शनिवार, 20 मई 2017

हवन वो करने लगा है

फिर हवाओं का रुख बदलने लगा है
सोया हुआ जगा आँखे मलने लगा है

जिंदगी के सफर का पहिया टूटा पड़ा था
मिले तुम तो फिर से वो चलने लगा है

 आग सीने में अब तक ठंडी पड़ी थी
यकायक सा पानी उबलने लगा है

जो रुका था अलावों की आंच लेने को
जली जब हथेली तो मसलने लगा है

जिंदगी अँधेरे में होम जिसने करदी
उजाले में हवन वो करने लगा है
@मीना गुलियानी


1 टिप्पणी:

  1. ""जिंदगी के सफर का पहिया टूटा पड़ा था
    मिले तुम तो फिर से वो चलने लगा है""
    बहुत ही पसंद आई. ये पंक्तियाँ.
    धन्यवाद.

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