सोमवार, 19 जून 2017

तुमको मेरी याद दिलायेंगे

मेले में गर भटकते तो ठौर मिल जाता
 घर में भटके हैं कैसे ठौर अपना पायेंगे

आँच कुछ बाकी है धुआँ निकलने दो
देखना मुसाफिर इसी बहाने आयेंगे

पाँव जल में इस कदर न हिलाओ तुम
बुद्बुदे पानी के हिलके टूट ही जायेंगे

गीत मेरे जो अधूरे और अछूते रह गए
देखना कल तुमको मेरी याद दिलायेंगे
@मीना गुलियानी 

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