हूँ तुम उसमें तरती हो

तुमको यूँ ही ज़रा सा भी मैं  छू लूँ तो
लगता है जैसे पत्तों से ओस गिरती हो

तुम तो अक्सर खुद ऐसे ही सिहर जाती हो
 जैसे बन्दूक के गोली से चिड़िया डरती हो

दिल के दरवाजो को कभी तो खुला रखो
करें क्या दीद की हसरत गर  उभरती हो
@मीना गुलियानी

तुम्हारा दिल बहलाने आयेंगे

मेरे ये गीत तुम्हारा दिल बहलाने आयेंगे
मेरे बाद तुम्हें मेरी याद भी ये दिलायेंगे

अभी तो थोड़ी आंच बाकी है न छेड़ो राख को
कोई तो चिंगारी फिर सुलगाने को आयेंगे

अभी तो तपती धूप  है और पथ सुनसान है
आगे बढोगे तुम तो फिर मौसम सुहाने आएंगे

कितनी बिसरी यादों के मंजर अधूरे रह गए
लोग अपने ग़मो को भुलाने यहॉ पर आयेंगे
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 7 मार्च 2017

आँसुओं से तेरा नाम जुड़ गया

शायद इन खण्डहरों में होंगीं तेरी सिसकियाँ मौजूद
मेरा पाँव न जाने क्यों जाते जाते इस ओर मुड़ गया

अपने घर से चला था मैं तो सुकून की तलाश में
न जाने क्या अपशकुन हुआ बरगद उखड़ गया

दुःख को तो बहुत छुपाया रखा था सबसे दूर
सुख जाने कैसे बन्द डिबिया से भी उड़ गया

कितने सपने सजाके चले थे सफर पे साथ हम
आया हवा का तेज़ झोंका वो  मेला उजड़ गया

तमाम उम्र भी हमने जिक्र न किया था किसी से
आखिरी वक्त पे आँसुओं से तेरा नाम जुड़ गया
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 6 मार्च 2017

फिर से रोशनी तो कीजिये

इन हवाओं में फिर लपट सी आने लगी है
कुछ ठण्डे पानी के छींटे इन पर दीजिये

तुमको भी याद कर लेंगे इस बहाने से हम
दो चार पत्थर ज़रा इधर फेंक तो दीजिये

जीना मरना तो यहाँ लगता ही रहेगा
कुछ घड़ी आराम से ज़रा जी तो लीजिये

ये पेड़ भी जुबाँ रखते हैं साजों की तरह
इनकी उदासी को ज़रा दूर तो कीजिये

जिनका जहाँ में कहीँ और ठिकाना न रहा
उनके दिलों में फिर से रोशनी तो कीजिये
@मीना गुलियानी 

रविवार, 5 मार्च 2017

तुमको भूलने लगा हूँ मैं अब

इतना दुःख मन में इकट्ठा हो गया
देख तुमको भूलने लगा हूँ मैं अब

कितनी चट्टानों से गुज़रा पाँव में छाले पड़े
सोचो कितनी तकलीफों से गुज़रा हूँ अब

मेरी जिंदगी का अब कोई मकसद नहीँ
इस इमारत में कोई गुम्बद नहीँ है अब

इस चमन को देखो सुनसान नज़र आये
एक भी पंछी शायद यहॉ नहीँ है अब

पहले तो  सब अपने से लगते थे यहॉ
दिलकश नज़ारे पराये लगने लगे अब

आज मेरा साथ दो मुझको यकीं है मगर
पत्थरों में चीख कारगर होगी न अब
@मीना गुलियानी


शनिवार, 4 मार्च 2017

सबसे था अनजाना

क्या कहें क्या सोचें अपनों ने नहीँ पहचाना
 जबकि साया था वो मेरा अब हुआ अनजाना

ये मेरा ही कसूर है  मिलता हर बात पे  ताना
जिंदगी के ताने बाने में बन्द हुआ आना जाना

कैसी हुई जिंदगी  इसे पहनाया इक खुशनुमा जामा
 कहें किससे क्यों पसन्द किया खुदगर्ज़ कहलाना

कोई बात नही किसी से नाराज़ नहीँ अब क्या पछताना
अपनों ने अनजाने में जख्म दिए मन को क्या बहलाना

किसी को भी नज़र आये न  दरार ऐसे छिपाया याराना
 सोचता हूँ कुछ कहता नही सच बोलने से लगा कतराना

रौनके जन्नत भी रास न आई मुझे जहन्नुम में था बेगाना
ये ज़मीन तप रही थी ये मकान तप रहे थे सबसे था अनजाना
@मीना गुलियानी


गुरुवार, 2 मार्च 2017

कान्हा तेरी मुरली बजी

कान्हा तेरी मुरली बजी धीरे धीरे
दिल में बजे सुर उतरे यमुना तीरे
चले आओ कान्हा इतना न सताओ
फिर से वो तान सुनाओ धीरे धीरे

जिसमें था खोया आज मेरा मन
भूली थी सुध बुध बावरा हुआ मन
छलकी मेरी गगरिया यमुना तीरे
सुनी तेरी मुरली जब धीरे धीरे

कहे तू कान्हा मोहे इतना सताये
करूँगी भरोसा कैसे समझ न आये
याद तेरी कान्हा हर पल रुलाये
सुनाओ बंसी की वो तान धीरे धीरे
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 1 मार्च 2017

सर झुकाना पड़ेगा

एक एहसास है जिंदगी प्यार उसमें जगाना पड़ेगा
चाहे सांसे थमने लगी हों गीत ये गुनगुनाना पड़ेगा

गम से बोझिल है ये दिल तो क्या
सामने गर कोई मुश्किल तो क्या
हँसके दूर करके सब उलझनों को
हमको उस पार जाना पड़ेगा

दरिया गहरा है मंझधार है
साथ टूटी सी पतवार है
रखके खुद पे भरोसा चला चल
ये कदम तो बढाना पड़ेगा

क्यों तू इतना यूँ हैरान है
बैठा क्यों तू परेशान है
जिंदगी उसके करदे हवाले
सजदे में सर झुकाना पड़ेगा
@मीना गुलियानी 

मेरे मन में थी समाई

उसने अपनी गर्मजोशी अपनी मुस्कान से दिखाई

अपनी सुंदर छवि  मेरे दिल में व्यवहार से बनाई

एक अनूठी सी छाप दिल में बनाई

मेरी कल्पना में वो  उतरती सी आई

मेरी कविता  के बोलों में वो आ समाई

मेरे दिल की धड़कनों में बजने लगी शहनाई

लिखता था गीत मैं वो गाने लगी रुबाई

तहरीर लिखी मैंने लिखावट थी उसकी आई

दिलकश थे सब नज़ारे इक घटा सी छाई

 लगा धरती पे इक चन्द्रकिरण उतर आई

अपनी  सितारोँ की ओढ़नी उसने झिलमिलाई

उसकी रौशनी में मेरी काया यूँ जगमगाई

संगेमरमरी बदन से चिलमन उसने उठाई

उसकी वो हर अदा  मेरे मन में थी समाई
@ मीना गुलियानी