शुक्रवार, 19 मई 2017

बबूल के साये में लाये तुम

रहनुमाओं की अदा पे फ़िदा है दुनिया
इस बहकती दुनिया को सम्भालो तुम

दर्दे दिल का पैगाम भी उनको पहुँचेगा
कोई नश्तर सीने में उतारोगे जब तुम

कहाँ तक सहेंगे जुल्मों सितम हम
कोई रोशनी ढूँढ़ लाओ कहीं से तुम

तेरे आने से  रौनके महफ़िल जवां हुई
कोई खुशनुमा ग़ज़ल गुनगुनाओ तुम

सोचा था कि दरख्तों में छाँव होती है
पता न था बबूल के साये में लाये तुम
@मीना गुलियानी

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